फरीदाबाद से दिल्ली तक आतंक के नेटवर्क पर एक नया परदा उठा है, जिसने जांच एजेंसियों को और अधिक सतर्क कर दिया है। लाल किला धमाके के बाद पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी की संयुक्त कार्रवाई में जो खुलासे सामने आए हैं, उन्होंने आतंकवाद के नए और बेहद खतरनाक तरीके को उजागर कर दिया है। फरीदाबाद के एक साधारण घर से मिली मशीनों ने दिखा दिया कि आधुनिक तकनीक ही नहीं, बल्कि घरेलू मशीनें भी हिंसा और तबाही के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।
फरीदाबाद में आटा चक्की से बम बनाने का खुलासा
फरीदाबाद में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से पुलिस को आटा चक्की, इलेक्ट्रॉनिक ग्राइंडर और मिश्रण तैयार करने वाली मशीनें मिली हैं। वही मशीनें, जिन्हें सामान्य घरों में रसोई से जुड़ी सुविधाओं के रूप में देखा जाता है, अब विस्फोटक तैयार करने का साधन बताई जा रही हैं। केस का मुख्य आरोपी मुजम्मिल शकील गनई इन मशीनों का उपयोग यूरिया और अन्य केमिकल को पाउडर और मिश्रण के रूप में बदलने में करता था।
सूत्रों ने बताया कि आटा चक्की में यूरिया को पीसकर इसकी संरचना को ऐसी स्थिति में लाया जाता था, जहां यह विस्फोटक मिश्रण में बदल सके। यह तरीका कम लागत, कम शक और ज्यादा क्षमता पर आधारित है, जो जांच के लिए चिंता पैदा कर रहा है।
लाल किले धमाके से पहले ही बरामद हुआ था विस्फोटक
जम्मू कश्मीर के पुलवामा निवासी गनई को लाल किले के कार धमाके से ठीक पहले गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद, पुलिस को उसके किराए के कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य रसायन मिले थे। इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिलना अपने आप में दर्शाता है कि यह केवल एक छोटे हमले की तैयारी नहीं थी, बल्कि इसका नेटवर्क लंबे समय से और बड़े स्तर पर काम कर रहा था।
अल फलाह यूनिवर्सिटी का लिंक बढ़ा शक
मुजम्मिल एक समय फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा रहा। उसने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वह लंबे समय से विस्फोटक तैयार करने में माहिर है और चक्की सहित अन्य मशीनों का उपयोग नियमित रूप से करता रहा है। अब जांच यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं इस नेटवर्क में और लोग तो शामिल नहीं, जो शिक्षा संस्थानों के रूप में सुरक्षित ढाल के पीछे छिपे हों। कई बार आतंकवादी समूह ऐसे विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल अपने एजेंटों को साधने या छिपाने के लिए करते हैं।आटा चक्की, मिक्सर या ग्राइंडर जैसे उपकरणों का उपयोग आम तौर पर किसी भी घर में भोजन तैयार करने के लिए होता है। लेकिन इन्हीं साधारण मशीनों को विस्फोटक बनाने के काम में लगाने की रणनीति यह दर्शाती है कि आतंकवादी अब ऐसे उपकरणों की ओर बढ़ रहे हैं जो आम आदमी के दैनिक जीवन में शामिल हों। इससे उन्हें पुलिस की नजर से बचना आसान हो जाता है और संदेह का दायरा भी सीमित रहता है। यह तरीका सुरक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है।
टैक्सी ड्राइवर के घर मशीनें कैसे पहुंचीं
टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि उसकी मुलाकात गनई से पहली बार तब हुई थी जब वह अपने बेटे के इलाज के लिए अल फलाह मेडिकल कॉलेज आया था। इसके बाद गनई उसके साथ संपर्क में आता गया और धीरे-धीरे मशीनें टैक्सी ड्राइवर के घर पहुंचने लगीं। अब एनआईए यह जांच कर रही है कि ड्राइवर को इन मशीनों के बारे में क्या जानकारी थी। क्या वह सिर्फ भ्रष्ट नेटवर्क का अंजान हिस्सा था या उसने जानबूझकर अपने घर को विस्फोटक तैयार करने का केंद्र बनने दिया।
घरेलू मशीनें और आतंक का नया खतरा
इस मामले ने एक बड़ा संदेश दिया है कि आतंकवाद अब अधिक चालाक हो चुका है। अब सिर्फ अत्याधुनिक हथियारों या रसायनों की नहीं, बल्कि सामान्य मशीनों और घरेलू उपकरणों की मदद से भी बड़े हमले तैयार किए जा रहे हैं। यह तरीका इसलिए भी अधिक खतरनाक है क्योंकि ऐसे उपकरण हर घर में मौजूद होते हैं और उन पर कभी शक नहीं किया जाता।फरीदाबाद के जिस घर में चक्की और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए, वह एक आम मध्यवर्गीय परिवार का घर बताया जा रहा है। ऐसा स्थान आमतौर पर किसी अपराध या षड्यंत्र से जुड़ा नहीं होता, इसलिए वहां से विस्फोटक सामग्री बनाने वाली मशीनों का मिलना सुरक्षा एजेंसियों को चौंका रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि आतंकवादी अब कम प्रोफाइल वाले स्थानों को अपने ऑपरेशन के लिए सुरक्षित ठिकाने के रूप में चुन रहे हैं, ताकि किसी प्रकार का संदेह न उठे और वे लंबे समय तक बिना शोर-शराबे के अपने नेटवर्क को मजबूत कर सकें।
जांच एजेंसियों के सामने नई चुनौती
फरीदाबाद से मिली मशीनें, विस्फोटक और तकनीकी तरीके अब जांच एजेंसियों के लिए नए अध्ययन का विषय बनेंगे। देश में किस तरह आतंकवादी साधारण उपकरणों से बड़े पैमाने का नुकसान तैयार कर रहे हैं, इसका अंदाजा इसी मामले की रोशनी में लगाया जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस केस के बाद घरेलू उपकरणों की निगरानी और संदिग्ध रासायनिक खरीद पर नियम और कठोर हो सकते हैं।