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दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद को मिली अंतरिम जमानत, बहन की शादी में शामिल होने की मिली इजाजत

Delhi riots case: दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद को अंतरिम जमानत, जानें पूरा मामला
Delhi riots case: दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद को अंतरिम जमानत, जानें पूरा मामला (File Photo)
दिल्ली की अदालत ने 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले के आरोपी उमर खालिद को बहन की शादी के लिए सात दिन की अंतरिम जमानत दी। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर पिछले पांच साल से यूएपीए के तहत जेल में बंद हैं। यह पहली बार है जब उन्हें अदालत से राहत मिली है। परिवार ने फैसले का स्वागत किया है।
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले के आरोपी उमर खालिद को अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया है। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को यह राहत उनकी बहन की शादी में शामिल होने के लिए दी गई है। उमर खालिद पिछले पांच सालों से जेल में बंद हैं और इस दौरान उन्होंने कई बार जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यह पहली बार है जब अदालत ने उन्हें राहत देते हुए अंतरिम जमानत मंजूर की है।

पांच साल बाद मिली राहत

उमर खालिद को फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब से लेकर अब तक वह जेल में बंद हैं। इस मामले में उन पर यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चल रहा है। यह कानून बेहद सख्त माना जाता है और इसके तहत जमानत मिलना आसान नहीं होता। उमर खालिद ने पिछले पांच सालों में कई बार जमानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन हर बार उनकी अर्जी खारिज हो जाती थी। इस बार उन्होंने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।

अदालत के फैसले की खास बातें

दिल्ली की अदालत ने उमर खालिद को सात दिनों की अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया है। इस दौरान उन्हें अपनी बहन की शादी में शामिल होने की इजाजत दी गई है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह जमानत केवल पारिवारिक कार्यक्रम के लिए है और इसकी कुछ शर्तें भी हैं। उमर को इन शर्तों का पालन करना होगा और तय समय पर वापस जेल लौटना होगा। अदालत का यह फैसला मानवीय आधार पर लिया गया है, क्योंकि परिवार में शादी जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर शामिल होना हर व्यक्ति का बुनियादी अधिकार माना जाता है।

क्या है पूरा मामला

फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों में करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। पुलिस के मुताबिक, ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए थे। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से इन दंगों को भड़काया था। पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दंगों की साजिश रची और लोगों को भड़काने का काम किया।

यूएपीए के तहत केस

उमर खालिद पर यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। यह कानून आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत जमानत मिलना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि इसमें आरोपी को यह साबित करना होता है कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप बिल्कुल गलत हैं। उमर खालिद ने कई बार यह तर्क दिया कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और वह निर्दोष हैं, लेकिन अब तक उन्हें नियमित जमानत नहीं मिल सकी है।

कानूनी लड़ाई जारी

उमर खालिद की ओर से उनके वकीलों ने लगातार तर्क दिया है कि उनके मुवक्किल को बिना किसी ठोस सबूत के जेल में रखा गया है। वकीलों का कहना है कि पुलिस के पास केवल संदेह है, लेकिन कोई पुख्ता सबूत नहीं है जो उमर को दंगों से जोड़ता हो। दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि उमर खालिद ने दंगों की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी। पुलिस ने अदालत में कई बार कहा है कि अगर उमर को जमानत मिलती है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।

जेएनयू के पूर्व छात्र नेता

उमर खालिद जेएनयू के पूर्व छात्र नेता रह चुके हैं और उन्हें एक सक्रिय एक्टिविस्ट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आवाज उठाई है। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में सक्रिय थे और विभिन्न आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि वह एक विचारक और शांतिप्रिय व्यक्ति हैं, जबकि विरोधियों का मानना है कि वह विवादास्पद गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

परिवार की खुशी

उमर खालिद के परिवार ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। परिवार के सदस्यों ने कहा कि पांच साल बाद उमर अपनी बहन की शादी में शामिल हो सकेंगे, यह उनके लिए बहुत बड़ी राहत है। परिवार ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही उमर को नियमित जमानत भी मिल जाएगी और वह बाहर आ सकेंगे। परिवार का कहना है कि उमर निर्दोष हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

उमर खालिद को अंतरिम जमानत मिलने पर अलग-अलग राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ दलों ने इसे न्याय की दिशा में एक छोटा कदम बताया है, जबकि कुछ ने इस पर सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि यूएपीए जैसे सख्त कानूनों का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है। वहीं, सत्ताधारी पक्ष का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और अदालत ही सही फैसला करेगी।

आगे क्या होगा

फिलहाल उमर खालिद को सात दिनों की अंतरिम जमानत मिली है। इसके बाद उन्हें वापस जेल लौटना होगा। उनकी नियमित जमानत की अर्जी पर अदालत में सुनवाई जारी रहेगी। कानूनी जानकारों का कहना है कि यूएपीए के मामलों में जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन अगर अदालत को लगता है कि आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं, तो जमानत मिल सकती है। उमर खालिद के वकील इसी आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं।

दिल्ली दंगा मामला बेहद संवेदनशील और जटिल है। इस मामले में कई लोग जेल में बंद हैं और उनके परिवार न्याय की उम्मीद में अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। उमर खालिद को मिली यह अंतरिम जमानत एक राहत भरी खबर है, लेकिन असली न्याय तभी मिलेगा जब मामले की पूरी सुनवाई होगी और अदालत अंतिम फैसला सुनाएगी।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।