लाल क़िला विस्फोट के बाद केंद्र ने बढ़ते प्रचार ख़तरे पर चेताया, समाचार चैनलों को सतर्क रहने का निर्देश

Delhi Blast Update
Delhi Blast Update: केंद्र सरकार ने मीडिया को अतिसंवेदनशील प्रसारण से बचने का निर्देश दिया (Photo: IANS)
लाल क़िला विस्फोट के बाद केंद्र सरकार ने निजी टीवी चैनलों को आपत्तिजनक और प्रचारात्मक सामग्री प्रसारित न करने की चेतावनी दी। मंत्रालय ने ऐसे प्रसारणों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। खुफिया एजेंसियाँ ऑनलाइन प्रचार, पाकिस्तान-स्थित खातों और जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रही हैं।
नवम्बर 18, 2025

सूचना प्रसारण मंत्रालय की चेतावनी और मीडिया की भूमिका

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लाल क़िले पर हुए विस्फोट के बाद केंद्र सरकार ने देशभर के निजी उपग्रह चैनलों को प्रसारण संबंधी एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है। यह परामर्श न केवल मीडिया के लिए दिशा-निर्देश का कार्य करता है, बल्कि वर्तमान सुरक्षा परिवेश को ध्यान में रखते हुए अत्यंत आवश्यक भी प्रतीत होता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी इस चेतावनी में कहा गया है कि कुछ चैनल आपत्तिजनक सामग्री, संदिग्ध व्यक्तियों के बयान, तथा विस्फोटक बनाने से संबंधित वीडियो या जानकारी प्रसारित कर रहे हैं, जो अनजाने में हिंसा को बढ़ावा देने का कारण बन सकती है।

आतंकवादी प्रचार सामग्री का दुष्प्रभाव

सरकार के अनुसार ऐसे प्रसारण, जो आतंकी घटनाओं को सही ठहराने का प्रयास करते हैं या जिनमें हिंसा की तकनीकों का खुला उल्लेख होता है, देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। इस प्रकार की प्रचार सामग्री समाज में भय, भ्रम और अस्थिरता फैलाने का माध्यम बन जाती है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इस तरह के प्रसारण आतंकवादी संगठनों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध हथियार के समान हैं, क्योंकि वे इस सामग्री को अपने डिजिटल अभियानों में उपयोग कर सकते हैं।

कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसे प्रसारण ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995’ के अंतर्गत निर्धारित कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता का उल्लंघन करते हैं। विशेष रूप से नियम 6(1)(d), 6(1)(e) और 6(1)(h) का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि कोई भी सामग्री जो हिंसा, अराजकता, या राष्ट्र-विरोधी तत्वों को बढ़ावा देती हो, उसका प्रसारण प्रतिबंधित है। यह दायित्व मीडिया संस्थानों पर भी है कि वे प्रसारण से पूर्व सामग्री की संवेदनशीलता का आकलन करें।

लाल क़िला विस्फोट की पृष्ठभूमि

दिल्ली के प्रतिष्ठित सुरक्षा-संवेदनशील स्थल लाल क़िले पर हुए हालिया विस्फोट ने न केवल स्थानीय पुलिस बल्कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है। यह हमला जैश-ए-मोहम्मद के फ़रीदाबाद मॉड्यूल द्वारा संचालित किया गया था। इस घटना में 13 से अधिक निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, जिससे देशभर में आक्रोश और चिंता का माहौल उत्पन्न हुआ। सुरक्षा एजेंसियाँ अब इस नेटवर्क और इसके मूल स्रोतों की तलाश में जुटी हैं।

ऑनलाइन प्रचार तंत्र की बढ़ती सक्रियता

पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी संगठनों द्वारा डिजिटल प्रचार के प्रयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पाकिस्तान-स्थित कई सोशल मीडिया खातों के माध्यम से फर्जी समाचार, भ्रामक वीडियो, और आंशिक तथ्यों पर आधारित क्लिप प्रसारित किए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य भारत के युवाओं को भ्रमित करना और उन्हें गलत दिशा में ले जाना है। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया है कि आतंकी संगठन टीवी चैनलों की वीडियो क्लिपों को काट-छाँटकर सोशल मीडिया पर नए रूप में प्रसारित करते हैं, जिससे वे अपनी विचारधारा को बल दे सकें।

आईएसआई की सक्रिय रणनीति और नए मॉड्यूल्स

खुफिया एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) बड़ी संख्या में कट्टरपंथी युवाओं की भर्ती करने की योजना बना रही है। यह संगठन भारत भर में नए मॉड्यूल स्थापित करने की कोशिश में है, जो फ़रीदाबाद मॉड्यूल की तरह संरचना और संचालन में स्वायत्त हों। ऐसे मॉड्यूल प्रायः डिजिटल माध्यमों से संचालित होते हैं और इन्हें स्थानीय पर्यावरण में घुलमिल कर काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

सुरक्षा समीक्षा बैठकें और सरकार की रणनीति

लाल क़िला विस्फोट के बाद केंद्र सरकार ने कई उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं। इन बैठकों में शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि केवल भौतिक सुरक्षा को मजबूत करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऑनलाइन संसार में मौजूद खतरों की निगरानी भी उतनी ही आवश्यक है। विशेषकर उन प्लेटफॉर्मों पर नजर रखना ज़रूरी है, जहाँ आतंकवादी प्रचार सामग्री तीव्र गति से फैलती है। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी प्रकार की गलत सूचना, प्रचार सामग्री या हिंसा को उकसाने वाले संदेशों को समय रहते पहचान कर रोकना राष्ट्रीय हित में है।

मीडिया के लिए संयम और ज़िम्मेदारी

केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मीडिया राष्ट्र-निर्माण का अभिन्न अंग है, और उसका दायित्व है कि वह ऐसी संवेदनशील घटनाओं की रिपोर्टिंग करते समय समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा का ध्यान रखे। सरकार ने चैनलों को यह भी याद दिलाया कि टीआरपी की होड़ में आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नैतिक रूप से भी अस्वीकार्य है।

चल रही जांच और आगे की कार्रवाई

लाल क़िला विस्फोट की जांच अभी जारी है और प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हो चुका है कि यह हमला सुनियोजित था। सुरक्षा एजेंसियाँ इस मॉड्यूल के अन्य सदस्यों तथा इनके संभावित संपर्कों की पहचान में लगी हैं। सरकार ने संकेत दिया है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर नीतिगत और तकनीकी सुधार किए जाएंगे।


यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.