Ganga Plastic Pollution: उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र में पैकेजिंग अपशिष्ट सर्वाधिक
गंगा नदी के उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्रों में Ganga Plastic Pollution लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे जलीय जीवन और पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि झारखंड के साहिबगंज जिले के लाल बथानी और राधानगर के बीच के 34 किलोमीटर क्षेत्र में पैकेजिंग अपशिष्ट सबसे अधिक पाया गया। यह क्षेत्र गंगा डॉल्फिन और स्मूथ कोटेड ओटर्स जैसी लुप्तप्राय जलीय प्रजातियों का प्रमुख आश्रय स्थल है।
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अध्ययन में गंगा के कुल 76 किलोमीटर क्षेत्र में 37,730 मलबे के टुकड़ों का दस्तावेजीकरण किया गया। इनमें packaging waste 52.4% था, जिसमें खाद्य पदार्थों के रैपर, प्लास्टिक पाउच और थैलियां शामिल थीं। प्लास्टिक टुकड़े 23.3% के साथ दूसरे स्थान पर थे। तंबाकू से संबंधित कचरा 5% और एकल-उपयोग वाले कटलरी जैसे कप, चम्मच और प्लेट 4.7% में पाए गए। मछली पकड़ने का सामान, कपड़ा और मेडिकल प्लास्टिक भी छोटे पैमाने पर मौजूद थे।
Ganga Plastic Pollution का अध्ययन दर्शाता है कि नदी के डूब क्षेत्र में मलबे का घनत्व नदी तटरेखा की तुलना में लगभग 28 गुना अधिक था। डूब क्षेत्र में प्रति वर्ग मीटर 6.95 मलबे का घनत्व दर्ज किया गया, जबकि नदी तटरेखा में केवल 0.25। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट का स्तर लगभग समान पाया गया।
शोध में यह भी सामने आया कि मानसून के बाद बाढ़ ने नदी में अतिरिक्त कचरा लाकर मलबे को और बढ़ा दिया। अकेले उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र में कुल मलबे का 61% दर्ज किया गया, जिसमें फेंके गए मछली पकड़ने के जाल और स्टायरोफोम शामिल थे, जो जलीय जीवन के लिए गंभीर खतरा हैं।
अध्ययन ने यह भी स्पष्ट किया कि मलबे में घरेलू अपशिष्ट का योगदान 87% था, जबकि मछली पकड़ने के उपकरण का 4.5% और धार्मिक चीजों का योगदान 2.6% था। यह संकेत करता है कि संगठित अपशिष्ट संग्रह और निस्तारण प्रणालियों का अभाव Ganga Plastic Pollution बढ़ने का मुख्य कारण है।
वेब स्टोरी:
2022 से 2024 तक किए गए सर्वेक्षण में ट्रांसेक्ट-आधारित नमूने (transect-based sampling) का उपयोग किया गया। इस विधि के तहत नदी के विभिन्न खंडों से मलबे का संग्रह और वर्गीकरण किया गया, जिससे वास्तविक आंकड़े सामने आए।
विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा में प्लास्टिक प्रदूषण केवल जलीय जीवन के लिए खतरा नहीं है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य, मछली पालन और पर्यटन गतिविधियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। पैकेजिंग अपशिष्ट और अन्य प्लास्टिक कचरे के कारण नदी का पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है।
अध्ययन ने सुझाया कि स्थानीय प्रशासन, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में effective waste management systems लागू किए जाएं और जनता में जागरूकता बढ़ाई जाए। केवल इस तरह ही गंगा नदी के उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र में Ganga Plastic Pollution को नियंत्रित किया जा सकता है।