संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विपक्षी दलों को एक स्पष्ट और सीधा संदेश दिया है। उन्होंने संसद भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए विपक्ष की हालिया रणनीति पर सवाल उठाए और उनसे देश हित में रचनात्मक भूमिका निभाने की अपील की। प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि संसद का सत्र देश की जनता के लिए फायदेमंद होना चाहिए। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे नाटकीयता और नारेबाजी से ऊपर उठकर नीतिगत मुद्दों पर ध्यान दें। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी चाहिए और नारों की जगह नीति पर जोर होना चाहिए।
बिहार चुनाव हार पर तंज
प्रधानमंत्री ने मजाकिया लहजे में बिहार चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष इस हार से काफी अशांत दिख रहा है। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा कि चुनावी हार की निराशा को संसद में न लाएं और देश के विकास के लिए सकारात्मक योगदान दें। पीएम मोदी ने इशारों में यह भी कहा कि बिहार की जनता ने विपक्ष की नारेबाजी को खारिज कर दिया है और विकास की राजनीति को चुना है।
बिहार में एनडीए गठबंधन की शानदार जीत के बाद यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से इस पर टिप्पणी की। उन्होंने इस जीत को जनता के विश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि लोग नकारात्मक राजनीति से ऊब चुके हैं।
Speaking at the start of the Winter Session of Parliament. May the session witness productive discussions. https://t.co/7e6UuclIoz
— Narendra Modi (@narendramodi) December 1, 2025
संसद सत्र की बर्बादी पर चिंता
प्रधानमंत्री ने पिछले मानसून सत्र की बर्बादी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के हंगामे की वजह से कई महत्वपूर्ण विधेयक और चर्चाएं नहीं हो पाईं। पीएम मोदी ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे इस बार ऐसा न होने दें और संसद को सुचारू रूप से चलने दें।
उन्होंने कहा कि देश की जनता संसद सदस्यों को उत्पादक कार्य करने के लिए भेजती है, न कि हंगामा करने के लिए। प्रधानमंत्री का यह बयान विपक्ष के उस रवैये पर सीधा प्रहार था जिसमें वे अक्सर संसद में नारेबाजी और हंगामे का सहारा लेते हैं।
नीति बनाम नाटक की राजनीति
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में साफ किया कि संसद नाटक करने की जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन्हें नाटक करना है वे बाहर कर सकते हैं, लेकिन संसद में डिलीवरी होनी चाहिए। यह बयान विपक्ष की उस रणनीति पर करारा प्रहार था जिसमें वे अक्सर मुद्दों को उठाने के बजाय हंगामा करते हैं।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि संसद में नारों की नहीं बल्कि ठोस नीतियों की जरूरत है। उन्होंने विपक्ष से कहा कि वे अपनी बात रखें, बहस करें लेकिन संसद को ठप न करें। देश के विकास के लिए जरूरी कानूनों को पास करने में सहयोग करें।
विपक्ष से सहयोग की अपील
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने विपक्ष से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि मतभेद हो सकते हैं लेकिन देश हित सर्वोपरि है। पीएम मोदी ने कहा कि सभी दलों को मिलकर ऐसे कानून बनाने चाहिए जो जनता के लिए फायदेमंद हों।
उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा कि वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में सोचें। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार हर सकारात्मक सुझाव को सुनने और लागू करने के लिए तैयार है।
शीतकालीन सत्र का एजेंडा
इस शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है। सरकार कई सुधारात्मक कानूनों को पास कराना चाहती है। इसके अलावा कई मुद्दों पर चर्चा भी होनी है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि यह सत्र उत्पादक साबित हो और देश के विकास में योगदान दे।
विपक्ष की तैयारी
दूसरी ओर विपक्षी दल भी इस सत्र के लिए तैयारी कर रहे हैं। वे सरकार से कई मुद्दों पर जवाब मांगने की तैयारी में हैं। हालांकि बिहार चुनाव में हार के बाद विपक्षी एकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ विपक्षी दल अब अलग रणनीति अपनाने की बात कर रहे हैं।
आगे की राह
प्रधानमंत्री का यह संदेश साफ है कि सरकार इस बार संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। विपक्ष को भी समझना होगा कि जनता उनसे रचनात्मक विपक्ष की उम्मीद करती है न कि विध्वंसक राजनीति की। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस संदेश पर कैसी प्रतिक्रिया देता है।
संसद का यह सत्र भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगा। यह देखना होगा कि क्या सभी दल मिलकर देश हित में काम करते हैं या फिर राजनीतिक स्वार्थों में उलझे रहते हैं। प्रधानमंत्री की अपील के बाद अब सभी की नजरें संसद के इस सत्र पर टिकी हैं।