प्रमुख प्रकरण: दिल्ली विस्फोट की साजिश में एक और अहम गिरफ्तारी
नयी दिल्ली में हुए भीषण विस्फोट ने देशभर की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र को लेकर कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। इसी कड़ी में राष्ट्रीय जाँच अभिकरण अपनी जांच को एक-एक चरण में आगे बढ़ा रहा है। इसी जांच के क्रम में अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी डॉक्टर उमर मुहम्मद के सहयोगी के रूप में माने जा रहे जासिर बिलाल वानी को दस दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया।
वानी, जो कश्मीर का रहने वाला है, लंबे समय से संगठन की निगरानी में था और उस पर तकनीकी सहायता प्रदान करने के गंभीर आरोप हैं। जांच के मुताबिक वह न केवल ड्रोन को संशोधित करने और विस्फोटक सामग्री के उपयोग से जुड़े उपकरणों को उन्नत बनाने में सक्षम था, बल्कि वह आतंकवादी समूह के साथ प्रत्यक्ष तकनीकी समन्वय भी साधता था।
जासिर बिलाल वानी की पृष्ठभूमि और आतंक नेटवर्क में भूमिका
जासिर बिलाल वानी, जिसे दानिश के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काज़ीगुंड क्षेत्र का निवासी बताया गया है। उसकी गिरफ्तारी पर एनआईए को पहले से ही कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ थीं, जो इस मामले को और गंभीर बनाती हैं।
जांच में पता चला है कि वानी लंबे समय से आतंकवादी डॉक्टर उमर मुहम्मद नबी के करीबी सहयोगियों में शामिल था। उसकी भूमिका केवल तकनीकी सहायता तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह आतंक योजना के कई चरणों में सक्रिय रूप से सम्मिलित था।
एजेंसी के अनुसार वानी उन्नत ड्रोन तैयार करने, विस्फोटक ले जाने वाले यंत्रों में संशोधन करने तथा सुरक्षा एजेंसियों की नज़र से बचने वाले उपकरण विकसित करने में विशेषज्ञता रखता था। यह भी सामने आया है कि वह एक नए प्रकार के रॉकेट तैयार करने की दिशा में भी प्रयासरत था, जो इस पूरे गिरोह की गंभीर मंशा को उजागर करता है।
दिल्ली विस्फोट की साजिश: घटनाक्रम और प्रारंभिक निष्कर्ष
दिल्ली में हुआ घातक विस्फोट एक वाहन-जनित आईईडी से कराया गया था। यह कार विस्फोटक से लदी हुई थी और भीड़ वाले क्षेत्र में खड़ी की गई थी। इस घटना के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने यह स्पष्ट किया कि यह घटना पूरी तरह सुनियोजित और बहुस्तरीय षड्यंत्र का परिणाम थी।
प्रारंभिक जांच में जैसे-जैसे तथ्य सामने आए, यह स्पष्ट होता गया कि इस साजिश में कई व्यक्तियों ने अलग-अलग स्तर पर सहयोग किया था। आतंकवादी उमर नबी, जो इस पूरी साजिश का मुख्य कर्ता-धर्ता बताया जा रहा है, ने दिल्ली में कार खरीदने से लेकर विस्फोटक तैयार करने और उसे सक्रिय करने तक कई तत्वों को अंजाम दिया था।
जासिर बिलाल वानी ने इस पूरी साजिश में वह तकनीकी सहायता प्रदान की, जिसकी वजह से आतंकियों को सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को भेदने में आसानी हुई।
एनआईए की खोजबीन: कई राज्यों में छापेमारी
वनी की गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने जांच को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाते हुए कई राज्यों में छापेमारी की है। एजेंसी विभिन्न डिजिटल उपकरणों, मोबाइल फोन, लैपटॉप और संदिग्ध संचार रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार आतंक नेटवर्क ने कई नकली पहचान और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके अपनी गतिविधियों को संचालित किया था। इस पूरे नेटवर्क पर नज़र रखने के लिए एजेंसी ने उच्च-स्तरीय तकनीकी सहायता का उपयोग किया है और आतंकियों के आपसी संपर्कों का डिजिटल नक्शा तैयार किया जा रहा है।
एनआईए का मानना है कि इस विस्फोट की योजना कई चरणों में तैयार की गई थी और इसमें देश के भीतर तथा बाहर बैठे कई व्यक्तियों का हाथ हो सकता है। जांच में अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की भी छानबीन की जा रही है।
एक और गिरफ्तारी: आमिर रशीद अली की भूमिका
इस मामले में सोमवार को अदालत ने आमिर रशीद अली को भी दस दिन की एनआईए हिरासत में भेजा। अली का नाम उस कार से जुड़ा है, जिसे विस्फोट के लिए उपयोग किया गया था। कार उसके नाम पर दर्ज थी और जांच में सामने आया कि वह सीधे-सीधे उमर नबी के संपर्क में था।
अली पर आरोप है कि वह दिल्ली आया और उसने कार खरीदने में सहायता की, जिसे बाद में आईईडी ले जाने के लिए परिवर्तित कर दिया गया। उसकी भूमिका भी साजिश में उतनी ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि उसने वाहनों की खरीद और प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आतंकियों को उपलब्ध कराई थी।
आतंकी साजिश की गुत्थी: एनआईए कहाँ तक पहुँची
जांच एजेंसी का मानना है कि हाल के वर्षों में आतंक संगठनों ने तकनीकी सहयोग, संचार माध्यमों की गुप्त तकनीकों और ड्रोन जैसे आधुनिक उपकरणों का बढ़ता उपयोग किया है। यही कारण है कि इस मामले में वानी की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है।
जांच में मिली नई जानकारियाँ संकेत देती हैं कि यह समूह भविष्य में और भी बड़े हमलों की योजना बना रहा था। एनआईए ने कई डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर यह भी पाया है कि आतंकियों के पास विस्तृत ब्लूप्रिंट और मॉड्यूल तैयार थे।
आने वाले दिनों में अदालत में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट इस पूरे प्रकरण को और स्पष्ट कर सकती है। वनी से मिलने वाली जानकारी भी इस जांच का सबसे अहम हिस्सा होगी।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।