दिल्ली विस्फोट के आरोपी उमर का वीडियो सामने आया, ईडी की बड़ी कार्रवाई
दिल्ली के हाल ही में हुए आतंकवादी विस्फोट की जांच में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आया है। मुख्य आरोपी आतंकवादी उमर नबी का एक खौफनाक वीडियो सामने आया है जिसमें वह आत्मघाती हमलों को न्यायसंगत ठहराते हुए अपनी आतंकवादी विचारधारा को स्पष्ट करता है। इसी बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए व्हाइट कॉलर टेररिज्म और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में चार राज्यों के 30 ठिकानों पर एक साथ छापामारी की है। यह कार्रवाई हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इन छापामारियों में शेल कंपनियों के एक विस्तृत नेटवर्क को लक्षित किया गया है जो संभवतः आतंकवाद के लिए धन संचित करने में लगे थे।
🚨 Terrorist Umar recorded a spine-chilling video before the Delhi blast, which has now come to light. pic.twitter.com/jX38wXcHw1
— OsintTV 📺 (@OsintTV) November 18, 2025
उमर नबी का वीडियो और उसका खतरनाक संदेश
दिल्ली विस्फोट के मुख्य आरोपी उमर नबी के इस नए वीडियो में एक कमरे में अकेला बैठा दिखाई दे रहा है। करीब एक मिनट 20 सेकंड की लंबाई वाले इस वीडियो में उमर अंग्रेजी में आत्मघाती हमलों को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास कर रहा है। वीडियो में उमर की सबसे खतरनाक कथन यह है कि इस्लाम में सुसाइड को हराम माना जाता है लेकिन बॉम्बिंग जायज है। यह कथन न केवल धार्मिक विकृति को दर्शाता है बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि कैसे आतंकवादी तत्व धर्म का दुरुपयोग करके हिंसा को न्यायसंगत ठहराते हैं। वीडियो में उमर आगे कहता है कि जब कोई व्यक्ति यह मान लेता है कि उसकी मृत्यु एक निर्धारित समय और स्थान पर होगी, तो वह एक बेहद खतरनाक मानसिक स्थिति में पहुंच जाता है। इस स्थिति में वह विश्वास करने लगता है कि मृत्यु ही उसकी एकमात्र मंजिल है। यह मनोविज्ञान आतंकवादियों को सबसे ज्यादा हिंसक कार्यों में सक्षम बनाता है।
विडंबना और विरोधाभास का एक नया स्तर
वीडियो में उमर नबी ने एक विरोधाभासपूर्ण बयान दिया है। उसने कहा है कि हालांकि आत्मघाती हमले एक ख़तरनाक मानसिक स्थिति से उत्पन्न होते हैं, लेकिन ऐसी परिस्थितियाँ या सोच किसी भी लोकतांत्रिक या मानवीय व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं हो सकती। क्योंकि वे जीवन, समाज और कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। विडंबना यह है कि उमर स्वयं ही इस सीमा का उल्लंघन करके एक आतंकवादी विस्फोट को अंजाम दिया, जिसमें कम से कम 13 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। वह जो कुछ वीडियो में कह रहा है, उसके विपरीत उसके कार्य हैं। यह दोहरापन आतंकवादियों की मानसिकता को साफ करता है कि कैसे वे अपने कार्यों के विरुद्ध तर्क देते हैं लेकिन फिर भी उन्हें अंजाम देते हैं।
जांच एजेंसियों द्वारा वीडियो की गहन समीक्षा
जांच एजेंसियाँ उमर नबी के इस वीडियो की गहनता से जांच कर रही हैं। विशेषज्ञों की मानसिकता पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि कैसे एक व्यक्ति आतंकवाद की ओर मुड़ता है और अपने विचारों को वीडियो के माध्यम से प्रचारित करता है। जांच टीम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उमर नबी ने इस वीडियो के अलावा और भी वीडियो बनाए थे। ऐसा माना जा रहा है कि उमर ने अन्य वीडियो भी बनाए होंगे जिनमें वह आतंकवाद को लेकर प्रचार कर रहा हो। इन वीडियों का विश्लेषण करके जांच एजेंसियाँ यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि उमर का आतंकवादी नेटवर्क कितना बड़ा है और उसका विचारधारात्मक प्रभाव कितने लोगों पर पड़ा है। साथ ही, वीडियो में दी गई सूचनाएँ उस टीम को ट्रैक करने में मदद कर सकती हैं जिसके साथ उमर काम कर रहा था।
अल फलाह यूनिवर्सिटी और ईडी की छापामारी
