Delhi Blast: अल-फलाह विश्वविद्यालय में बर्खास्त प्रोफेसर की नियुक्ति से उठे सवाल
नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए हालिया धमाके की जांच ने नया मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले में कई अहम संस्थानों को अपने दायरे में लिया है, जिनमें हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। जांच में पता चला है कि विश्वविद्यालय ने उस प्रोफेसर को नियुक्त किया था, जिसे जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादी संगठनों से कथित संबंध के चलते सेवा से बर्खास्त किया था।
एनआईए की जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
एनआईए सूत्रों के अनुसार, यह खुलासा दिल्ली धमाके की जांच के दौरान हुआ जब एजेंसी ने संदिग्ध संपर्कों और नियुक्तियों की जांच शुरू की। बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के चिकित्सा विभाग में कार्यरत डॉ. निसार-उल-हसन को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्त किया था। यह अनुच्छेद राज्य की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार को बिना विभागीय जांच के किसी लोक सेवक को बर्खास्त करने की अनुमति देता है।
प्रोफेसर की पृष्ठभूमि और पूर्व पदस्थापन
डॉ. निसार-उल-हसन पहले श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह (एसएमएचएस) अस्पताल में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। वर्ष 2023 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि खुफिया रिपोर्टों के अनुसार उनके कुछ संपर्क आतंकवादी समूहों से जुड़े पाए गए थे।
21 नवंबर 2023 को जारी आदेश में उपराज्यपाल कार्यालय ने यह स्पष्ट किया था कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर निसार-उल-हसन की गतिविधियां “राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक” पाई गईं, जिसके चलते उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से हटा दिया गया।
अल-फलाह विश्वविद्यालय ने दी नियुक्ति, जांच के घेरे में संस्था
बर्खास्तगी के बाद भी डॉ. हसन को अल-फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। यह विश्वविद्यालय हरियाणा का एक निजी शैक्षणिक संस्थान है, जो चिकित्सा, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करता है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने से पहले पृष्ठभूमि की पूरी जांच क्यों नहीं की, जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षा कारणों से सेवा से हटाया था।
विश्वविद्यालय प्रशासन की सफाई
Delhi Blast: विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने प्रोफेसर को उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर नियुक्त किया था, और उन्हें उनकी बर्खास्तगी की पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी नहीं थी। प्रशासन ने कहा कि यदि एनआईए या अन्य जांच एजेंसी किसी भी प्रकार की अनियमितता पाती है, तो वे पूरी तरह सहयोग करेंगे।
एनआईए ने बढ़ाई जांच की रफ्तार
इस खुलासे के बाद एनआईए ने फरीदाबाद स्थित विश्वविद्यालय से कई दस्तावेज मांगे हैं। एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं यह नियुक्ति किसी संगठित नेटवर्क के तहत तो नहीं की गई।
सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों से पूछताछ भी की जा सकती है। साथ ही, प्रोफेसर के संपर्कों और हाल के वर्षों में उनकी गतिविधियों की विस्तृत जांच की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
दिल्ली धमाके के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। जांच अधिकारी इस मामले को एक “संवेदनशील सुरक्षा लिंक” के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसे मामलों में शैक्षणिक संस्थानों की लापरवाही गंभीर परिणाम पैदा कर सकती है।
यह पूरा मामला इस बात की ओर संकेत करता है कि नियुक्तियों में सुरक्षा से जुड़ी जांच प्रक्रिया को और सख्त करने की आवश्यकता है। यदि एनआईए की जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह न केवल अल-फलाह विश्वविद्यालय की साख पर सवाल उठाएगा, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों की भर्ती प्रक्रिया पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।