हाइवे किनारे कोड और टेलीग्राम ग्रुप: राष्ट्रविरोधी हथियार तस्करी का बड़ा खुलासा

Highway Code Telegram Group
Highway Code Telegram Group: शुद्ध हिंदी में हथियार तस्करी का बड़ा खुलासा (Image Source: UP Police)
गुजरात एटीएस ने पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा संचालित हथियार तस्करी का खुलासा किया। “हाइवे किनारे” कोड और टेलीग्राम ग्रुप का प्रयोग कर राजस्थान से अहमदाबाद तक हथियार पहुंचाए जा रहे थे। 200 से अधिक सदस्य शामिल थे। मुख्य आरोपी जल्द गिरफ्त में होंगे।
नवम्बर 17, 2025

हाइवे किनारे कोड: हथियार तस्करी का गुप्त नेटवर्क

गुजरात एटीएस ने हाल ही में एक बड़े आतंकवाद संबंधी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा संचालित हथियार तस्करी से जुड़ा था। इस नेटवर्क में टेलीग्राम ग्रुप और “हाइवे किनारे” नामक गुप्त कोड का प्रयोग कर राजस्थान से अहमदाबाद तक हथियारों की सप्लाई की जाती थी।

पड़ताल में सामने आया बड़ा नेटवर्क

शामली और झिंझाना के रहने वाले आजाद शेख और लखीमपुर खीरी के सुहैल के गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए। आरोपी बताते हैं कि हथियारों की डिलीवरी के लिए गुप्त कोड का प्रयोग किया जाता था ताकि सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह किया जा सके।

एटीएस सूत्रों के अनुसार, अबू खदीजा और अबू आल्हा नामक आईएसआई के हैंडलरों ने पूरी लॉजिस्टिक चेन को टेलीग्राम ग्रुप और कोड भाषा के माध्यम से संचालित किया। टेलीग्राम कॉल पर बातचीत के दौरान हथियारों की लोकेशन को “हाइवे किनारे” कहकर संदर्भित किया जाता था।

हाथों-हाथ हथियारों का नेटवर्क और भ्रमित करने की योजना

जांच के दौरान यह पाया गया कि हनुमानगढ़ से हथियार उठाने के स्थान तक “हाइवे किनारे” कोड का ही प्रयोग किया गया। आरोपी आजाद शेख ने कबूल किया कि इसी कोड का इस्तेमाल वह भी संपर्क के लिए करता था।

इस तरह की गुप्त संचार पद्धति ने जांच एजेंसियों के लिए कार्य कठिन कर दिया था। हथियारों की सप्लाई के मार्ग को सामान्य बातचीत में छिपाने की योजना थी।

टेलीग्राम ग्रुप: आतंकियों की नई पाठशाला

जांच में यह भी सामने आया कि अबू खदीजा और अबू आल्हा ने टेलीग्राम पर “टीएल ग्रुप” बनाया हुआ था। इस ग्रुप में हथियारों की तस्वीरें, सप्लाई लोकेशन और भारत में हमलों से जुड़ी योजनाएं साझा की जाती थीं। करीब 200 से अधिक सदस्य इसमें सक्रिय थे, जिनमें से अधिकांश अब रडार पर हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और तेजी


गुजरात एटीएस की सतर्कता और तेज़ कार्रवाई के कारण ही यह बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ। एजेंसी ने संदिग्धों की गतिविधियों पर महीनों तक नजर रखी और विभिन्न स्थानों से जुड़े कॉल लॉग, वित्तीय लेन-देन और सोशल मीडिया कम्युनिकेशन की जांच की। इस सतर्कता ने न केवल हथियारों की डिलीवरी रोकी, बल्कि बड़े संभावित हमलों को भी टालने में मदद की।

ग्रामीण इलाकों में गुप्त संदेशों की भूमिका


जांच में सामने आया कि आतंकियों ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों का उपयोग गुप्त संदेशों के आदान-प्रदान के लिए किया। खेतों, रास्तों और बस स्टॉप जैसी जगहों पर छोटे संकेत और कोड लिखे जाते थे, ताकि स्थानीय लोग और सुरक्षा बल इन्हें सामान्य गतिविधि समझ लें। इस तरह की गुप्त संचार पद्धति आतंकियों की योजना को काफी समय तक छिपाए रखने में कारगर रही।

आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया


एटीएस ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेज़ की जाएगी। गिरफ्तार किए गए आतंकियों के मोबाइल और कंप्यूटर से मिले दस्तावेज़ों की जांच से और अधिक सुराग मिलने की संभावना है। एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए भी कार्रवाई जारी रहेगी, ताकि आतंकवाद और हथियार तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

नशे के मार्गों का इस्तेमाल हथियार तस्करी में

आरोपियों की पूछताछ में यह भी उजागर हुआ कि राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के नशे की तस्करी के मार्गों का उपयोग हथियारों की तस्करी के लिए किया जाता था। एटीएस इसे एक बड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क का संकेत मान रही है। अहमदाबाद फॉरेंसिक लैब में आरोपियों के मोबाइल फोन से कई और अहम जानकारियां मिलने की संभावना है।

कोलकाता जमात और मोबाइल फोन का रहस्य

सूत्रों के अनुसार, कोलकाता जमात के दौरान आजाद का मोबाइल फोन कॉमन फोन के रूप में प्रयोग हुआ। जमात में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित था, इसलिए केवल आजाद और एक अन्य व्यक्ति के पास फोन था। इसी वजह से विभिन्न स्थानों से कॉल लॉग फोन में मिले, हालांकि एजेंसियों ने स्पष्ट किया कि इन लोगों की भूमिका संदिग्ध नहीं थी।

एटीएस का दावा: मुख्य आरोपी जल्द गिरफ्त में

एटीएस अहमदाबाद के डीएसपी हर्ष कुमार के अनुसार: “हथियारों की सप्लाई और टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ी जानकारी हाथ लगी है। नशे के मार्गों से हथियार पहुंचाने की योजना भी सामने आई है। जांच तेजी से जारी है और अन्य आरोपी जल्द गिरफ्त में होंगे।”

पूरा मामला

9 नवंबर को गुजरात एटीएस ने झिंझाना के आजाद शेख, लखीमपुर खीरी के सुहैल और अहमदाबाद के अहमद मोइय्यूद्दीन को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में गिरफ्तार किया। इनके पास से एक कार, पिस्टल, तीन कारतूस और चार लीटर कैस्टल ऑयल बरामद हुआ, जो विष बनाने के कच्चे रसायन के रूप में उपयोग हो सकता था।