ईडी की छापामारी अल फलाह यूनिवर्सिटी के नाम से पंजीकृत ट्रस्ट से जुड़ी है। हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित यह संस्थान आतंकवादी नेटवर्क के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ है। ईडी ने व्हाइट कॉलर टेररिज्म और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फरीदाबाद, दिल्ली, मध्य प्रदेश और एक अन्य राज्य में कुल 30 ठिकानों पर एक साथ छापामारी की। इस ऑपरेशन में अल फलाह ट्रस्ट और इससे जुड़े सभी संस्थानों की भूमिका को जांच के दायरे में लाया गया। ट्रस्ट से जुड़े वित्त और प्रशासन के प्रमुख जिम्मेदार व्यक्तियों को भी इस सर्च ऑपरेशन में कवर किया गया। यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि किस तरह से आतंकवादी तत्व शैक्षणिक संस्थानों के नाम पर धन संचित कर रहे थे।
शेल कंपनियों का नेटवर्क और संदिग्ध पैटर्न
ईडी की जांच में सबसे महत्वपूर्ण खोज यह है कि अल फलाह ग्रुप से जुड़ी नौ शेल कंपनियाँ एक ही पते पर पंजीकृत हैं। ये शेल कंपनियाँ आतंकवादी नेटवर्क के लिए धन संचित करने का एक सुव्यवस्थित तरीका लग रहा है। शुरुआती जांच में कई ऐसे संकेत मिले हैं जो शेल कंपनियों के विशिष्ट पैटर्न से मेल खाते हैं। उदाहरण के लिए, इन कंपनियों के बिजनेस लोकेशन पर कोई भी शारीरिक उपस्थिति नहीं है। न ही बिजली, पानी या अन्य यूटिलिटी के इस्तेमाल का कोई रिकॉर्ड है। यह स्पष्ट संकेत है कि ये कंपनियाँ केवल कागज पर मौजूद हैं और वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि में लिप्त नहीं हैं। ऐसी कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य धन को छिपाना और उसे एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करना है। ईडी का मानना है कि इन शेल कंपनियों के माध्यम से आतंकवाद के लिए धन एकत्र किया जा रहा था।
अमित शाह की बैठक और जांच में नई रफ्तार
कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, केंद्रीय खुफिया एजेंसी (आईबी), ईडी और एनआईए के प्रमुख अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि दिल्ली विस्फोट और आतंकियों के व्हाइट कॉलर टेररिज्म से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकवाद के सभी इनपुट्स को बेहद सतर्कता से खंगाला जाए। इसके लिए ईडी और एनआईए को विशेष तौर पर जांच करने का ग्रीन सिग्नल दिया गया था। इस बैठक के बाद से ही ईडी और एनआईए अधिक आक्रामक तरीके से कार्य कर रहे हैं। यह कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार दिल्ली विस्फोट के पूरे आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एनआईए का छापा और पूछताछ जारी
एनआईए ने भी अल फलाह यूनिवर्सिटी में छापामारी की थी। इस छापामारी में डॉ. निसार की पत्नी और बेटी को हिरासत में लिया गया था। एनआईए की पूछताछ का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना थी। क्या इस संस्थान के माध्यम से धन का संचय किया जा रहा था। क्या यह संस्थान आतंकवादी भर्ती में भी भूमिका निभा रहा था। ये सभी प्रश्न जांच एजेंसियों के सामने हैं। पूछताछ अभी जारी है और माना जा रहा है कि इसमें अधिक महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आएँगी। अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े अन्य व्यक्तियों की भी पूछताछ की जा रही है।
आतंकवाद की अर्थव्यवस्था और भविष्य की दिशा
यह मामला दिखाता है कि आतंकवाद की एक पूरी अर्थव्यवस्था है। आतंकवादी संगठन केवल हिंसा नहीं करते, बल्कि वे धन संचय के लिए भी एक जटिल नेटवर्क बनाते हैं। शेल कंपनियाँ, ट्रस्ट, संस्थान – ये सभी आतंकवादी धन को छिपाने और स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ईडी और एनआईए की यह जांच न केवल दिल्ली विस्फोट की जांच है, बल्कि यह आतंकवादी वित्त पोषण के पूरे तंत्र को उजागर करने का प्रयास है। आने वाले समय में ऐसी जांचें और अधिक गहराई से होंगी। सरकार की रणनीति यह है कि आतंकवादियों के धन के स्रोतों को समाप्त करके उनकी गतिविधियों को रोका जा सकता है। यह एक दीर्घकालिक रणनीति है जो आतंकवाद से लड़ने के लिए आवश्यक है।