मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में शुक्रवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ जब भाजपा युवा मोर्चा के एक नेता ने अपनी तेज रफ्तार कार से लोगों के एक समूह को कुचल दिया। इस हादसे में 11 साल के एक मासूम बच्चे और एक बुजुर्ग की मौत हो गई। घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और एक बार फिर नेताओं की लापरवाही और कानून तोड़ने की प्रवृत्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शुक्रवार रात का घटनाक्रम
पुलिस और चश्मदीदों के अनुसार यह घटना शुक्रवार रात पोरसा इलाके में घटित हुई। भाजपा युवा मोर्चा के पोरसा शहरी मंडल अध्यक्ष दीपेंद्र भदौरिया अपनी कार से पोरसा से जोतई की तरफ जा रहे थे। कड़ाके की ठंड से बचने के लिए कुछ लोग सड़क किनारे अलाव के पास बैठकर आग ताप रहे थे।
तेज रफ्तार में जा रही कार का ड्राइवर गाड़ी पर नियंत्रण नहीं रख सका और कार सीधे अलाव के पास बैठे लोगों पर चढ़ गई। इस भीषण हादसे में पांच लोग घायल हो गए। चश्मदीदों का कहना है कि हादसे के समय कार ड्राइवर नशे में था, जिसकी वजह से उसने गाड़ी पर नियंत्रण खो दिया।
मौत और घायलों की स्थिति
हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों में 65 वर्षीय रामदत्त राठौर और 11 साल का अरनव उर्फ अन्नू लश्कर शामिल थे। उन्हें तुरंत इलाज के लिए ग्वालियर के डिवीजनल अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन गंभीर चोटों की वजह से आधी रात के बाद दोनों ने दम तोड़ दिया। इस हादसे में तीन अन्य लोग कमलेश राठौर, गिर्राज राठौर और अभिषेक तोमर भी घायल हुए हैं जो अभी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
11 साल के मासूम अरनव की मौत ने पूरे इलाके में गम की लहर दौड़ा दी है। एक बुजुर्ग और एक मासूम बच्चे की जान चली जाना किसी भी समाज के लिए बड़ा नुकसान है।
आरोपी नेता की गिरफ्तारी और फरारी
घटना के तुरंत बाद इलाके के लोगों ने आरोपी दीपेंद्र भदौरिया को पकड़ लिया। लोगों ने गुस्से में आकर उसकी जमकर पिटाई की और फिर पुलिस के हवाले कर दिया। लेकिन जो बात सबसे चौंकाने वाली रही वह यह कि आरोपी पुलिस हिरासत से फरार हो गया।
पुलिस हिरासत से आरोपी के फरार होने की खबर फैलते ही इलाके में तनाव का माहौल बन गया। स्थानीय निवासियों ने राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। लोगों का आरोप था कि भाजपा नेता होने की वजह से पुलिस ने उसे जानबूझकर भागने दिया।
हालांकि, पुलिस ने शनिवार तड़के फिर से दीपेंद्र भदौरिया को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और शव परीक्षण के बाद अंतिम संस्कार के लिए शवों को पोरसा लाया जाएगा।
नेताओं की लापरवाही पर उठते सवाल
यह घटना एक बार फिर राजनीतिक नेताओं की लापरवाही और कानून को ठेंगा दिखाने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। दीपेंद्र भदौरिया जो कि भाजपा युवा मोर्चा के पोरसा शहरी मंडल अध्यक्ष हैं, नशे में गाड़ी चला रहे थे। नशे में गाड़ी चलाना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि यह समाज के प्रति घोर लापरवाही भी है।
युवा नेता होने के नाते दीपेंद्र से यह उम्मीद की जाती थी कि वह समाज के लिए एक आदर्श पेश करेंगे। लेकिन उनकी यह हरकत समाज और खासकर युवाओं के सामने गलत संदेश भेजती है। यह घटना बताती है कि राजनीतिक पद पर बैठे लोग खुद को कानून से ऊपर समझते हैं।
पुलिस व्यवस्था पर सवाल
इस घटना में पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद नजर आती है। आरोपी का पुलिस हिरासत से फरार हो जाना पुलिस व्यवस्था की कमजोरी को दर्शाता है। क्या सच में पुलिस आरोपी को पकड़ने में असमर्थ थी या फिर राजनीतिक दबाव में उसे जानबूझकर भागने दिया गया? ये सवाल स्थानीय लोगों के मन में उठ रहे हैं।
पुलिस ने हालांकि दावा किया है कि आरोपी को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन लोगों का भरोसा पुलिस व्यवस्था पर कम होता जा रहा है।
स्थानीय लोगों का गुस्सा
घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा देखा गया। हादसे के तुरंत बाद भीड़ ने आरोपी नेता की पिटाई कर दी। जब पुलिस हिरासत से आरोपी के फरार होने की खबर फैली तो लोगों ने राजमार्ग को जाम कर दिया। लोगों की मांग थी कि आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उसे किसी भी तरह की राजनीतिक सुरक्षा न दी जाए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का नतीजा है। नशे में गाड़ी चलाना अपने आप में एक अपराध है और जब इसकी वजह से दो लोगों की मौत हो जाए तो यह और भी गंभीर हो जाता है।
कानून का समान पालन जरूरी
यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि कानून सबके लिए समान होना चाहिए। चाहे कोई राजनीतिक नेता हो या आम आदमी, कानून तोड़ने पर दंड जरूर मिलना चाहिए। नशे में गाड़ी चलाने, तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने और लापरवाही से गाड़ी चलाने के खिलाफ सख्त कानून हैं, लेकिन इन कानूनों का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है।
खासकर राजनीतिक नेताओं को कानून का पालन करने में आगे होना चाहिए क्योंकि वे समाज के लिए आदर्श होते हैं। लेकिन जब नेता ही कानून तोड़ने लगें तो आम जनता से क्या उम्मीद की जाए?
मुरैना में हुई यह दर्दनाक घटना एक सबक है। दो निर्दोष लोगों की जान चली गई जिनमें एक मासूम बच्चा भी शामिल है। यह घटना नेताओं की जवाबदेही, कानून के समान पालन और पुलिस व्यवस्था की कमजोरी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह है कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या आरोपी को सजा मिल पाती है या फिर यह मामला भी राजनीतिक सुरक्षा की भेंट चढ़ जाता है।