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दिल्ली में नारेबाजी विवाद: वायु प्रदूषण के नाम पर नक्सल समर्थन के आरोप

Delhi AQI Protest Hidma: दिल्ली में पर्यावरण प्रदर्शन के बीच नक्सल समर्थन के आरोप
Delhi AQI Protest Hidma: दिल्ली में पर्यावरण प्रदर्शन के बीच नक्सल समर्थन के आरोप (Image: ScreenGrab/X)
दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शन में अचानक नक्सली हिडमा के समर्थन में नारे लगे। SFS ने आरोप लगाया कि यह हिमखंड और भगत सिंह छात्र एकता मंच ने किया। पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार कर दो एफआईआर दर्ज की हैं। यह विवाद अब राजनीतिक रूप ले चुका है।
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इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन और नक्सल नारे

दिल्ली के इंडिया गेट पर रविवार शाम वायु प्रदूषण के खिलाफ एक प्रदर्शन में अचानक राजनीतिक रंग चढ़ गया। यह प्रदर्शन वायु प्रदूषण के मुद्दे पर जागरूकता के लिए था, लेकिन बीच में कुछ लोगों ने ऐसे नारे लगाए, जिनसे माहौल बदल गया। यह नारे वायु प्रदूषण के खिलाफ नहीं थे, बल्कि नक्सलवाद से जुड़े व्यक्ति हिडमा के समर्थन में थे। घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं और अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आखिर कौन था हिडमा, जिसके नाम पर नारे लगे?

हिडमा देश के वामपंथी उग्रवाद यानी नक्सलवाद से जुड़ा एक बड़ा नाम माना जाता है। वह कई हिंसक घटनाओं और हमलों में प्रमुख भूमिका निभाने वाला व्यक्ति माना जाता है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां उसे बेहद खतरनाक नक्सली नेता मानती हैं। यही वजह है कि उसके समर्थन में लगाए गए नारे विवाद का कारण बन गए।

प्रदर्शन किसके बैनर तले हुआ?

प्रदर्शन दिल्ली अगेंस्ट क्लीन एयर के बैनर के तहत हुआ। इस बैनर के साथ कई संगठन शामिल हुए थे। इनमें साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी, हिमखंड और भगत सिंह छात्र एकता मंच भी शामिल थे। यह सभी संगठन अपने-अपने कार्यकर्ताओं के साथ वायु प्रदूषण के खिलाफ एकत्र हुए थे।

किस संगठन पर आरोप लगे?

साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी यानी SFS ने साफ कहा कि नक्सली नारे उन्होंने नहीं लगाए। उनके अनुसार, नारे हिमखंड और भगत सिंह छात्र एकता मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए। SFS ने एक बयान जारी कर कहा कि उनका उद्देश्य केवल वायु प्रदूषण पर लोगों को जागरूक करना था। उनके अनुसार, बैनर का गलत इस्तेमाल किया गया।

आरोपों के बीच स्वतंत्रता सेनानी के नाम का दुरुपयोग

इस विवाद में एक और गंभीर पहलू सामने आया। आरोप लगाए जा रहे संगठन में से एक का नाम भगत सिंह छात्र एकता मंच है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि देश के महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम का उपयोग आखिर नक्सली विचारधारा को समर्थन देने के लिए क्यों किया गया? क्या देश विरोधी सोच, शहीदों के नाम पर बढ़ाई जा रही है? यह प्रश्न जांच और चिंता दोनों को जन्म देता है।

नक्सलवाद के मुद्दे ने प्रदूषण की चर्चा क्यों रोकी?

इंडिया गेट पर जुटे सैकड़ों लोगों का ध्यान वायु प्रदूषण पर था। कई आम नागरिक और छात्र इस मुद्दे पर जागरूकता के लिए आए थे। लेकिन, नारेबाजी के बाद पूरा ध्यान वायु प्रदूषण से हटकर नक्सल समर्थन पर चला गया। इससे सवाल उठता है कि कहीं प्रदर्शन को गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश तो नहीं थी?

क्या नारेबाजी की योजना पहले से थी?

SFS का दावा है कि हिमखंड और भगत सिंह छात्र एकता मंच ने नारे लगाने का अपना इरादा पहले से नहीं बताया था। संगठन ने कहा कि उन्होंने नारे रोकने की कोशिश की, लेकिन नारे लगाने वालों ने उनकी बात नहीं मानी। संगठन के मुताबिक, इस हरकत ने आम लोगों के बीच भ्रम पैदा कर दिया।

दिल्ली पुलिस ने संगठनों की पृष्ठभूमि खंगालनी शुरू की

हिडमा के समर्थन में नारे लगाने वाले कार्यकर्ताओं की पहचान होने के बाद दिल्ली पुलिस अब उन संगठनों की पृष्ठभूमि की जांच कर रही है, जिनके नाम इस विवाद में सामने आए हैं। पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही है कि क्या यह सिर्फ आवेश में हुई नारेबाजी थी या फिर किसी बड़े विचार को प्रचारित करने की योजना। जिन संगठनों पर सवाल उठे हैं, उनके पुराने कार्यक्रमों और फंडिंग की भी जांच की जा रही है।

प्रदूषण मुद्दे से जुड़ी जनता ने जताई नाराजगी

इंडिया गेट पर मौजूद कई लोगों ने बताया कि वे केवल वायु प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने पहुंचे थे। आम नागरिकों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे को नक्सल समर्थन के आरोपों से भटका दिया गया। कई लोगों का कहना था कि प्रदूषण पर चर्चा होना चाहिए थी, लेकिन नारेबाजी ने पूरे उद्देश्य को बेकार कर दिया। इससे सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर होने वाली बातचीत कमजोर हुई।

पुलिस की कार्रवाई और सवाल

दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज कर 22 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस अब उन संगठनों और व्यक्तियों की पृष्ठभूमि खंगाल रही है। सवाल यह नहीं है कि प्रदर्शन क्यों हुआ। सवाल यह है कि पर्यावरण के नाम पर नक्सली विचारधारा को क्यों और कैसे बढ़ावा दिया गया? क्या यह किसी बड़ी योजना की शुरुआत थी?

क्या यह लोकतांत्रिक अधिकार का गलत उपयोग?

भारत में हर नागरिक को प्रदर्शन का अधिकार है। यह अधिकार लोकतंत्र की पहचान है। लेकिन क्या इस अधिकार का इस्तेमाल देशविरोधी विचारधारा फैलाने के लिए किया जा सकता है? वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन इसे नक्सलवाद के प्रचार का साधन बनाना लोकतांत्रिक अधिकार का दुरुपयोग माना जा सकता है।

दिल्ली में बढ़ते विरोध और राजनीतिक असर

यह घटना अब राजनीतिक रंग भी ले चुकी है। कई नेता इस मामले पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ इसे आजादी की गलत परिभाषा बता रहे हैं, तो कुछ इसे प्रदूषण के मुद्दे को भटकाने की कोशिश कह रहे हैं। दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में ऐसी घटनाएं सुरक्षा और राजनीतिक दोनों दृष्टि से गंभीर मानी जा रही हैं।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.