रेवाड़ी में 12वीं के छात्र की आत्महत्या से गांव सन्नाटा, पारिवारिक तनाव ने छीनी जिंदगी

Rewari Crime: रेवाड़ी में 12वीं के छात्र ने पारिवारिक तनाव में उठाया जानलेवा कदम
Rewari Crime: रेवाड़ी में 12वीं के छात्र ने पारिवारिक तनाव में उठाया जानलेवा कदम (File Photo)
रेवाड़ी के बावल क्षेत्र के सुठाना गांव में 12वीं कक्षा के छात्र नितिन ने पारिवारिक तनाव के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पिता की पूर्व मृत्यु और आर्थिक जिम्मेदारियों से दबे इस छात्र ने कमरे में फंदा लगाया। सुसाइड नोट नहीं मिला। पुलिस जांच जारी है।
नवम्बर 21, 2025

रेवाड़ी जिले के बावल क्षेत्र में गुरुवार रात गांव सुठाना में एक 12वीं कक्षा के छात्र द्वारा उठाए गए आत्मघाती कदम ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। लगभग 18 वर्षीय नितिन, जो अपने परिवार का इकलौता बेटा था, घर के ही कमरे में पंखे के हुक से लटककर आत्महत्या कर बैठा। यह घटना न सिर्फ गांव के लिए दुखद क्षण बन गई, बल्कि यह परिवारिक दबाव, मानसिक तनाव और किशोरावस्था में बढ़ते अवसाद पर समाज को फिर से सोचने के लिए मजबूर कर गई है। पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन शुरुआती जांच में पारिवारिक परेशानी के कारण तनाव की पुष्टि की जा रही है।

घरेलू कमरे में ही मिली मौत, दरवाजा तोड़कर निकाला गया शव

कसौला थाना पुलिस के अनुसार, घटना गुरुवार रात की है। नितिन परिवार के साथ घर में रह रहा था। देर रात जब उसकी मौसी का लड़का फैक्ट्री से लौटकर आया, तो उसने नितिन को आवाज देकर कमरे का दरवाजा खुलवाने की कोशिश की। कई बार आवाज देने के बावजूद भी दरवाजा नहीं खुलने पर स्वजन को शक हुआ। जब परिवार के अन्य सदस्य दरवाजे के पास पहुंचे और रोशनदान से झांककर भीतर देखा तो नितिन फंदे पर लटका हुआ दिखाई दिया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारा गया।

स्कूल का होनहार छात्र था नितिन, पिता की मौत से परिवार पहले से टूटा हुआ

नितिन पास के एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी था। ग्रामीणों के अनुसार वह पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन पिता की कुछ साल पूर्व हुई मृत्यु के बाद से परिवार आर्थिक और भावनात्मक दोनों संकटों का सामना कर रहा था। घर में वह अपनी मां और बड़ी बहन के साथ रहता था। पिता की मृत्यु के बाद वह घर की बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ भी महसूस करने लगा था। यही तनाव शायद उसे अंदर ही अंदर तोड़ रहा था।

परिवार के लोगों ने बताया कि नितिन ज्यादा बात नहीं करता था और अक्सर अकेला रहता था। स्कूल की पढ़ाई, घर की आर्थिक तंगी और भविष्य की चिंताओं से उसका मन जुड़ा हुआ था, पर वह अपनी समस्याओं को खुलकर किसी से साझा नहीं कर पाता था। यह स्थिति अक्सर किशोरों को मानसिक तनाव, अवसाद और आत्मघाती विचारों की ओर धकेल देती है।

सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन पारिवारिक परेशानियां जांच के केंद्र में

पुलिस ने शुरुआती जांच में बताया कि नितिन के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। ऐसे मामलों में सुसाइड नोट न मिलने पर आत्महत्या के कारणों की पहचान करना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन परिजन और ग्रामीण पारिवारिक परेशानी को ही वजह मान रहे हैं। पुलिस मामले की आगे भी विस्तृत जांच करेगी और यदि आवश्यकता पड़ती है, तो परिवार व दोस्तों से पूछताछ भी की जाएगी।

किशोरों में मानसिक तनाव आत्महत्या की बढ़ती वजह

भारत में कई शोध बताते हैं कि किशोर उम्र में बढ़ता तनाव, पारिवारिक दबाव, भविष्य को लेकर असुरक्षा और शिक्षा से जुड़ी चिंताएं मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। इन्हीं कारणों से बीते वर्षों में छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हरियाणा और अन्य राज्यों में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है। नितिन की घटना भी इसी श्रेणी में एक और दुखद कड़ी बन गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि परिवारों को अपने बच्चों के मनोवैज्ञानिक बदलाव, अवसाद, बिना कारण चुप रहने या व्यवहार में बदलाव को समझने की कोशिश करनी चाहिए। समय पर संवाद और मानसिक सहयोग बच्चों को ऐसे खतरनाक कदम उठाने से रोक सकता है।

पोस्टमार्टम के बाद स्वजनों को सौंपा गया शव, गांव में शोक

पुलिस ने सामान्य प्रक्रिया के अनुसार शव को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां पोस्टमार्टम के बाद उसे परिवार को सौंप दिया गया। शुक्रवार सुबह गांव में शव पहुंचने के बाद माहौल अत्यंत दुखद हो गया। परिवार की चीखें और रिश्तेदारों का रोना पूरे माहौल को शोक से भर रहा था। गांव के बुजुर्गों ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

नितिन की बहन और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता की कमी पहले से परिवार के लिए दुखद बोझ थी, और अब बेटे की खोई जिंदगी ने यह घाव और गहरा कर दिया है। ग्रामीणों के अनुसार मां और बहन को संभालना आसान नहीं होगा।

समाज को क्या सीख मिलती है

नितिन की मौत सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि समाज की अनदेखी का परिणाम है। हमारे घरों में बच्चे अक्सर ऐसी उलझनों से जूझते हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं करते। यदि परिवार, स्कूल और समाज बच्चों से संवाद बढ़ाए, उन्हें समझे, सुने और मनोबल दे, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना आज की जरूरत है, वरना ऐसे मामले हर गांव, हर घर के दुख बनते रहेंगे।

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