जम्मू-कश्मीर में आतंकी साज़िश का बड़ा खुलासा: जैश-ए-मोहम्मद और प्रतिबंधित दुख्तरान-ए-मिल्लत के गुप्त संबंध बेनक़ाब

J&K Terrorism
J&K Terrorism: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने जैश और दुख्तरान-ए-मिल्लत के गुप्त संबंधों का बड़ा पर्दाफाश (Photo: IANS)
नवम्बर 18, 2025

कश्मीर घाटी में आतंकी नेटवर्क पर करारी चोट

जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) इकाई ने घाटी में एक विस्तृत कार्रवाई के दौरान एक ऐसे आतंकी गठजोड़ का पर्दाफाश किया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और अधिक बढ़ा दी है। इस कार्रवाई में यह स्पष्ट हुआ है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने प्रतिबंधित महिला संगठन ‘दुख्तरान-ए-मिल्लत’ के बची-खुची संरचनाओं को फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया है। यह खुलासा न केवल महिलाओं की कट्टरपंथी भर्ती के बढ़ते स्वरूप को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि घाटी में आतंकवादियों के संचालन तंत्र किस तरह बदलते समय के साथ नए रूपों में सामने आ रहे हैं।

व्यापक तलाशी और अदालत से लिए गए सर्च वॉरंट

सीआईके की टीमों ने श्रीनगर, बडगाम और कुलगाम जिलों में तड़के सुबह कई ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया। इन तलाशी अभियानों में अदालत द्वारा जारी किए गए सर्च वॉरंट का पालन किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जांच एक संगठित और विधिक प्रक्रिया के अंतर्गत आगे बढ़ रही है। श्रीनगर के शिरीन बाग स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भी तलाशी की गई, जहां टीमों ने कई दस्तावेज, डिजिटल सामग्री और संदिग्ध संचार रिकॉर्ड्स की जांच की।

यह पहली बार नहीं है जब घाटी के अस्पतालों पर आतंकी नेटवर्क के दायरे में आने के आरोप लगे हों, लेकिन इस बार सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान स्पष्ट रूप से इस बात पर केंद्रित है कि आतंकी संगठनों ने आम नागरिक संस्थानों में अपनी गहरी पैठ किस तरह बनाई है।

दुख्तरान-ए-मिल्लत और जैश के बीच गुप्त गठजोड़ उजागर

सूत्रों का कहना है कि जांच के दौरान ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं जो जैश-ए-मोहम्मद और लंबे समय से प्रतिबंधित महिला संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत के बीच नए सिरे से बन रहे गठजोड़ की पुष्टि करते हैं। दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख आसिया अंद्राबी 2018 से जेल में है, लेकिन आतंकियों ने संगठन के पुनर्जीवन का प्रयास उसके नेटवर्क के सहारे जारी रखा है।

जानकारी के अनुसार डॉ उमर फारूक और उनकी पत्नी शहज़ादा इस गतिविधि में केंद्रीय भूमिका निभा रहे थे। शहज़ादा को महिलाओं को प्रोत्साहित कर कट्टरपंथी गतिविधियों की ओर मोड़ने और संगठन की निष्क्रिय संरचना को सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपा गया था। यह भी संकेत मिले हैं कि यह पूरी गतिविधि जैश-ए-मोहम्मद के निर्देशों पर संचालित हो रही थी, जो महिला भर्ती को एक नई रणनीति के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था।

ऑनलाइन कट्टरपंथ और डार्क-वेब मॉड्यूल की जांच

सीआईके के अधिकारियों का कहना है कि घाटी में सक्रिय ऑनलाइन कट्टरपंथी मॉड्यूल को लेकर भी जांच जारी है। यह मॉड्यूल कथित तौर पर डार्क-वेब प्लेटफॉर्मों और ओजीडब्ल्यू (ओवर-ग्राउंड वर्कर) नेटवर्कों के सहारे संचालित हो रहा था। इस मॉड्यूल में महिलाओं को विशेष रूप से लक्षित कर उग्रवादी विचारधाराओं का प्रसार किया जाता था।

सुरक्षा एजेंसियों ने तलाशी के दौरान ऐसे साहित्य और डिजिटल सामग्री बरामद की है जो महिलाओं को कट्टरपंथ की दिशा में मोड़ने के उद्देश्य से तैयार की गई थी। इस सामग्री में जेहादी विचारधारा को जायज़ ठहराने वाले दस्तावेज, भड़काऊ व्याख्याएं और ऐसे संसाधन शामिल हैं जो युवा महिलाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।

कुलगाम में डॉक्टर के घर पर छापा

जांच का एक अहम हिस्सा कुलगाम जिले के बुगाम गांव में डॉ उमर फारूक के घर पर छापेमारी रही। वहां से ऐसी कई सामग्रियां मिलीं हैं जिनसे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वे आतंकियों को सूचनाएं, संसाधन और सुरक्षित संपर्क उपलब्ध कराने में मदद कर रहे थे। अधिकारियों का मानना है कि यह गतिविधि ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का हिस्सा है, जिसे हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस की सहायता से फरीदाबाद में भी उजागर किया था।

फरीदाबाद में पकड़े गए आरोपियों की पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई तेज की गई है। पूछताछ में उजागर हुए नाम, संपर्क और डिजिटल लेन-देन अब जांच के केंद्र में हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को घाटी में सक्रिय आतंकी तंत्र की नई परतों का पता लग रहा है।

घाटी की सुरक्षा व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव

यह खुलासा सुरक्षा तंत्र के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादी संगठन महिलाओं को भर्ती करने की दिशा में नया फोकस बना रहे हैं। दूसरी ओर यह भी संकेत दे रहा है कि घाटी में अधोसंरचना-आधारित आतंकवाद कमजोर पड़ने के बाद आतंकी नेटवर्क ने ‘व्हाइट कॉलर’ ढांचों की ओर भरोसा बढ़ाया है, जिसमें शिक्षित पेशेवर, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग और संगठनों के निष्क्रिय सदस्य शामिल हैं।

क्या आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होंगी

सीआईके अधिकारियों का कहना है कि सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है और प्रारंभिक इनपुट के आधार पर कई और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। बरामद डिजिटल सामग्री, मोबाइल डेटा और नेटवर्क लॉग की फोरेंसिक जांच चल रही है। इसके साथ ही दुख्तरान-ए-मिल्लत के पुराने नेटवर्क की जांच भी तेज कर दी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि संगठन के कौन-कौन से सदस्य अभी भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

निष्कर्ष: आतंक के बदलते स्वरूप पर सख्त नजर की जरूरत

यह मामला इस बात का प्रमाण है कि घाटी में आतंकवाद अपना स्वरूप निरंतर बदलता रहा है। कभी बंदूक का सहारा लेने वाला आतंक अब ऑनलाइन कट्टरपंथ और व्हाइट कॉलर मॉड्यूल के सहारे खुद को जीवित रखने की कोशिश कर रहा है। महिला भर्ती के बढ़ते संकेत इस चुनौती को और गहरा बनाते हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आतंकी नेटवर्क की हर परत का खुलासा हो, चाहे वह डिजिटल हो, वैचारिक हो या सामाजिक ढांचे में छिपी हो।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।