Ghatshila By-Election 2025: चंपई सोरेन की सियासत पर संकट के बादल
झारखंड की राजनीति में इन दिनों कोल्हान क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है। घाटशिला विधानसभा उपचुनाव (Ghatshila By-Election 2025) के नजदीक आते ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। इस बार मुकाबला केवल राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व का भी माना जा रहा है।
दीपक बिरुआ का तीखा प्रहार
पूर्व मंत्री और झारखंड सरकार के वरिष्ठ नेता दीपक बिरुआ ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पर तीखा प्रहार किया। सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से उन्होंने लिखा कि चंपई सोरेन अब अपने राजनीतिक जीवन के “अंतिम पड़ाव” पर हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “कोल्हान के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों — अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और रघुवर दास — की तरह चंपई सोरेन का भी राजनीतिक अंत तय है।”
“मौकापरस्ती” का आरोप
Ghatshila By-Election 2025: दीपक बिरुआ ने अपने पोस्ट में चंपई सोरेन को “मौकापरस्त नेता” बताया और कहा कि उन्होंने पद और पुत्र मोह में अपनी राजनीतिक मर्यादा का हनन किया है। बिरुआ ने लिखा,
“आपकी व्याकुलता आपकी व्यथा बता रही है। जीवन में आपसे बहुत कुछ सीखा, लेकिन आपने अपनी जमीर को मार कर केवल पद और पुत्र के लिए अपने अस्तित्व का अंत स्वयं तय कर लिया।”
उन्होंने आगे कहा कि चंपई सोरेन को अनुकंपा के आधार पर मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन उन्होंने उस विश्वास का सम्मान नहीं किया।
घाटशिला उपचुनाव बना राजनीतिक इम्तिहान
घाटशिला उपचुनाव ने झारखंड की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन यहां से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। दीपक बिरुआ ने दावा किया कि “14 नवंबर को बाबूलाल की बड़ी हार तय है और कोल्हान के तीन पूर्व मुख्यमंत्री उनके स्वागत में पहले से तैयार बैठे हैं।”
बिरुआ ने पोस्ट के साथ चार तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें चंपई सोरेन दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन और पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के साथ दिखाई दे रहे हैं। यह इशारा स्पष्ट था कि बिरुआ अपने राजनीतिक विरोध को भावनात्मक और वैचारिक आधार दोनों पर पेश कर रहे हैं।
कोल्हान की राजनीति में बदलते समीकरण | Ghatshila By-Election 2025
कोल्हान क्षेत्र, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा का पारंपरिक गढ़ माना जाता रहा है, अब धीरे-धीरे राजनीतिक रूप से बदल रहा है। भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है। बिरुआ के बयानों ने इस मुकाबले को और धारदार बना दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दीपक बिरुआ के इस बयान से JMM के भीतर असंतोष और खुलकर सामने आ गया है। इससे पार्टी के भीतर गुटबाज़ी भी उजागर होती दिख रही है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय जनता का कहना है कि अब कोल्हान की राजनीति व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की जगह वैचारिक स्पष्टता की मांग कर रही है। चंपई सोरेन और उनके पुत्र पर जनता का भरोसा कितना बना रहेगा, यह उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे।