दिल्ली में नाबालिग अपराध का बढ़ता भय: कर्दमपुरी में 15 वर्षीय किशोर की हत्या ने उठाए सवाल
घटना स्थल: अंबेडकर कॉलेज के पीछे देर रात खूनखराबा
राजधानी दिल्ली एक बार फिर नाबालिग अपराधियों के डरावने कारनामे से सहम उठी। कर्दमपुरी के अंबेडकर कॉलेज के पीछे शुक्रवार रात लगभग 11:25 बजे एक किशोर की डरावनी हत्या ने इलाके को दहशत में डाल दिया। घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस वारदात में शामिल दो आरोपियों में से एक स्वयं नाबालिग है। पुलिस के अनुसार, पीड़ित लड़का कर्दमपुरी का ही रहने वाला 15 वर्षीय किशोर था, जिसे झगड़े के दौरान चाकू से कई वार कर मौत के हवाले कर दिया गया।
पुलिस जांच में सामने आए शुरुआती तथ्य
ज्योति नगर पुलिस थाने में दर्ज की गई रिपोर्ट के अनुसार, घटना के पीछे लड़कों के बीच किसी विवाद की आशंका जताई गई है। पुलिस के शुरुआती बयान में कहा गया कि तीन लड़कों के बीच किसी पुरानी रंजिश, निजी बहस या आपसी जलन के चलते विवाद बढ़ा। इसी दौरान दो लड़कों ने मिलकर 15 वर्षीय किशोर पर ताबड़तोड़ चाकू से वार कर दिए। फॉरेंसिक टीम को जमीन से खून के निशान, कपड़े के टुकड़े और धारदार हथियार से हमले के प्रमाण मिले हैं। पुलिस ने दोनों आरोपियों की पहचान सुनिश्चित कर ली है और बताया है कि घटनास्थल पर मौजूद गवाहों के बयान भी रिकॉर्ड किए गए हैं।
नाबालिग अपराध में बढ़ती क्रूरता
राजधानी दिल्ली में नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराधों के बढ़ते स्वरूप ने समाजशास्त्र और पुलिसिंग सिस्टम को गंभीर चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जहां एक ओर सोशल मीडिया, हिंसक ऑनलाइन गेम्स, गलत संगति और घरेलू वातावरण का प्रभाव कम उम्र में गलत दिशा दे रहा है, वहीं कानूनी सुरक्षा के नाम पर अपराध करने वाले नाबालिग अपराधियों में बेफिक्री बढ़ रही है। आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों में किशोरों द्वारा की गई हत्या, झगड़े और लूट की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद रोकथाम उपायों की गति बेहद धीमी है।
परिवार, समाज और व्यवस्था की त्रुटियाँ
किशोर अपराध केवल कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक विफलता का संकेत भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, जब घर में बच्चों को अनुशासन, नैतिकता और मानसिक सहयोग नहीं मिलता, तब वे समाज में गलत अनुभवों से प्रेरित होकर आक्रामकता अपनाते हैं। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में आपसी संवेदनशील शिक्षा का अभाव भी इस दिशा में एक गंभीर कारण माना जाता है। दिल्ली जैसे महानगर में बच्चों पर बढ़ता तकनीकी, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दबाव भी अपराध की ओर झुकाव को बढ़ा रहा है।
पुलिस कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया
घटना की संवेदनशीलता को समझते हुए पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हमले की प्रकृति और मौत के वास्तविक कारणों पर प्रकाश पड़ेगा। साथ ही, आरोपी नाबालिग के संबंध में किशोर न्याय बोर्ड के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जबकि दूसरे आरोपी पर आपराधिक धाराओं के तहत सख्त दंडात्मक कार्रवाई की उम्मीद है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या झगड़े के पीछे कोई गैंग, सोशल मीडिया चुनौती, गलत दोस्ती या दोस्तों के बीच मानसिक प्रतियोगिता जैसी कोई वजह थी।
क्या बदलना होगा प्रणाली में
यदि सरकार, समाज और पुलिस व्यवस्था इस तरह की वारदात को रोकना चाहती है, तो सिर्फ अपराध के बाद की कार्रवाई नहीं, बल्कि रोकथाम और निवारक प्रयासों को प्राथमिकता देनी होगी। स्कूल स्तर पर व्यवहारिक शिक्षा, परिवारों में संवाद, तकनीकी प्लेटफॉर्म पर निगरानी और कठोर किशोर कानून का संतुलित ढांचा नाबालिग अपराध को कम करने में कारगर साबित हो सकता है। कानून यह सुनिश्चित करे कि नाबालिग होने के नाम पर अपराध की गंभीरता को कम न किया जाए और समाज भी बच्चों की भावनाओं पर सक्रिय नजर रखे।