Faridabad Terror Plot: अमोनियम नाइट्रेट से राइसिन जहर तक: डॉक्टरों की आतंकी साजिश का हुआ बड़ा पर्दाफाश
नई दिल्ली। देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ी आतंकी साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया है। दिल्ली के पास फरीदाबाद और हैदराबाद में की गई संयुक्त कार्रवाई में पुलिस ने ऐसे डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है जो आईएसआईएस-खोरासान प्रांत (ISIS-K) से जुड़े थे और देश के कई शहरों में हमले की योजना बना रहे थे।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, आतंकियों के पास से अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर, गोला-बारूद, असॉल्ट राइफलें, और राइसिन जहर बनाने का सामान बरामद किया गया है। इन गिरफ्तारियों से कम से कम दो बड़े हमले टल गए हैं।
दो डॉक्टर, दो शहर और एक घातक योजना
मुजम्मिल शकील अल-फलाह यूनिवर्सिटी अस्पताल, फरीदाबाद में कार्यरत था। पुलिस ने खुलासा किया है कि इन डॉक्टरों का मकसद दिल्ली और एनसीआर के संवेदनशील इलाकों को निशाना बनाना था।
जांच में एक तीसरी महिला डॉक्टर का भी नाम सामने आया है, जिसकी कार से दो बंदूकें और गोला-बारूद बरामद हुआ है।
आईएसआईएस-खोरासान का कनेक्शन
सैयद के आईएसकेपी मॉड्यूल से जुड़े होने की पुष्टि के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। वह टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप पर अपने हैंडलर अबू खादीजा (अफगानिस्तान स्थित) से संपर्क में था।
राइसिन जहर की खतरनाक साजिश
Faridabad Terror Plot: राइसिन एक ऐसा रसायन है जो अरंडी के बीजों के अवशेष से तैयार किया जाता है। कुछ ग्राम राइसिन भी इंसान को कुछ मिनटों में मार सकता है।
गुजरात एटीएस के मुताबिक, सैयद का इरादा दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद में “जहरीला हमला” करने का था।
उसके दो साथी – आजाद सुलेमान शेख और मोहम्मद सुहैल सलीम – तीनों शहरों में संभावित जगहों की रेकी कर रहे थे। दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ में उन्होंने ड्रोन के ज़रिए पाकिस्तान से हथियार मंगाने की बात कबूल की है।
कैसे हुआ आतंकियों का पर्दाफाश
राठेर पहले अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था। पुलिस ने बताया कि कॉलेज के उसके लॉकर से भी एक असॉल्ट राइफल मिली।
जांच एजेंसियों की सतर्कता
दोनों मामलों के बाद एनआईए, आईबी और राज्य पुलिस बलों ने साझा जांच शुरू की है।
सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट देश में कैसे और कहां से आया, और क्या इसमें कोई विदेशी हैंडलर या नेटवर्क शामिल था।
आतंकी नेटवर्क के डिजिटल निशान | Faridabad Terror Plot
जांच में सामने आया है कि डॉक्टरों का यह मॉड्यूल सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म्स के जरिए सक्रिय था। ये समूह डार्क वेब से विस्फोटक तकनीक और रासायनिक हथियारों की जानकारी हासिल करते थे।
कुछ चैट्स में दिल्ली और अहमदाबाद के बीच “ऑपरेशन डे” का जिक्र भी मिला है।
इस पूरे खुलासे ने दिखा दिया है कि आतंकी संगठन अब पेशेवरों और शिक्षित वर्ग को भी निशाना बना रहे हैं। डॉक्टरों जैसे उच्च शिक्षित लोग आतंक की राह पर कैसे चले गए, यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
अमोनियम नाइट्रेट और राइसिन जहर जैसी घातक सामग्रियों के साथ पकड़े गए इन आरोपियों ने भारत की सुरक्षा प्रणाली की चौकसी को परखा, लेकिन इस बार एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई ने देश को एक भयावह आतंकी हमले से बचा लिया।