दिल्ली के प्रतिष्ठित लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके की जांच में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। दिल्ली से सटे फरीदाबाद में सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों की बम बनाने वाली मशीन बरामद की है, जिससे इस धमाके की साजिश का एक और पहलू सामने आया है। यह खुलासा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ते खतरे को दर्शाता है।
आटा चक्की को बनाया गया केमिकल वर्कशॉप
जांच में सामने आया है कि धमाके के मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई ने एक साधारण आटा पीसने वाली चक्की को केमिकल वर्कशॉप में बदल दिया था। इस मशीन का इस्तेमाल विस्फोटकों के लिए आवश्यक केमिकल तैयार करने में किया जा रहा था। यह तरीका इतना चतुराई भरा था कि सामान्य नजर में यह एक रोजमर्रा की घरेलू वस्तु प्रतीत होती थी।
फरीदाबाद से बरामदगी
फरीदाबाद के एक टैक्सी ड्राइवर के घर से इन संदिग्ध मशीनों को बरामद किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों को आटा चक्की, ग्राइंडर और कुछ इलेक्ट्रॉनिक मशीनें मिली हैं, जिनका इस्तेमाल बम के लिए सामग्री तैयार करने में किया जा रहा था। इन मशीनों की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जो इस पूरे ऑपरेशन की गंभीरता को दर्शाती हैं।
मुजम्मिल गनई का परिचय और गिरफ्तारी
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला मुजम्मिल शकील गनई इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। उसे लाल किले धमाके से ठीक पहले 9 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की सतर्कता और खुफिया जानकारी के आधार पर समय रहते उसे पकड़ लेने से एक बड़े आतंकी हमले को रोका जा सका।
किराए के कमरे में चल रही थी गतिविधि
मुजम्मिल अपने किराए के कमरे में इन मशीनों का इस्तेमाल कर रहा था। यह कमरा उसकी गुप्त प्रयोगशाला बन गया था, जहां वह बिना किसी को शक में डाले अपनी आतंकवादी गतिविधियां संचालित कर रहा था। पड़ोसियों को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उनके बीच एक खतरनाक आतंकवादी रह रहा है।
360 किलो विस्फोटक की बरामदगी
पुलिस ने 9 नवंबर को मुजम्मिल के ठिकाने से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक पदार्थ बरामद किए थे। यह मात्रा इतनी भारी है कि इससे कई बड़े धमाके किए जा सकते थे। अमोनियम नाइट्रेट एक शक्तिशाली विस्फोटक है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर बड़े पैमाने के विनाश के लिए किया जाता है।
विस्फोटकों का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ किसी भी महत्वपूर्ण स्थान को निशाना बनाने के लिए पर्याप्त थे। लाल किला जैसे प्रतिष्ठित और भीड़भाड़ वाले स्थान पर हमले की योजना से पता चलता है कि आतंकवादियों का उद्देश्य अधिकतम नुकसान पहुंचाना और देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देना था।
लाल किला धमाके की पृष्ठभूमि
10 नवंबर को लाल किले के पास हुआ कार धमाका एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। यह घटना राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बनी। लाल किला भारत की राष्ट्रीय धरोहर है और हर दिन हजारों पर्यटक यहां आते हैं, जिससे यह स्थान आतंकवादियों के लिए एक संभावित लक्ष्य बन जाता है।
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और तत्परता के कारण इस साजिश को समय रहते विफल कर दिया गया। खुफिया विभाग की सूचना और स्थानीय पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक बड़ी त्रासदी को रोक दिया। यह घटना सुरक्षा तंत्र की मजबूती और उनकी कार्यक्षमता को दर्शाती है।
जांच में नए खुलासे
इस मामले की जांच लगातार जारी है और हर दिन नए तथ्य सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस बात का पता लगा रही हैं कि क्या इस साजिश में और भी लोग शामिल थे। टैक्सी ड्राइवर की भूमिका और उसके घर पर मशीनों की मौजूदगी भी जांच के दायरे में है।
आतंकी नेटवर्क का पता लगाना
जांचकर्ता यह भी पता लगाने में जुटे हैं कि मुजम्मिल को इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक कैसे मिले और वह किस आतंकी संगठन से जुड़ा था। उसके संपर्कों और संवादों की भी गहन जांच की जा रही है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या यह एक अलग घटना थी या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा।
सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत
इस घटना ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि किराए के मकानों और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की व्यवस्था को और कड़ा करने की जरूरत है।
जनता की भूमिका
सुरक्षा विशेषज्ञों ने आम जनता से भी अपील की है कि वे अपने आसपास किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें। सतर्क नागरिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पड़ोसियों को अपने आसपास के लोगों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए, खासकर यदि कुछ असामान्य लगे।