दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए भयानक धमाके की जांच में हर दिन नए और चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाले डॉक्टर उमर उन नबी के पास एक ऐसा गुप्त सूटकेस था जिसमें बम बनाने का पूरा सामान छिपाकर रखा गया था। जांच एजेंसियों ने हरियाणा के फरीदाबाद से पकड़े गए व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के संदिग्धों से पूछताछ के दौरान यह जानकारी हासिल की है। इस मामले में सामने आई जानकारी से पता चलता है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी जिसे बेहद सोच-समझकर अंजाम दिया गया।
फरीदाबाद से मिली अहम जानकारी
हरियाणा के फरीदाबाद से पकड़े गए टेरर मॉड्यूल के संदिग्धों से पूछताछ करने पर जांच एजेंसियों को कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। इस जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि डॉक्टर उमर उन नबी के पास एक खास सूटकेस था जिसे वह हमेशा अपने साथ रखता था। यह सूटकेस किसी साधारण बैग की तरह नहीं था, बल्कि इसमें विस्फोटक बनाने के लिए जरूरी केमिकल और दूसरे खतरनाक सामान छिपाए गए थे। यह जानकारी मुजम्मिल शकील नाम के संदिग्ध ने जांच के दौरान दी है।
कैंपस में किया गया था बम का परीक्षण
जांच में सामने आया है कि डॉक्टर उमर उन नबी फरीदाबाद की अल फला यूनिवर्सिटी में काम करते थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर ही केमिकल कंपाउंड का एक परीक्षण किया था। इस परीक्षण का मकसद यह जानना था कि विस्फोटक बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। यह एक बेहद खतरनाक कदम था क्योंकि एक शिक्षा संस्थान में इस तरह की गतिविधि का मतलब था कि बहुत सारे निर्दोष लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही थी।
डॉक्टर उमर ने इस परीक्षण से मिले नतीजों का इस्तेमाल बाद में IED यानी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने में किया। IED एक ऐसा विस्फोटक उपकरण होता है जिसे घरेलू या आसानी से मिलने वाली सामग्री से बनाया जाता है। इस तरह के बम बेहद खतरनाक होते हैं और इनसे भारी नुकसान हो सकता है। यह जानकारी संदिग्ध मुजम्मिल शकील ने पूछताछ के दौरान जांच एजेंसी के अधिकारियों को दी है।
गुप्त सूटकेस में छिपा था खतरनाक सामान
मुजम्मिल शकील वह संदिग्ध है जिसे सबसे पहले इस टेरर मॉड्यूल में शामिल किया गया था। उसे जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य संपर्क व्यक्ति मौलवी इरफान अहमद ने इस समूह का हिस्सा बनाया था। जांच के दौरान पता चला है कि डॉक्टर उमर उन नबी अपने उस गुप्त सूटकेस को हर समय अपने साथ रखते थे। वह जहां भी जाते थे, चाहे यूनिवर्सिटी हो या कहीं और, उस सूटकेस को अपने साथ लेकर जाते थे।
इस सूटकेस में बम बनाने के लिए जरूरी केमिकल और दूसरी सामग्री रखी होती थी। यह एक तरह से चलता-फिरता बम फैक्ट्री था जिसे डॉक्टर उमर हमेशा अपने पास रखते थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस सूटकेस की मदद से उन्होंने न केवल लाल किले के पास हुए धमाके के लिए बम तैयार किया, बल्कि आगे और भी हमले करने की योजना बना रहे थे।
बम बनाने में इस्तेमाल हुए घरेलू सामान
जांच अधिकारियों ने बताया है कि डॉक्टर उमर उन नबी ने आत्मघाती हमले में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार में एक अधूरा IED रखा था। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने बम बनाने के लिए एसीटोन या नेल पॉलिश रिमूवर और पिसी चीनी का इस्तेमाल किया था। यह बात बेहद चौंकाने वाली है क्योंकि ये दोनों चीजें आसानी से बाजार में मिल जाती हैं और किसी को शक भी नहीं होता कि इनका इस्तेमाल इतने खतरनाक काम के लिए किया जा सकता है।
