दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा अलर्ट कड़ा, अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री पर सख्ती और डॉक्टरों से लेकर सेकंड हैंड गाड़ियों तक की बढ़ी निगरानी

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Delhi Blast: दिल्ली में अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री पर सख्ती और निगरानी के नए आदेश (File Photo)
लाल किला विस्फोट के बाद दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कई त्वरित कदमों के आदेश दिए। इनमें अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री का डिजिटल रिकॉर्ड, डॉक्टरों के डिग्री डेटा की जांच, सोशल मीडिया निगरानी और सेकंड हैंड गाड़ियों की बिक्री पर सख्ती शामिल है।
नवम्बर 21, 2025

दिल्ली में लाल किला के पास हुए विस्फोट ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। इस धमाके के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी को कई कठोर और तकनीकी रूप से उन्नत निर्देश जारी किए हैं। उनके इन निर्देशों का लक्ष्य असामाजिक और आतंकी गतिविधियों की रोकथाम करना है, ताकि आने वाले समय में राजधानी किसी भी खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रहे।

दिल्ली में सुरक्षा कड़ी करने के लिए नए निर्देश

नए निर्देशों का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक के दुरुपयोग पर रोक लगाना है। यह रसायन कृषि क्षेत्र और औद्योगिक कार्यों में भले ही इस्तेमाल होता हो, मगर दुर्भाग्य से इसे बम विस्फोटों में भी उपयोग किया जा सकता है। एलजी वीके सक्सेना ने अमोनियम नाइट्रेट की खरीद और बिक्री का डिजिटल रिकॉर्ड रखने का आदेश जारी किया है। इसका अर्थ यह होगा कि अब Delhi Blast 2025 जैसी कोई भी घटना दोबारा न हो इसके लिए सरकार डेटा स्तर पर निगरानी मजबूत करेगी।

अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि इस रसायन को खरीदने और बेचने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं का पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाए। विशेष रूप से विक्रेता और खरीदार की तस्वीर, पहचान और खरीद-फरोख्त की मात्रा का विवरण संधारित किया जाएगा। इससे अवैध इस्तेमाल करने वालों तक तत्काल पहुंचने में पुलिस और खुफिया एजेंसियों को मदद मिलेगी।

सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी गतिविधियों की वैज्ञानिक निगरानी

सन 2025 के दौर में आतंकवाद केवल हथियारों और विस्फोटकों तक सीमित नहीं है। इसकी जड़ें अब सोशल मीडिया और डिजिटल ब्रेनवॉशिंग तक फैली हुई हैं। इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए उपराज्यपाल ने ट्विटर X, Meta और अन्य प्लेटफॉर्म्स के प्रमुखों से कंसल्टेशन मीटिंग आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।

इन बैठकों में तकनीकी स्तर पर इस बात की रणनीति बनाई जाएगी कि कट्टरपंथी सोच या ब्रेनवॉशिंग करने वाली सामग्री को समय रहते कैसे हटाया जाए और संदिग्ध व्यक्तियों का रिकॉर्ड तुरंत कैसे ट्रैक किया जाए। यह कदम दिल्ली में साइबर इंटेलिजेंस को मजबूत करने की दिशा में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।

अस्पतालों में डेटा सत्यापन के लिए विशेष टीम की तैयारी

एलजी कार्यालय के अनुसार दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ का डेटा सत्यापित करने के लिए एक विशेष टीम बनाई जा सकती है। यह टीम केवल रिकॉर्ड ही नहीं बल्कि विदेशी डिग्री धारकों की पृष्ठभूमि की जांच भी करेगी। विस्फोट से जुड़े मामलों में तकनीकी और चिकित्सा ज्ञान के गलत इस्तेमाल की संभावना को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी कारण निजी अस्पतालों को भी सुरक्षा सहयोग के तहत जिम्मेदार बनाना जरूरी बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चिकित्सा पेशे के प्रति पारदर्शिता भी बढ़ेगी और फर्जी डिग्रीधारकों पर लगाम लगेगी।

