दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ था। लेकिन अब हवा की रफ्तार बढ़ने और मौसम में बदलाव के कारण वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार देखने को मिला है। इस सुधार को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रैप-3 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तीसरे चरण की पाबंदियां हटाने का फैसला किया है। हालांकि यह राहत अस्थायी मानी जा रही है क्योंकि हवा अभी भी अति खराब श्रेणी में बनी हुई है।
दिल्ली की हवा में आया सुधार
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 327 के स्तर पर दर्ज किया गया। यह आंकड़ा एक दिन पहले मंगलवार को 353 था। इसका मतलब है कि सिर्फ 24 घंटे में हवा की गुणवत्ता में 26 अंकों का सुधार हुआ है। पिछले हफ्ते 23 नवंबर को यह सूचकांक 391 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था जब दिल्ली के कई इलाकों में हवा गंभीर श्रेणी में आ गई थी।
हवा की तेज रफ्तार से मिली मदद
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पिछले तीन दिनों से दिल्ली में हवा की रफ्तार में तेजी आई है। साथ ही तेज धूप भी निकली है। इन दोनों कारणों से वातावरण में मौजूद धुंध और प्रदूषक कण तेजी से बिखर रहे हैं। हवा के प्रवाह से प्रदूषण का स्तर कम होने में मदद मिली है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि यह सुधार अस्थायी हो सकता है और मौसम में फिर से बदलाव होने पर प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।
ग्रैप-3 की पाबंदियां हटीं
वायु गुणवत्ता में सुधार को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की उप-समिति ने ग्रैप के तीसरे चरण की पाबंदियां वापस लेने का फैसला लिया है। यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। आयोग ने अपने 11 नवंबर के आदेश को वापस ले लिया है जिसमें स्टेज-3 की पाबंदियां लगाई गई थीं। हालांकि ग्रैप के पहले और दूसरे चरण की पाबंदियां अभी भी जारी रहेंगी और उन पर सख्ती से अमल किया जाएगा।
निर्माण कार्यों पर रहेगी पाबंदी
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने साफ कर दिया है कि जिन निर्माण और तोड़फोड़ स्थलों को पहले नियमों के उल्लंघन के लिए बंद करने का आदेश दिया गया था, उन्हें अभी काम शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इन स्थलों को तब तक काम फिर से शुरू नहीं करना होगा जब तक उन्हें आयोग से विशेष अनुमति का आदेश नहीं मिल जाता। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि नियम तोड़ने वाले स्थलों पर सख्त कार्रवाई बनी रहे।
एजेंसियों को सख्ती के निर्देश
ग्रैप की उप-समिति ने सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे पहले और दूसरे चरण के नियमों को सख्ती से लागू करें। प्रदूषण नियंत्रण विभाग, परिवहन विभाग, नगर निगम और अन्य एजेंसियों को कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया है। समिति ने यह भी कहा है कि वह दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर लगातार नजर रखेगी और स्थिति की नियमित समीक्षा करती रहेगी। आगे के फैसले वास्तविक समय के एक्यूआई स्तर और मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के आधार पर लिए जाएंगे।
अभी भी दोगुना है प्रदूषण
हालांकि वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है लेकिन दिल्ली की हवा अभी भी सुरक्षित नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार बुधवार दोपहर दो बजे दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषक कण पीएम 10 का स्तर 288 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। वहीं पीएम 2.5 का स्तर 157 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। यह आंकड़े निर्धारित मानकों से दोगुना हैं। पीएम 2.5 के लिए सुरक्षित मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 के लिए 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
आगे के दिनों में क्या होगा
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी रह सकती है। हालांकि गंभीर श्रेणी में जाने की संभावना कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हवा की गति बनी रही और धूप निकलती रही तो स्थिति में और सुधार हो सकता है। लेकिन अगर मौसम में फिर से बदलाव आया और हवा की गति कम हुई तो प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ सकता है।
ग्रैप क्या है
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप एक आपातकालीन योजना है जो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर के अनुसार लागू होती है। इसके चार चरण हैं। पहला चरण तब लागू होता है जब एक्यूआई 201 से 300 के बीच हो। दूसरा चरण 301 से 400 के बीच, तीसरा चरण 401 से 450 के बीच और चौथा यानी सबसे गंभीर चरण 450 से ऊपर लागू होता है। हर चरण में अलग-अलग पाबंदियां होती हैं जो प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगाई जाती हैं।
लोगों को रहना होगा सावधान
भले ही प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ है लेकिन दिल्ली की हवा अभी भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनी हुई है। डॉक्टरों की सलाह है कि लोगों को खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को बाहर जाते समय मास्क जरूर पहनना चाहिए। सुबह-शाम की सैर से बचना चाहिए क्योंकि उस समय प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है। घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए और खिड़की-दरवाजे बंद रखने चाहिए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का यह फैसला राहत देने वाला है लेकिन यह भी सच है कि दिल्ली के प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान अभी भी नहीं निकला है। हर साल सर्दियों में यही स्थिति बनती है और लोगों को सांस लेने में मुश्किल होती है। जरूरत इस बात की है कि सरकार और नागरिक मिलकर प्रदूषण को कम करने के दीर्घकालिक उपाय करें।