एसीटोन एक ऐसा रसायन है जो आमतौर पर नेल पॉलिश हटाने के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन जब इसे कुछ खास तरीके से दूसरे रसायनों के साथ मिलाया जाता है, तो यह विस्फोटक बन सकता है। पिसी चीनी का इस्तेमाल विस्फोट की ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस तरह के घरेलू सामान का इस्तेमाल करके बम बनाना दिखाता है कि डॉक्टर उमर को रसायन विज्ञान की अच्छी समझ थी और उन्होंने अपनी इस जानकारी का गलत इस्तेमाल किया।
पहले की योजना थी जम्मू-कश्मीर में हमला
जांच से मिली जानकारी के अनुसार, शुरुआत में इस आतंकी मॉड्यूल की योजना कुछ और थी। वे हरियाणा में छिपाए गए विस्फोटकों को जम्मू-कश्मीर ले जाना चाहते थे। डॉक्टर उमर उन नबी ने जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ा हमला करने की योजना बनाई थी। लेकिन किन्हीं कारणों से यह योजना बदल गई और फिर लाल किले के पास धमाका करने का फैसला किया गया।
यह बदलाव क्यों हुआ, यह अभी जांच का विषय है। लेकिन इतना तय है कि यह समूह बहुत ही खतरनाक था और इनकी योजना बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की थी। दिल्ली में लाल किला एक बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है और यहां हमेशा बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं। इस जगह को निशाना बनाने का मतलब था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाना और देश में दहशत फैलाना।
जांच में सामने आए और खुलासे
जांच एजेंसियां इस मामले की गहराई से छानबीन कर रही हैं। फरीदाबाद से पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ में कई और लोगों के नाम सामने आए हैं जो इस टेरर मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस समूह को कहां से पैसा मिल रहा था और कौन-कौन से लोग इस नेटवर्क का हिस्सा थे।
मुजम्मिल शकील की पूछताछ से पता चला है कि उसे जैश-ए-मोहम्मद के मौलवी इरफान अहमद ने भर्ती किया था। जैश-ए-मोहम्मद एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है जो पाकिस्तान में सक्रिय है और भारत में कई हमलों को अंजाम दे चुका है। इस संगठन का मकसद भारत में अशांति फैलाना और लोगों के बीच डर पैदा करना है।
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की खतरनाक साजिश
यह मामला एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का है, जिसका मतलब है कि इसमें शामिल लोग पढ़े-लिखे और अच्छी नौकरी करने वाले थे। डॉक्टर उमर उन नबी एक शिक्षा संस्थान में काम करते थे और सामान्य जीवन जी रहे थे। किसी को शक नहीं था कि वे इतनी खतरनाक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। यही इस मॉड्यूल की सबसे बड़ी खासियत थी कि ये लोग आम जिंदगी जीते हुए भी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
इस तरह के टेरर मॉड्यूल को पकड़ना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि इनके सदस्य सामान्य लोगों की तरह दिखते हैं और उनकी गतिविधियां भी संदिग्ध नहीं लगतीं। लेकिन जांच एजेंसियों की सतर्कता और मेहनत से इस मॉड्यूल का भंडाफोड़ हो गया और कई लोगों को गिरफ्तार किया जा सका।
सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। आतंकवादी अब नए और चालाक तरीके अपना रहे हैं। वे आसानी से मिलने वाली चीजों से खतरनाक हथियार बना रहे हैं और सामान्य जीवन जीते हुए अपनी साजिश रच रहे हैं। इस तरह के मामलों से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को हमेशा सतर्क रहना होगा और खुफिया जानकारी जुटाने पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
दिल्ली जैसे बड़े शहर में सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यहां देश की राजधानी है और कई महत्वपूर्ण इमारतें और स्थल हैं। लाल किला जैसी ऐतिहासिक जगहों पर सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं और नई तकनीकों का इस्तेमाल करके आतंकवादियों की साजिशों को नाकाम कर रही हैं।