सेकंड हैंड वाहन बाजार पर डिजिटल ट्रैकिंग की चुनौती

दिल्ली में रोजाना हजारों पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री होती है। किंतु अब सुरक्षा कारणों से इन वाहनों का पूरा डिजिटल इतिहास तैयार किया जाएगा। इस प्रक्रिया में वाहन के वास्तविक मालिक, चालक, भुगतान और फाइनेंस की शर्तें दर्ज होंगी। ऐसी स्थिति में फर्जी आईडी पर खरीदे गए वाहन आतंकियों के उपयोग में आसानी से नहीं आ सकेंगे। हालांकि इस प्रक्रिया से सेकंड हैंड वाहन बाजार में कुछ कंपनियों को अतिरिक्त खर्च और प्रबंधन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ इसे एक आवश्यक कदम मानते हैं।

डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का डेटा भी रहेगा पुलिस निगरानी में

चिकित्सा क्षेत्र हमेशा संवेदनशील माना जाता है। विस्फोट या आतंकवादी गतिविधियों में अक्सर मेडिकल ज्ञान का दुरुपयोग भी देखा गया है। इसको ध्यान में रखते हुए एलजी सचिवालय ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है जिसके अनुसार सभी निजी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का रिकॉर्ड रखा जाएगा।

विशेष रूप से उन मेडिकल प्रोफेशनल्स का डेटा पुलिस के साथ साझा किया जाएगा जिन्होंने विदेश से मेडिकल डिग्री हासिल की है। इस कदम के पीछे तर्क यह है कि अगर कहीं विदेशी प्रभाव, झूठी डिग्री या संदिग्ध पृष्ठभूमि सामने आए, तो समय रहते उस पर कार्रवाई की जा सके।

सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री पर विशेष निगरानी

आतंकी गतिविधियों में प्राय: पुराने वाहन इस्तेमाल किए जाते हैं, जिन्हें किराए पर लेकर या नकली दस्तावेज़ों से इस्तेमाल में लाया जाता है। दिल्ली में यह खतरा अधिक देखा जाता है, खासकर ऑटो रिक्शा और बिना सत्यापन वाले रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों में।

इसी कारण उपराज्यपाल ने सेकंड हैंड गाड़ियों की बिक्री और खरीद पर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और फाइनेंसर कंपनियों के साथ मीटिंग आयोजित करने का आदेश दिया है। स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि रजिस्टर्ड मालिक और वास्तविक चालक अलग नहीं होना चाहिए। अगर कोई गाड़ी गलत इस्तेमाल की जा रही हो और रिकॉर्ड मिलान न हो, तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा व्यवस्था में नागरिकों की भागीदारी भी होगी महत्वपूर्ण

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल पुलिस या खुफिया विभाग के भरोसे सुरक्षा तंत्र मजबूत नहीं हो सकता। एलजी ने सुझाव दिया है कि नागरिकों को भी सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया जाए। इसके लिए कम्युनिटी आउटरीच कार्यक्रम चलेंगे, जिनका उद्देश्य जनता को संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और रिपोर्टिंग के प्रति जागरूक करना होगा।

नागरिकों की भागीदारी से प्रिवेंटिव पुलिसिंग और मजबूत होगी, जिससे किसी भी संभावित आतंकी घटना को समय रहते रोका जा सके।

Delhi Blast 2025 की घटना ने राजधानी के सुरक्षा तंत्र को नए सिरे से मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। अमोनियम नाइट्रेट की सख्त निगरानी, सोशल मीडिया की वैज्ञानिक ट्रैकिंग, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का विस्तृत डेटा, और सेकंड हैंड वाहनों का रिकॉर्ड—ये सभी कदम मिलकर दिल्ली को एक मजबूत और सुरक्षित महानगर बनाने की दिशा में अहम साबित होंगे।

यह स्पष्ट है कि अब सुरक्षा व्यवस्था केवल कार्रवाई के बाद नहीं बल्कि उससे पहले रोकथाम की नई सोच पर आधारित होगी।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.