एनआईए की कार्रवाई से विस्फोटक प्रकरण में नई दिशा
नई दिल्ली में हुए घातक कार बम विस्फोट ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर चुनौती दी थी। राजधानी में हुए इस धमाके में 13 लोगों की मृत्यु और 32 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस प्रकरण के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच की बागडोर अपने हाथ में ली और एक के बाद एक नए खुलासों ने देश का ध्यान इस मामले की ओर और अधिक खींचा। इसी क्रम में मंगलवार को एनआईए ने आतंकी डॉ. उमर मुहम्मद के सहयोगी जासिर बिलाल वानी को पटियाला हाउस अदालत में प्रस्तुत किया।
आतंकी साजिश की गहराती परतें
जासिर बिलाल वानी, जिसे दानिश के नाम से भी जाना जाता है, कश्मीर घाटी का निवासी है। एनआईए द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वानी आतंकियों को तकनीकी सहायता प्रदान करने में शामिल रहा है। विशेष रूप से, वह ड्रोन में संशोधन करने और रॉकेट विकसित करने का प्रयास कर रहा था, जिसका उद्देश्य संभावित आतंकी हमलों को अधिक घातक बनाना था।
जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि वानी कथित तौर पर उसी समूह का सक्रिय सदस्य है, जिसने दिल्ली में कार बम विस्फोट की पूरी योजना बनाई और उसे कार्यान्वित किया। वह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काज़ीगुंड क्षेत्र का रहने वाला बताया गया है।
डॉ. उमर मुहम्मद नबी के साथ करीबी संबंध
एनआईए की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि वानी ने मुख्य आरोपी डॉ. उमर मुहम्मद नबी के साथ क़रीब से काम किया था। दोनों के बीच नियमित संपर्क और तकनीकी संवाद की पुष्टि एजेंसी को मिली है। माना जा रहा है कि यह सम्पूर्ण हमला कई महीनों की योजना और तकनीकी तैयारी के बाद ही संभव हो सका।
वानी ने कथित रूप से विस्फोटक युक्त ड्रोन, रॉकेट तथा विशेष उपकरण तैयार करने में सहयोग दिया, जो आतंकी समूह का बड़ा इरादा दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस प्रकार की तकनीकी क्षमता को समय रहते रोका न जाए, तो भविष्य में ऐसे हमले और अधिक विनाशकारी रूप ले सकते हैं।
विभिन्न राज्यों में छापेमारी की कार्रवाई
एनआईए ने इस विस्फोट की जांच के दौरान कई राज्यों में छापेमारी की है। एजेंसी ने बताया कि विभिन्न टीमों को अनेक सुराग मिले हैं, जिनकी बारीकी से जांच की जा रही है। प्रारंभिक अनुमान यह दर्शाते हैं कि इस हमले में एक संगठित नेटवर्क शामिल था, जो राज्य की सीमाओं तथा क्षेत्रीय भौगोलिक स्थितियों का लाभ उठाकर साजिश को अंजाम देने का प्रयास कर रहा था।
एनआईए देश के कई हिस्सों में उन व्यक्तियों की तलाश कर रही है, जिन्होंने इस प्रकरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष सहायता प्रदान की हो। एजेंसी का दावा है कि कुछ संचार माध्यमों एवं डिजिटल डेटा की जांच से अहम जानकारी प्राप्त हुई है, जिसके आधार पर आगे की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ रही है।
कार बम कांड में एक और गिरफ्तारी
इस मामले में सोमवार को भी एक महत्वपूर्ण गिरफ्तारी हुई थी। कश्मीरी निवासी आमिर राशिद अली को एनआईए ने धर दबोचा था। आरोप है कि उसने मुख्य हमलावर उमर नबी के साथ मिलकर इस कार बम साजिश को अंजाम देने में सहायता की। विशेष रूप से, जिस कार का उपयोग विस्फोट के लिए किया गया, वह अली के नाम पर पंजीकृत पाई गई।
एनआईए को संदेह है कि अली ने दिल्ली आकर उसी कार की खरीद में मदद की, जिसका उपयोग बाद में वाहन जनित आईईडी बनाने में किया गया। अधिकारियों के अनुसार, घटना के बाद से ही इस वाहन की भूमिका जांच का केंद्रीय बिंदु बनी हुई थी।
साजिश के विस्तृत नेटवर्क पर एजेंसी की नजर
एनआईए अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस साजिश में किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क या सीमा पार तत्वों की भूमिका थी। प्रारंभिक जांच में कुछ संकेत मिले हैं कि तकनीकी उपकरणों और नए प्रकार के विस्फोटक संसाधनों के उपयोग के पीछे प्रशिक्षित समूह सक्रिय हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि एजेंसी साइबर चैनल, एन्क्रिप्टेड चैट और विदेशी संपर्कों की भी जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि हमले का संचालन अकेले स्थानीय तत्वों ने किया या इसमें किसी बड़े नेटवर्क का सहयोग मौजूद था।
पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद
दिल्ली में हुए इस दर्दनाक हादसे ने आम नागरिकों के मन में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ा दी थी। मृतकों के परिवार और घायलों के परिजन आज भी न्याय की उम्मीद में हैं। एनआईए के अनुसार, मामले की प्रत्येक कड़ी को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके।
विस्फोट के बाद से ही राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। महत्वपूर्ण स्थानों, सरकारी इमारतों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस ने भी अपनी गश्त बढ़ा दी है और आम नागरिकों से सतर्क रहने तथा किसी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत देने की अपील की है।
आगे की जांच और न्यायिक प्रक्रिया
जासिर बिलाल वानी की अदालत में पेशी के बाद एनआईए उसके रिमांड की मांग कर सकती है ताकि उससे विस्तृत पूछताछ की जा सके। यह उम्मीद जताई जा रही है कि वानी से पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण खुलासे सामने आएंगे, जो इस पूरे आतंकी तंत्र को उजागर करने में मददगार होंगे।
अदालत ने भी इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच एजेंसी को सहयोग प्रदान किया है। न्यायिक प्रक्रिया के तहत सभी आरोपियों को क्रमशः पूछताछ और अदालत में पेश किया जाएगा।
दिल्ली विस्फोट मामला सिर्फ एक आतंकी हमले की घटना नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत और संगठित साजिश का संकेत है। एनआईए द्वारा की गई लगातार कार्रवाई से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इस कांड में शामिल तत्व केवल स्थानीय नहीं, बल्कि एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हैं।
देश की प्रमुख जांच एजेंसी इस मामले में तेजी से काम कर रही है, और इसकी जटिलता को देखते हुए आगे और भी गिरफ्तारियाँ तथा खुलासे हो सकते हैं। राजधानी और देश की सुरक्षा एजेंसियाँ पूरी गंभीरता के साथ इस प्रकरण को सुलझाने में लगी हैं, ताकि भविष्य में ऐसे किसी आतंकी हमले को रोका जा सके।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।