रांची।
झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) श्री के. रवि कुमार ने 7 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उन दलों के प्रति कार्रवाई के सिलसिले में जारी किया गया, जिन्होंने अपने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) का वार्षिक अंकेक्षित खाता भारत निर्वाचन आयोग को समय पर उपलब्ध नहीं कराया।
ये दल हैं:
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रांची की झारखंड क्रांतिकारी पार्टी
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झारखंड पार्टी (सेक्युलर)
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लोक जन विकास मोर्चा
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राष्ट्रीय देशज पार्टी
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राष्ट्रीय संगाइल पार्टी
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पूर्वी सिंहभूम की झारखंड पीपल्स पार्टी
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चतरा की राष्ट्रीय जनक्रांति मोर्चा
नोटिस का उद्देश्य
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इन दलों को सूचित किया है कि वे शपथ पत्र और आवश्यक साक्ष्यों के साथ अपने पक्ष को 09 अक्टूबर 2025 तक प्रस्तुत करें। यदि समय पर पक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया तो यह माना जाएगा कि दल का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। इस स्थिति में इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को भेज दी जाएगी।
क्या है आरोप
भारत निर्वाचन आयोग के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि उपरोक्त दलों ने चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया, लेकिन:
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विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिनों और लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिनों के भीतर अपने व्यय विवरण आयोग को नहीं सौंपे।
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यह कार्रवाई जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के खिलाफ है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार, यदि दल अपने आर्थिक खातों और व्यय विवरण समय पर नहीं जमा करते हैं, तो आयोग उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है।
सुनवाई और अगली तिथि
इन राजनीतिक दलों के अध्यक्ष/महासचिव को निर्देशित किया गया है कि वे 16 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 11:00 बजे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय, रांची में सुनवाई में उपस्थित हों।
इस नोटिस की जानकारी राजनीतिक दलों को उनके पंजीकृत पता पर भेजी गई है। इसके अलावा, इसे समाचार पत्रों में आम सूचना के रूप में भी प्रकाशित किया गया है।
संभावित परिणाम
यदि ये दल समय पर अपने पक्ष को प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो:
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दल का अस्तित्व समाप्त माना जाएगा।
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आयोग इसकी जानकारी नई दिल्ली भेजेगा।
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भविष्य में चुनाव प्रक्रिया में उनकी भागीदारी पर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक दलों की पारदर्शिता और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग का यह आदेश यह संदेश भी देता है कि चुनाव प्रक्रिया में नियमों का पालन करना सभी दलों के लिए अनिवार्य है।
इस नोटिस के बाद राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया और आगामी सुनवाई पर पूरा राज्य और चुनावी पर्यवेक्षक नजर रखे हुए हैं।