लाहिड़ी महाशय की 197वीं जयंती योगदा सत्संग शाखा आश्रम, राँची में श्रद्धा और आनंद के साथ मनाई गई

Lahiri Mahasaya's 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India
Lahiri Mahasaya's 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India
सितम्बर 30, 2025

Lahiri Mahasaya’s 197th birth anniversary, Ranchi, September 30, 2025:

राँची स्थित योगदा सत्संग शाखा आश्रम में आज लाहिड़ी महाशय की 197वीं जयंती गहरी श्रद्धा, भक्ति और आनंद के साथ मनाई गई। इस विशेष अवसर पर आश्रम में सुबह से ही भक्तों का जमावड़ा रहा, जिन्होंने ध्यान, भजन और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेकर महाशय को श्रद्धांजलि अर्पित की।

सबेरे 6:30 बजे से 8:00 बजे तक स्वामी शंकरानन्द गिरि द्वारा ऑनलाइन ध्यान का संचालन किया गया, जिसमें भारत और विश्व के विभिन्न हिस्सों से भक्तों ने भाग लिया। इस दौरान स्वामी शंकरानन्द गिरि ने कहा:

“लाहिड़ी महाशय का जीवन आधुनिक विश्व में प्रसन्न रहने के लिए आवश्यक आदर्श संतुलन का सर्वोत्तम उदाहरण है। उन्होंने क्रियायोग ध्यान को कर्मयोग के साथ संयोजित कर, समाज और परिवार की सेवा में जीवन व्यतीत किया। यही संतुलन हमें जीवन में सफलता और मानसिक शांति दोनों प्रदान करता है।”

Lahiri Mahasaya's 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India
Lahiri Mahasaya’s 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India

इसके बाद सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक भक्तगणों ने ब्रह्मचारी गौतमानन्द और ब्रह्मचारी आराध्यानन्द द्वारा संचालित भजनों में भाग लिया। भजनों की मधुर ध्वनि और भक्तिमय वातावरण ने आश्रम को पूर्णतः आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया।

शाम 6:00 बजे से 8:00 बजे तक ब्रह्मचारी हृदयानन्द के मार्गदर्शन में दो घंटे का विशेष ध्यान सत्र आयोजित किया गया। इस दौरान योगी कथामृत (श्री श्री परमहंस योगानन्द द्वारा रचित) से लाहिड़ी महाशय के प्रेरक वचनों का पाठ किया गया। उन्होंने अपने शिष्यों को कहा:

“‘यह याद रखो कि तुम किसी के नहीं हो और कोई तुम्हारा नहीं है। इस पर विचार करो कि किसी दिन तुम्हें इस संसार का सब कुछ छोड़कर जाना होगा, इसलिए अभी से ही भगवान् को जानो। ईश्वरानुभूति के गुब्बारे में प्रतिदिन उड़कर मृत्यु की सूक्ष्म यात्रा के लिए अपने को तैयार करो। माया के प्रभाव में तुम्हारा शरीर केवल दुःखों का घर है। निरंतर ध्यान से तुम खुद को सर्व दुःख क्लेश मुक्त, अनंत परमतत्त्व के रूप में पहचान सको। क्रियायोग की गुप्त कुंजी के उपयोग से देह-कारागार से मुक्त होकर परमतत्त्व में भाग लेना सीखो।”

Lahiri Mahasaya's 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India
Lahiri Mahasaya‘s 197th birth anniversary celebrated at Yogoda Satsanga Branch Ashram, Ranchi | YSSO India

लाहिड़ी महाशय, महावतार बाबाजी के शिष्य थे, जिन्होंने उन्हें क्रियायोग का प्राचीन और लगभग लुप्त विज्ञान सिखाया। महाशय ने न केवल अपने अनुयायियों बल्कि समाज के हर धर्म और वर्ग के साधकों को क्रिया दीक्षा प्रदान की। वे एक गृहस्थ योगी थे, जिन्होंने अपने पारिवारिक और सामाजिक कर्तव्यों के साथ-साथ भक्ति और ध्यान का संतुलित जीवन जिया।

उनकी यह जीवनशैली हजारों पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई। उन्होंने समाज के बहिष्कृत और दलित वर्ग के लिए नई आशा और अवसर दिए। यद्यपि स्वयं वे उच्च या ब्राह्मण जाति से थे, उन्होंने अपने समय की कठोर जातिगत कट्टरता को चुनौती दी और समाज में समानता की मिसाल कायम की।

लाहिड़ी महाशय की शिक्षाएँ और उनके द्वारा स्थापित योगदा सत्संग परंपरा आज भी समाज में आध्यात्मिक जागरूकता और संतुलित जीवन का संदेश फैलाती हैं। ध्यान और क्रियायोग के पथ के विषय में अधिक जानकारी के लिए भक्त yssofindia.org पर जा सकते हैं।

Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com