दिल्ली विस्फोट की परतें खुलीं, साजिश का नया चेहरा सामने
नई दिल्ली। राजधानी के लाल किले मेट्रो स्टेशन के समीप हुए विस्फोट मामले ने अब एक बड़ा मोड़ ले लिया है। शुरुआती जांच में तकनीकी साक्ष्यों से लेकर संदिग्ध गतिविधियों के विश्लेषण तक कई तथ्य सामने आए, लेकिन अब इस पूरे प्रकरण की दिशा एकदम बदली ताकत के साथ उभरकर सामने आई है। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस विस्फोट की जड़ें जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी क्षेत्र शोपियां से जुड़ी हुई हैं, जहां एक मौलवी के कट्टरपंथी प्रभाव ने चार डॉक्टरों को आतंक की राह पर धकेल दिया।
इस नेटवर्क की परतें खुलने के साथ यह साफ हो रहा है कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े ये प्रशिक्षित लोग किस प्रकार वैचारिक प्रभाव में आकर संगठित आतंकी साजिश का हिस्सा बने और अंततः दिल्ली विस्फोट को अंजाम दिया गया। इस पूरी कहानी का मूल सूत्रधार बताया जा रहा है — कश्मीरी मौलवी इरफान अहमद।
कश्मीरी मौलवी की भूमिका: मूल रहस्योद्घाटन
जांच अधिकारियों के अनुसार, इरफान अहमद शोपियां का निवासी है और उसका प्रत्यक्ष संबंध पाकिस्तान समर्थित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से रहा है। यह तथ्य सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाता है कि इस मौलवी का प्रभाव सामान्य धार्मिक उपदेशों तक सीमित नहीं था; बल्कि यह चार डॉक्टरों के जीवन में गहरे वैचारिक परिवर्तन का कारण बन गया।
जिन डॉक्टरों का नाम सामने आया उनमें फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा मुजामिल शकील प्रमुख है, जिसके पास से करीब 2950 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई। इनमें अमोनियम नाइट्रेट जैसे घातक तत्व भी शामिल थे, जिनका उपयोग कार विस्फोट में किया गया।

मौलवी से पहली मुलाकात: आतंक की राह का आरंभ
मुजामिल शकील और विस्फोट को अंजाम देने वाले उमर की इस मौलवी से पहली मुलाकात वर्ष 2023 में हुई। वे एक मरीज को लेकर श्रीनगर के सरकारी अस्पताल जा रहे थे। यद्यपि उस मरीज की पहचान अभी सामने नहीं आई है, लेकिन यह मुलाकात ही आगे की कहानी की दिशा निर्धारित कर गई।
इस मुलाकात के बाद दोनों पक्षों ने अपने फोन नंबर साझा किए और अगले दो वर्षों में टेलीफोन कॉल व मैसेज के जरिए निरंतर संवाद बनाए रखा। इसी संवाद के दौरान मौलवी ने इन युवाओं को व्यवस्थित रूप से कट्टरपंथी बनाया। यह वैचारिक कट्टरता इतनी गहरी हो गई कि अंततः उमर ने विस्फोट को क्रियान्वित कर दिया।
बढ़ता नेटवर्क और नई कड़ियों का जुड़ना
मुजामिल शकील और उमर ने अपने कुछ अन्य साथियों का परिचय भी मौलवी इरफान से कराया। टेलिग्राम जैसे संवाद माध्यमों का उपयोग कर कट्टर विचारधारा का प्रसार किया गया और कई लोगों को धीरे-धीरे इस साजिशी चक्र में शामिल किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि मौलवी ने इन डॉक्टरों की मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से कराई।
ये वही बैठकें थीं जिन्हें बाद में दिल्ली विस्फोट की रूपरेखा का प्रथम चरण माना गया। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इन्हीं बैठकों में आतंकियों ने इन डॉक्टरों को दो असॉल्ट राइफलें भी उपलब्ध कराईं। इनमें से एक राइफल शाहिना सईद की मारुति स्विफ्ट डिज़ायर कार से मिली, जिसे साजिश की महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है।
‘मैडम सर्जन’ का रहस्य और महिला आतंक नेटवर्क
शाहिना सईद का कोड नेम ‘मैडम सर्जन’ बताया जा रहा है। जांचकर्ताओं का मत है कि शाहिना, जैश-ए-मोहम्मद की महिला शाखा जमीयत उलेमा-ए-हिंद से जुड़ी थी। इस शाखा को जैश के संस्थापक ने एक बड़े अभियान, ‘ऑपरेशन सिंदूर’, के बाद सक्रिय किया था। शाहिना की भूमिका इस पूरे प्रकरण में न केवल सामरिक स्तर पर महत्वपूर्ण बताई जा रही है, बल्कि वैचारिक प्रसार में भी उसकी भागीदारी सामने आई है।
आदिल अहमद राठेर और पोस्टर कांड
इस नेटवर्क का एक अन्य सदस्य आदिल अहमद राठेर था। वह श्रीनगर के जीएमसी से संबद्ध था। उसके लॉकर से दूसरी असॉल्ट राइफल बरामद हुई। इसी गतिविधि ने पुलिस को इस पूरे सेल का सुराग दिया। राठेर नौगाम में जैश के समर्थन में पोस्टर चिपकाते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। यह वीडियो फुटेज पुलिस के हाथ लगा और इसी के आधार पर उसकी पहचान और गिरफ्तारी संभव हुई।
राठेर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया, जहाँ उससे पूछताछ ने इस आतंकी सेल का पूरा जाल उजागर कर दिया। उसकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुजामिल शकील को पकड़ा गया, उससे विस्फोटक बरामद हुए और शाहिना सईद की भी पहचान सामने आई।
दिल्ली की सुरक्षा पर बढ़े सवाल
यह पूरा प्रकरण एक बार फिर संकेत देता है कि राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाले तत्व लगातार सक्रिय हैं और उनका नेटवर्क देश के विभिन्न राज्यों तक फैला हुआ है। डॉक्टरों जैसे शिक्षित वर्ग का इस प्रकार आतंकी गतिविधियों में शामिल होना सुरक्षा तंत्र और समाज दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यह न केवल कानून-व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि गलत वैचारिक प्रभाव किस प्रकार किसी भी व्यक्ति को चरमपंथ की ओर धकेल सकता है।
जांच आगे किस दिशा में?
जांच एजेंसियां अब मौलवी इरफान के अन्य संपर्कों की तलाश में हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह नेटवर्क देश के अन्य भागों में कितना फैला हुआ है और क्या इन डॉक्टरों को किसी बड़े अभियान के लिए तैयार किया जा रहा था। बरामद हथियारों, डिजिटल उपकरणों और संवाद रिकॉर्ड का फॉरेंसिक विश्लेषण तेज़ी से जारी है।
ऐसा माना जा रहा है कि यह विस्फोट केवल एक संकेत था और इसके पीछे बड़े अभियान की योजना हो सकती थी। अतः समूची जांच टीम अब इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा स्तर पर प्राथमिकता के साथ देख रही है।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।