दिल्ली-एनसीआर की हवा में मामूली सुधार, लेकिन सांस लेने में मुश्किलें बरकरार
दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर सर्दियों की शुरुआत के साथ फिर बढ़ने लगा है। मंगलवार को हालांकि हवा में हल्का सुधार दर्ज किया गया, लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अब भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी के करीब बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 172 दर्ज किया गया जो ‘अनहेल्दी फॉर सेंसिटिव ग्रुप्स’ यानी संवेदनशील लोगों के लिए हानिकारक स्तर को दर्शाता है।
किन इलाकों में हवा सबसे ज्यादा खराब
दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर अलग-अलग देखा गया। शाम 6 बजे के आंकड़ों के अनुसार:
| इलाका | AQI |
|---|---|
| चांदनी चौक | 170 |
| शादीपुर | 169 |
| दिलशाद गार्डन | 169 |
| जहांगीरपुरी | 165 |
| बवाना | 164 |
| द्वारका | 161 |
| डीयू नॉर्थ कैंपस | 159 |
| बुराड़ी | 156 |
| द्वारका सेक्टर-8 | 154 |
| पूसा | 151 |
Source: https://aqicn.org/city/delhi/
सबसे अधिक प्रदूषण चांदनी चौक में दर्ज किया गया, जहां AQI 170 तक पहुंच गया। वहीं शादीपुर और दिलशाद गार्डन में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब रही। यह स्तर विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी रोगियों के लिए खतरनाक है।

मौसम और हवा की रफ्तार बना कारण
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इन दिनों हवा की रफ्तार बेहद धीमी है, जिससे प्रदूषक तत्व जमीन के पास जमा हो रहे हैं। साथ ही, पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने का धुआं भी राजधानी की हवा में मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में हवा की गति और तापमान में सुधार नहीं हुआ, तो प्रदूषण का स्तर “गंभीर” श्रेणी में पहुंच सकता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी: “सावधानी जरूरी”
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. वीना अरोड़ा का कहना है, “AQI 150 से ऊपर पहुंचने पर यह संवेदनशील समूहों जैसे अस्थमा, हृदय और फेफड़ों के मरीजों के लिए खतरनाक होता है। लोगों को सुबह की सैर और खुली हवा में व्यायाम से परहेज करना चाहिए।” उन्होंने सुझाव दिया कि घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग बढ़ाया जाए और अनावश्यक वाहन उपयोग से बचा जाए।
सरकारी एजेंसियों की तैयारी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने कई इलाकों में पानी का छिड़काव, सड़कों की मशीनों से सफाई और निर्माण स्थलों पर कवरिंग जैसे उपाय शुरू किए हैं। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के “ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)” के तहत भी कई प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिनमें धूल नियंत्रण और डीजल वाहनों पर रोक शामिल है।
पड़ोसी राज्यों से धुंध का असर
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की हवा में PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा सामान्य से दो गुना तक अधिक पाई गई। इसमें सबसे बड़ा योगदान पंजाब और हरियाणा से आने वाली पराली के धुएं का है। SAFAR इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली का योगदान 26% तक दर्ज किया गया।
एनसीआर में भी हाल खराब
नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे एनसीआर के शहरों में भी वायु गुणवत्ता ‘मॉडरेट से पुअर’ श्रेणी के बीच रही। गुरुग्राम में औसत AQI 162 और नोएडा में 168 दर्ज किया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से मास्क पहनने, घर में पौधे लगाने और प्रदूषण के समय अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।
जनता में बढ़ती चिंता
लोगों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता बढ़ रही है। दिल्ली निवासी राकेश मेहरा ने कहा, “सुबह के समय धुंध इतनी घनी होती है कि दस मीटर आगे दिखना मुश्किल है। बच्चों को स्कूल भेजना भी जोखिम भरा लगता है।”
दिल्ली-एनसीआर में फिलहाल हवा में मामूली सुधार दिखा है, लेकिन हालात सामान्य नहीं हैं। प्रदूषण का स्तर अब भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक प्रयास, सख्त नीतियाँ और जागरूकता से ही राजधानी की हवा को स्वच्छ बनाया जा सकता है।