हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से मान्यता दिलाने का मामला अब गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचा
हरियाणा के कॉलेजों को चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से फिर से मान्यता दिलाने का मुद्दा अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंच गया है। यह मामला लंबे समय से हरियाणा के लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। 17 नवंबर को होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की संभावना जताई जा रही है, और हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से फिर से जोड़ने का मामला भी उठाया जा सकता है।
पंजाब विश्वविद्यालय से हरियाणा के कॉलेजों की मान्यता हटने का इतिहास
हरियाणा के निवासी यह मानते हैं कि उनके कॉलेजों को फिर से पंजाब विश्वविद्यालय से जोड़ा जाना चाहिए। विजय बंसल, शिवालिक विकास मंच के प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव, इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष लाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी इस विषय पर विचार करने की अपील की है।
1976 तक, हरियाणा के कई कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से संबंधित थे। लेकिन 1976 के बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई, जिससे हरियाणा के कॉलेजों के छात्रों को एक बड़ी शिक्षा प्रणाली से बाहर कर दिया गया। अब, इस व्यवस्था को फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है ताकि प्रदेश के छात्रों को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर मिल सकें।
राज्य और केंद्र सरकार का सहयोग जरूरी
विजय बंसल ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष इसे 17 नवंबर को फरीदाबाद में आयोजित होने वाली नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की बैठक में उठाएं। इस बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय के संबंध में हरियाणा के कॉलेजों की स्थिति पर गंभीर चर्चा होने की संभावना है। हालांकि, पंजाब सरकार इस मुद्दे पर अपनी सहमति देने के लिए तैयार नहीं है, जो इस मामले को जटिल बना रहा है।
हरियाणा और पंजाब का साझा इतिहास
हरियाणा और पंजाब का शैक्षिक इतिहास एक साथ जुड़ा हुआ है। पहले, पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। 92 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का था, जबकि 4-4 प्रतिशत हिस्सेदारी पंजाब और हरियाणा की थी। लेकिन कुछ विवादों के बाद, हरियाणा ने अपनी हिस्सेदारी वापस ले ली, और उसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
हरियाणा के लोग अब यह मानते हैं कि उन्हें अपनी शैक्षिक साझेदारी में फिर से एक भूमिका मिलनी चाहिए। इससे न केवल युवाओं के लिए अच्छे शैक्षिक अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि वे बेहतर प्रतिस्पर्धा भी कर पाएंगे।
हरियाणा का फंड बढ़ाने का प्रस्ताव
हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। यदि पंजाब विश्वविद्यालय से पुनः जुड़ा जाता है, तो हरियाणा सरकार अपनी वित्तीय सहायता को 8 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये तक देने के लिए तैयार है। इससे यह साफ है कि हरियाणा इस मामले में गंभीर है और इसे हल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हालांकि, पंजाब सरकार की मंजूरी इस मामले की सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।
हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से पुनः जोड़ने का मुद्दा अब एक राजनीतिक और शैक्षिक दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है। यदि यह मुद्दा हल हो जाता है, तो इससे हरियाणा के युवाओं को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर मिलेंगे। यह निर्णय न केवल हरियाणा के शिक्षा क्षेत्र को एक नया दिशा दे सकता है, बल्कि इस प्रकार के सहयोग से दोनों राज्यों के छात्रों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा।