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दिल्ली धमाके में आतंकी उमर को साली के घर छिपाने वाला शोएब गिरफ्तार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी से मिला तार

Delhi Blast: दिल्ली धमाके में आतंकी उमर को छिपाने वाला शोएब गिरफ्तार, अल-फलाह लिंक का खुलासा
Delhi Blast: दिल्ली धमाके में आतंकी उमर को छिपाने वाला शोएब गिरफ्तार, अल-फलाह लिंक का खुलासा (File Photo)
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके के मामले में एनआईए ने सातवें आरोपी शोएब को गिरफ्तार किया है। फरीदाबाद के धौज निवासी शोएब पर आरोप है कि उसने आतंकी डॉक्टर उमर नबी को नूंह की हिदायत कॉलोनी में अपनी साली के घर छिपाया था। शोएब अल-फलाह यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन है और वहीं से आरोपी डॉक्टरों के संपर्क में आया। उमर नबी 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक इसी कमरे में रहकर धमाके की योजना बनाता रहा। इस हमले में 15 लोगों की मौत हुई थी। जांच में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं।
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राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भयानक धमाके की जांच में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने इस मामले में अब तक सातवें आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इस आरोपी का सीधा संबंध अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है। यह वही शिक्षण संस्थान है जहां से डॉक्टरों के आतंकी मॉड्यूल का खुलासा हुआ था और देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई थीं।

शोएब की गिरफ्तारी से मिली बड़ी सफलता

एनआईए द्वारा पकड़ा गया यह नया आरोपी शोएब है, जो हरियाणा के फरीदाबाद जिले के धौज इलाके में रहता है। जांच एजेंसी के मुताबिक, शोएब ने जिस तरह से आतंकी डॉक्टर उमर उन नबी की मदद की, वह बेहद गंभीर मामला है। शोएब पर आरोप है कि उसने ना सिर्फ आतंकी को अपने रिश्तेदार के घर पर छिपाया, बल्कि धमाके से पहले उसे जरूरी सामान मुहैया कराने में भी अहम भूमिका निभाई। यह मामला उस वक्त और भी संवेदनशील हो जाता है जब हम यह समझते हैं कि इस धमाके में 15 लोगों की जान गई और करीब 20 लोग घायल हो गए थे।

आतंकी को नूंह में छिपाने की पूरी कहानी

जांच में सामने आई जानकारी के अनुसार, जब 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉक्टर मुजम्मिल को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार कर लिया, तो आतंकी डॉक्टर उमर नबी को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी। उसने तुरंत अंडरग्राउंड होने का फैसला किया और यहीं पर शोएब उसकी मदद के लिए आगे आया। शोएब ने अपने रिश्तेदारी के संबंधों का इस्तेमाल करते हुए आतंकी डॉक्टर के लिए एक सुरक्षित ठिकाना तलाश किया।

शोएब ने उमर नबी को हरियाणा के नूंह जिले की हिदायत कॉलोनी में अपनी साली के घर पर किराए पर कमरा दिलवा दिया। यह जगह आतंकी के लिए बिल्कुल सुरक्षित मानी गई क्योंकि यहां किसी को शक होने की संभावना कम थी। उमर नबी 30 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक इसी कमरे में छिपा रहा। इन दिनों के दौरान उसने दिल्ली में धमाके की पूरी योजना तैयार की और जरूरी सामान जुटाया। 10 नवंबर को वह यहीं से निकलकर दिल्ली गया और लाल किले के पास भयानक धमाका कर दिया।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कनेक्शन

शोएब की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जांच में पता चला है कि वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम करता है। यही वह जगह है जहां उसकी मुलाकात आरोपी डॉक्टरों उमर नबी और मुजम्मिल से हुई। धीरे-धीरे इनके बीच नजदीकी बढ़ी और शोएब इनकी आतंकी गतिविधियों का हिस्सा बन गया। यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि यह दिखाता है कि किस तरह एक शिक्षण संस्थान में काम करने वाले अलग-अलग स्तर के लोग आतंकी नेटवर्क का हिस्सा बन सकते हैं।

एनआईए के अधिकारियों का मानना है कि शोएब के पास इस पूरे मामले की बहुत महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती है। उसे यह पता होगा कि उमर नबी नूंह में रहते हुए किन-किन लोगों से मिला, कहां से विस्फोटक सामग्री जुटाई गई, धमाके की योजना किस तरह बनाई गई और इस पूरे षड्यंत्र में और कौन-कौन लोग शामिल थे। जांचकर्ता अब शोएब से विस्तृत पूछताछ करके इस मामले की गहराई तक जाने की कोशिश कर रहे हैं।

सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई थी आतंकी की गतिविधि

दिल्ली धमाके के बाद जांच एजेंसियों ने जब आतंकी उमर नबी की गतिविधियों को ट्रैक करना शुरू किया तो नूंह जिले में उसकी कार कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई। यह सफेद रंग की आई-20 कार थी जिसका इस्तेमाल उमर नबी आवाजाही के लिए कर रहा था। जांच अधिकारियों को गोयल अल्ट्रासाउंड एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के पास बालाजी पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरे में यह कार साफ दिखाई दी।

इसके अलावा, यह कार दिल्ली-मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे के टोल प्लाजा पर भी कैमरे में रिकॉर्ड हुई थी। इन सभी फुटेज से आतंकी उमर नबी की आवाजाही का एक पैटर्न मिल रहा था जो जांच में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जांचकर्ताओं को यह भी पता चला कि फिरोजपुर झिरका में रहने के दौरान डॉक्टर उमर ने एटीएम से पैसे निकालने की कोशिश की थी। इसके सीसीटीवी फुटेज को भी एजेंसियां बारीकी से देख रही हैं ताकि उसकी पूरी गतिविधि का नक्शा तैयार किया जा सके।

बड़े पैमाने पर मिले विस्फोटक

इस मामले में हुई गिरफ्तारियों और छापेमारी से जो जानकारी सामने आई है, वह बेहद चौंकाने वाली है। 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब डॉक्टर मुजम्मिल को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किया तो इस पूरे आतंकी नेटवर्क की जांच शुरू हो गई। 9 नवंबर को जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस ने मिलकर धौज गांव की एक कॉलोनी से डॉक्टर मुजम्मिल के किराए के कमरे की तलाशी ली। यहां से 358 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और हथियार बरामद किए गए।

अगले ही दिन यानी 10 नवंबर को फतेहपुर तगा गांव की एक कॉलोनी में डॉक्टर मुजम्मिल के दूसरे किराए के कमरे से 2563 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया। यह इतनी बड़ी मात्रा थी कि इससे कई बड़े धमाके किए जा सकते थे। इस खोज ने साबित कर दिया कि यह कोई छोटी-मोटी योजना नहीं थी, बल्कि एक बड़े आतंकी षड्यंत्र का हिस्सा था जिसमें कई लोग शामिल थे।

जांच में नए खुलासे की संभावना

शोएब की गिरफ्तारी के साथ ही जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि इस मामले में और भी नए खुलासे होंगे। चूंकि शोएब ने आतंकी उमर को नूंह में छिपाया था और वह उसकी गतिविधियों को नजदीक से देख रहा था, इसलिए उसके पास महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती है। जांचकर्ता यह जानना चाहते हैं कि क्या इस नेटवर्क में और भी लोग शामिल हैं, विस्फोटक सामग्री कहां से आई, इस योजना को तैयार करने में कितने लोगों ने मदद की और क्या आगे भी कोई धमाके की योजना बनाई जा रही थी।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कनेक्शन ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है। सुरक्षा एजेंसियां अब यह देख रही हैं कि क्या इस संस्थान में ऐसे और भी लोग हैं जो आतंकी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। शिक्षण संस्थानों का इस तरह दुरुपयोग होना एक बड़ी चिंता का विषय है।

सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता

इस पूरे मामले में सुरक्षा एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई सराहनीय रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, फरीदाबाद पुलिस, हरियाणा पुलिस और एनआईए ने मिलकर जिस तरह से काम किया है, उससे यह साफ होता है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था सतर्क है। लगातार छापेमारी, गिरफ्तारियां और सीसीटीवी फुटेज की जांच से यह पूरा नेटवर्क धीरे-धीरे सामने आ रहा है।

हालांकि, इस घटना ने यह भी दिखा दिया है कि आतंकी किस तरह आम लोगों के बीच छिपकर अपनी योजनाएं बनाते हैं। शोएब जैसे लोग जो सामान्य नौकरी करते हैं, वे भी इस तरह के नेटवर्क का हिस्सा बन सकते हैं। यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपने आसपास की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और संदिग्ध हरकतों की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देनी चाहिए।

दिल्ली धमाका मामला अब धीरे-धीरे सुलझता नजर आ रहा है, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। शोएब से पूछताछ में जो जानकारी मिलेगी, वह इस पूरे मामले को समझने में मददगार साबित होगी।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.