मुख्यमंत्री सुक्खू ने बालिका आश्रम में दीपावली मनाई
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला स्थित बालिका आश्रम का दौरा किया और वहां रह रही बालिकाओं के साथ दीपावली पर्व मनाया। उन्होंने बालिकाओं को मिठाई, उपहार और शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य इन अनाथ बच्चों के जीवन में आशा और आत्मनिर्भरता की नई किरण जगाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बच्चे समाज के अभिन्न अंग हैं और प्रदेश के संसाधनों पर इनका भी उतना ही अधिकार है जितना किसी अन्य नागरिक का। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना को और सशक्त बना रही है।
मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना का विस्तार
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के तहत सरकार अनाथ बच्चों की पढ़ाई, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा और देखभाल का पूरा खर्च उठा रही है। इस योजना का लाभ 27 वर्ष की आयु तक इन बच्चों को मिलेगा।
उन्होंने बताया कि 12वीं कक्षा के बाद इन बच्चों की उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण का खर्च भी सरकार वहन करेगी। इसके साथ ही हॉस्टल शुल्क और कपड़ों का खर्च भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार उन्हें प्रति माह 4000 रुपये का भत्ता भी प्रदान कर रही है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
बालिकाओं को देश भ्रमण और आत्मनिर्भरता का अवसर
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें देश भ्रमण का अवसर भी दिया जा रहा है। हाल ही में 16 बालिकाओं को भ्रमण पर भेजा गया था और जल्द ही अन्य बालिकाओं को भी विभिन्न राज्यों में भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं के आत्मविश्वास और ज्ञान में वृद्धि करना है ताकि वे भविष्य में समाज के मुख्यधारा से जुड़कर आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सकें।
विवाह और आवास सहायता योजना का भी प्रावधान
मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन बालिकाओं के पास भूमि है लेकिन घर नहीं है, उन्हें तीन लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे अपना घर बना सकें।
इसके अतिरिक्त, विवाह योग्य आयु की बालिकाओं के विवाह के लिए सरकार दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी देगी। उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक सहायता नहीं बल्कि सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार बनेगी अभिभावक, सुनिश्चित करेगी उज्ज्वल भविष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन बच्चों की अभिभावक की भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि “हमारा कर्तव्य है कि जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं, उनके भविष्य की जिम्मेदारी हम उठाएं। यह योजना किसी पर उपकार नहीं बल्कि हमारा सामाजिक दायित्व है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में सुखाश्रय योजना के तहत और भी सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी, ताकि कोई भी अनाथ बालक या बालिका शिक्षा से वंचित न रहे।
जनता और समाज से अपील
मुख्यमंत्री सुक्खू ने समाज से अपील की कि वे भी इन बच्चों के उत्थान में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि समाज के सामूहिक प्रयास से ही हम इन बच्चों के चेहरे पर सच्ची मुस्कान ला सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए हर विभाग को जिम्मेदारी दी गई है ताकि कोई बच्चा छूट न जाए।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की इस घोषणा ने न केवल हिमाचल प्रदेश में बालिकाओं के भविष्य को नई दिशा दी है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत कदम है। अनाथ बालिकाओं के लिए शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में यह योजना एक मील का पत्थर साबित होगी।