राजधानी दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद की एक अहम बैठक शुरू हुई। इस दो दिन चलने वाली बैठक में देशभर से करीब 300 संत और धर्मगुरु पहुंचे हैं। केंद्रीय मार्ग दर्शक मंडल की इस बैठक में हिंदू समाज के सामने आ रही समस्याओं पर गहरी चर्चा हो रही है। खासतौर पर मंदिरों पर सरकारी कब्जे, धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं और मजहबी कट्टरता जैसे मुद्दों पर संतों ने अपनी चिंता जताई है।
बैठक की शुरुआत और मुख्य मुद्दे
यह बैठक शाम तीन बजे शुरू हुई जिसकी अध्यक्षता ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने की। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कहा कि हिंदू समाज आज कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने संतों से समाज को सही दिशा दिखाने की अपील की।
आलोक कुमार ने बताया कि देशभर में हजारों मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं जबकि दूसरे धर्मों के पूजा स्थल पूरी तरह आजाद हैं। यह भेदभाव हिंदू समाज के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने मांग की कि सभी हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उनका प्रबंधन हिंदू समाज को सौंपा जाए।

धर्मांतरण पर सख्त कानून की मांग
बैठक में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताई गई। विहिप के नेताओं ने कहा कि देश के कई हिस्सों में लालच देकर या दबाव बनाकर गरीब और कमजोर हिंदुओं का धर्म बदलवाया जा रहा है। यह एक संगठित साजिश के तहत हो रहा है जिसे रोकना जरूरी है।
संतों ने मांग की कि धर्म स्वातंत्र्य कानून को पूरे देश में एक जैसा लागू किया जाए। कुछ राज्यों में यह कानून है लेकिन कई जगह नहीं है। इससे एक समान व्यवस्था नहीं बन पा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी जबरन या लालच से धर्मांतरण करवाए उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

जिहादी सोच और कट्टरता पर चिंता
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ समूह आज खुलेआम जिहाद और आतंकी सोच को सही बताने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में हाल में हुए आतंकी हमले के आरोपी का समर्थन करने वाले लोग मिल रहे हैं। यह बेहद खतरनाक संकेत है।
उन्होंने संसद से मांग की कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाया जाए। जो भी आतंकवाद या जिहादी सोच को बढ़ावा दे उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। देश की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

पश्चिम बंगाल की गंभीर स्थिति
बैठक में पश्चिम बंगाल से आए संतों ने राज्य में हिंदुओं की दुर्दशा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वहां कट्टरपंथी खुलेआम जिहादी बयान दे रहे हैं और हिंदुओं को डराया जा रहा है। महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं लेकिन प्रशासन चुप बैठा है।
संतों ने कहा कि बंगाल में जो हो रहा है वह सिर्फ उस राज्य की समस्या नहीं बल्कि पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है। अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह समस्या दूसरे राज्यों में भी फैल सकती है।
सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का आह्वान
सुधांशु जी महाराज ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि 500 साल के संघर्ष के बाद हिंदू समाज ने यह जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत हमारे संतों और सांस्कृतिक परंपराओं में है।
उन्होंने गुरुकुल, आश्रम, पुजारी परंपरा और संस्कार केंद्रों को मजबूत बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना बहुत जरूरी है। सनातन धर्म की शिक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाना होगा।
जनगणना में हिंदू लिखने का आग्रह
बैठक में एक महत्वपूर्ण मुद्दा आगामी जनगणना को लेकर भी उठाया गया। विहिप के नेताओं ने सभी हिंदुओं से अपील की कि जब भी जनगणना हो तो वे अपना धर्म साफ तौर पर हिंदू ही लिखें। कई बार लोग अपनी जाति या समुदाय का नाम लिख देते हैं जिससे सही आंकड़े नहीं आते।
सीमावर्ती इलाकों में नशे की समस्या
बैठक में सीमा के पास वाले इलाकों में बढ़ती सामाजिक समस्याओं पर भी चर्चा हुई। खासकर नशे की लत युवाओं को बर्बाद कर रही है। संतों ने नशामुक्ति अभियान चलाने की बात कही और कहा कि समाज को इसमें आगे आना होगा।
जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या असंतुलन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सभी समुदायों पर एक जैसा कानून होना चाहिए ताकि संतुलन बना रहे।
मंदिरों की मुक्ति पर जोर
बैठक में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। हजारों मंदिरों की संपत्ति और आय पर सरकार का नियंत्रण है जबकि मस्जिद और चर्च पूरी तरह स्वतंत्र हैं। यह असमानता खत्म होनी चाहिए।
प्रमुख संतों और नेताओं की उपस्थिति
इस बैठक में जगद्गुरु स्वामी राम कमलचार्य, अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद, स्वामी विवेकानंद, गीता मनीषी ज्ञानानंद सहित देशभर के कई प्रमुख संत मौजूद रहे। विहिप के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंघल, संरक्षक दिनेश चंद्र, सह संगठन मंत्री विनायक राव और केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी भी शामिल हुए।
यह दो दिवसीय बैठक बुधवार तक चलेगी जिसमें और भी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा जिसमें हिंदू समाज के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी।