राहुल गांधी की प्राथमिकता सत्ता नहीं, राष्ट्र का धर्मनिरपेक्ष चरित्र सुरक्षित रखना: रॉबर्ट वाड्रा का दावा

Priyanka Gandhi
Priyanka Gandhi: राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की रक्षा पर रॉबर्ट वाड्रा का बड़ा बयान (Photo: IANS)
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए सत्ता से अधिक महत्व देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा का है। बिहार चुनाव में कांग्रेस की हार के बीच वाड्रा का यह बयान राजनीतिक बहस को नया आयाम देता है और गांधी परिवार की वैचारिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
नवम्बर 18, 2025

भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को सर्वोच्च मानने की सोच

नयी दिल्ली, 18 नवम्बर। कारोबार जगत से जुड़े रॉबर्ट वाड्रा ने मंगलवार को भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील पहलू को सार्वजनिक रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए चुनावी जीत या हार कभी भी प्राथमिकता नहीं रही। उनके अनुसार, गांधी परिवार के इन दोनों सदस्यों की राजनीति का केन्द्रबिंदु सदैव देश का धर्मनिरपेक्ष चरित्र, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और जनता के हितों को सर्वोपरि रखना रहा है।

रॉबर्ट वाड्रा ने एक साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया कि राहुल गांधी “राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने और सांवैधानिक मूल्यों की रक्षा” को ही अपनी मूल राजनीतिक प्रतिबद्धता मानते हैं। उनके इस कथन ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है, विशेषकर उस समय जब बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस और महागठबंधन में भारी निराशा का माहौल बना हुआ है।

गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत और विचारधारा

वाड्रा ने कहा कि राहुल और प्रियंका गांधी ने अपने पूर्वजों से राजनीति की गहरी समझ और राष्ट्र के प्रति संवेदनशीलता सीखी है। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार चुनावी जीत-हार के चक्रीय खेल को कभी भी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं मानता।
रॉबर्ट वाड्रा के शब्दों में, “उन्होंने अपने परिवार को कई ऐतिहासिक जीतें और कठिन पराजयों से गुजरते देखा है। परंतु इन सबके बावजूद उनकी प्राथमिक चिंता देश की प्रगति और भारत को एक मजबूत, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने की है।”

चुनावी आलोचनाओं पर विपक्षी प्रतिक्रियाएँ

राहुल गांधी को राजनीति में ‘अनुचित’ या ‘अयोग्य’ बताने वाली टिप्पणियों का जवाब देते हुए वाड्रा ने कहा कि यदि परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए होते, तो वही आलोचक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का संभावित दावेदार बताने में पीछे नहीं हटते। उन्होंने कहा कि राजनीति में नेतृत्व का मूल्यांकन केवल परिणामों की तराजू से नहीं किया जाना चाहिए।

उनका यह कथन ऐसे समय आया है जब कांग्रेस नेताओं ने भारतीय निर्वाचन आयोग और भाजपा पर बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी और मतदाताओं के नाम हटाने जैसे आरोप लगाए थे। चुनाव आयोग और भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। बावजूद इसके, महागठबंधन ने मतदाता धांधली को मुद्दा बनाते हुए चुनाव प्रचार में काफी आक्रामक रुख अपनाया था।

मतदाता धोखाधड़ी के आरोप और बिहार चुनाव की चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों ने न केवल कांग्रेस बल्कि पूरे महागठबंधन को झटका दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 200 से अधिक सीटें हासिल करते हुए चुनाव में स्पष्ट बढ़त बनाई, जबकि महागठबंधन 35 के आंकड़े को भी पार नहीं कर सका। यह परिणाम कांग्रेस के लिए कई स्तरों पर चिंतन का विषय बना हुआ है।

इसी संदर्भ में वाड्रा ने कहा कि यदि चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से आयोजित किए जाते, तो परिणाम पूरी तरह उलट हो सकते थे। उनके इस बयान ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है, क्योंकि बैलेट पेपर बनाम ईवीएम की बहस समय-समय पर विपक्ष की ओर से उठती रही है।

राहुल गांधी की राजनीति का मूल स्वभाव

रॉबर्ट वाड्रा ने राहुल गांधी की राजनीति की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे चुनावी समीकरणों से अधिक व्यापक और दीर्घकालिक राष्ट्रहित में सोचते हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती, सामाजिक सद्भाव और संविधान की मूल आत्मा उनकी प्राथमिकता है।

उनके अनुसार, “राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ही अपने देश के प्रति अटूट प्रेम और सेवा की भावना रखते हैं। सत्ता का मोह या चुनावी आंकड़े उनकी सोच को प्रभावित नहीं करते। उनके लिए देश पहले है और राजनीति उसके बाद।”

बिहार में कांग्रेस के प्रदर्शन पर अंतर्कलह

बिहार के परिणामों के बाद कांग्रेस के भीतर प्रदर्शन को लेकर कई सवाल उठे हैं। पार्टी के अंदर रणनीतियों, नेतृत्व और संगठनात्मक संरचना पर भी व्यापक चर्चा चल रही है। ऐसे दौर में रॉबर्ट वाड्रा का यह बयान कांग्रेस नेतृत्व को एक नैतिक समर्थन प्रदान करता है, साथ ही यह भी संकेत देता है कि गांधी परिवार की राजनीतिक समझ और राष्ट्र की दिशा पर उनकी दृष्टि अभी भी कांग्रेस की प्रमुख आधारशिला है।

भाजपा की संभावित प्रतिक्रिया

वाड्रा के इस बयान पर भाजपा की कड़ी प्रतिक्रिया आना तय माना जा रहा है। भाजपा पहले भी राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस की राजनीति पर सवाल उठाती रही है। अब वाड्रा के इन बयानों को भाजपा राजनीतिक हमला करने का एक नया अवसर मान सकती है।

देशहित बनाम चुनावी रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रॉबर्ट वाड्रा का यह बयान दो संदेश देता है—पहला यह कि कांग्रेस नेतृत्व चुनावी पराजय को अपनी विचारधारा पर चोट के रूप में नहीं देख रहा, और दूसरा यह कि महागठबंधन की हार के बावजूद राहुल गांधी की राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति पर आधारित नहीं है।

उनका दृष्टिकोण अधिक वैचारिक और राष्ट्रहित केंद्रित है, जिसमें धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय प्रमुख स्तंभ हैं। यह बयान आने वाले समय में कांग्रेस की दिशा और रणनीतियों की संभावित झलक भी दे सकता है।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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