लाल किला विस्फोट कांड: सलमान से उमर तक i-20 कार की पूरी कहानी
लाल किले के पास धमाके से दहली दिल्ली
दिल्ली रविवार की शाम अचानक धमाके की आवाज़ से दहल उठी। लाल किले के पास खड़ी एक i-20 कार में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे शहर में दहशत फैला दी। शुरुआती जांच में यह मामला आतंकी गतिविधि से जुड़ा पाया जा रहा है। पुलिस और एनआईए की टीम ने घटनास्थल को घेर लिया है और साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है।
गुरुग्राम के सलमान से शुरू हुई यह चेन
जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई कार (नंबर HR26CE7674) मूल रूप से गुरुग्राम के शांति नगर निवासी मोहम्मद सलमान की थी। सलमान ने मार्च महीने में यह कार एक स्पेनी कंपनी को बेच दी थी। यह यहीं से एक खतरनाक चेन की शुरुआत साबित हुई।
सेकेंड हैंड डीलरों की जाल में फंसी कार
स्पेनी कंपनी ने यह कार ओखला निवासी देवेंद्र को बेची, जो सेकेंड हैंड कार डीलर है। देवेंद्र ने यह गाड़ी फरीदाबाद के सोनू उर्फ सचिन को बेच दी। सोनू ने कार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी तारिक को दी, जिसने आगे इसे अपने परिचित डॉक्टर उमर के हवाले कर दिया।
हालांकि कुछ दस्तावेजों में गड़बड़ी के चलते औपचारिक बिक्री प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, लेकिन कार डॉक्टर उमर के उपयोग में आ गई थी।
डॉक्टर उमर — आतंकियों से जुड़े तार और विस्फोट की तैयारी
जांच एजेंसियों के अनुसार, डॉक्टर उमर पुलवामा का रहने वाला है और उसके आतंकी संगठनों से गहरे संबंध हैं। फरीदाबाद में उसके साथियों के पास से 360 किलो विस्फोटक बरामद होने के बाद उमर घबरा गया। वह कार में मौजूद विस्फोटक लेकर तुरंत दिल्ली पहुंचा।
धमाके से पहले की पूरी टाइमलाइन
दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार, रविवार दोपहर करीब 3 बजे उमर ने लाल किला क्षेत्र के सुनहरी मस्जिद के पास कार पार्क की। वहां उसने कुछ समय तक रुककर फोन पर बातचीत की। शाम 6 बजे के आसपास वह कार लेकर रिंग रोड की तरफ बढ़ा और लाल किला के सामने पहुंचते ही जोरदार विस्फोट हुआ।
धमाके की तीव्रता इतनी थी कि आसपास खड़ी कई गाड़ियों के शीशे चकनाचूर हो गए और सड़क पर अफरातफरी मच गई।
दो थ्योरी पर काम कर रही पुलिस
दिल्ली पुलिस और एनआईए दो मुख्य थ्योरी पर काम कर रही हैं।
पहली थ्योरी के अनुसार — उमर ने आत्मघाती हमले की योजना बनाई थी और ब्लास्ट उसी का हिस्सा था।
दूसरी संभावना यह है कि विस्फोटक किसी तकनीकी गलती से समय से पहले फट गया, जिससे उमर की भी मौके पर मौत हो गई।
फोरेंसिक टीम को घटनास्थल से जले हुए केमिकल और रिमोट सर्किट के अवशेष मिले हैं, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है।
एजेंसियों पर सवाल — अलर्ट क्यों नहीं थे?
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि फरीदाबाद में 360 किलो विस्फोटक बरामद होने के बाद भी दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियां उच्च सतर्कता पर क्यों नहीं थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल राष्ट्रीय अलर्ट जारी होता, तो शायद यह विस्फोट रोका जा सकता था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया, “अगर फरीदाबाद की कार्रवाई के बाद हमें तुरंत अलर्ट मिल जाता, तो दिल्ली की सीमाओं पर निगरानी और सख्त की जा सकती थी।”
एनआईए और दिल्ली पुलिस की संयुक्त जांच
वर्तमान में एनआईए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियां मिलकर इस केस की तहकीकात कर रही हैं। कार के अवशेषों को जब्त कर लिया गया है और इसके इलेक्ट्रॉनिक घटकों का विश्लेषण किया जा रहा है। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि विस्फोटक कहां से आया और इसका नेटवर्क कितना बड़ा है।
दिल्ली फिर से सतर्क मोड पर
दिल्ली पुलिस ने सभी महत्वपूर्ण स्थलों — संसद, इंडिया गेट, एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की गहन जांच की जा रही है। राजधानी अब हाई-अलर्ट मोड पर है।
निष्कर्ष: एक चूक ने खोल दी सुरक्षा व्यवस्था की पोल
लाल किले के पास हुआ यह धमाका न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। एक सेकेंड हैंड कार की ट्रैकिंग में इतनी चूक और फरीदाबाद जैसे बड़े विस्फोटक जब्ती के बावजूद अलर्ट न होना, खतरनाक लापरवाही का संकेत है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल गिरफ्तारी नहीं, बल्कि खुफिया तंत्र की तत्परता ही सबसे बड़ा हथियार है।