Indore Polluted Water: देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा बार-बार जीतने वाला इंदौर इन दिनों एक गंभीर और पीड़ादायक संकट से जूझ रहा है। जिस शहर को स्वच्छता, बेहतर जीवनशैली और आधुनिक व्यवस्थाओं का मॉडल माना जाता रहा है, वहीं अब दूषित पेयजल ने आम लोगों की जिंदगी पर सीधा हमला कर दिया है। भागीरथपुरा इलाके में उल्टी-दस्त के प्रकोप से लोगों की मौत और सैकड़ों के बीमार पड़ने की खबर ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि दूषित पानी पीने के कारण अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि प्रशासन ने फिलहाल 3 मौतों की ही आधिकारिक पुष्टि की है। इस अंतर ने प्रशासन और जनता के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए आंकड़ों का यह फर्क सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि दर्दनाक सच्चाई है।
दूषित पानी से फैली बीमारी और मौतों का दर्द
भागीरथपुरा क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से उल्टी-दस्त के मामले तेजी से बढ़ते चले गए। स्थानीय निवासियों के अनुसार, पहले कुछ लोगों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत हुई, लेकिन जल्द ही यह स्थिति भयावह रूप लेती चली गई। महिलाओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि 6 महिलाओं सहित 8 लोगों की मौत इसी वजह से हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिन तीन मौतों की पुष्टि हुई है, उनमें नंदलाल पाल (70), उर्मिला यादव (60) और तारा कोरी (65) शामिल हैं। इन तीनों की मौत डायरिया के कारण हुई बताई गई है। हालांकि, इलाके में पसरा सन्नाटा और शोकाकुल परिवार प्रशासन के आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणा और सरकार का रुख
इस घटना पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी पूरी जिम्मेदारी तय की जाएगी। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि सभी मरीजों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
कार्रवाई में प्रशासन, अफसर निलंबित
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रशासन हरकत में आया। नगर निगम के एक जोनल अधिकारी और एक सहायक अभियंता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया, जबकि एक प्रभारी सब-इंजीनियर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही दूषित पेयजल कांड की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं।
हजारों लोगों की जांच, सैकड़ों बीमार
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. माधव प्रसाद हासानी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने 2,703 घरों का सर्वे कर करीब 12 हजार लोगों की जांच की। इनमें से 1,146 लोगों में हल्के लक्षण पाए गए, जिन्हें मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया। वहीं 111 मरीजों की हालत गंभीर होने पर उन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिनमें से 18 मरीज इलाज के बाद घर लौट चुके हैं।
मरीजों का कहना है कि दूषित पानी पीने के कुछ ही घंटों बाद उल्टी-दस्त, चक्कर और शरीर में पानी की कमी जैसी समस्याएं शुरू हो गईं। कई परिवारों के लिए यह अनुभव डर और असहायता से भरा रहा।
शौचालय के पास पाइपलाइन लीकेज, बड़ा खुलासा
नगर निगम आयुक्त दिलीप कुमार यादव ने बताया कि भागीरथपुरा इलाके में जलापूर्ति की मुख्य पाइपलाइन में एक गंभीर लीकेज पाया गया है। यह लीकेज ऐसे स्थान पर था, जहां उसके ऊपर शौचालय बना हुआ है। प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि इसी कारण ड्रेनेज का पानी पेयजल लाइन में मिल गया और पानी दूषित हो गया।
राजनीतिक आरोप और प्रशासन पर सवाल
इस पूरे मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने आरोप लगाया कि प्रशासन वास्तविक मौतों की संख्या छिपा रहा है। उन्होंने कहा कि दूषित पेयजल कांड ने देश के सबसे स्वच्छ शहर की छवि पर गहरा दाग लगा दिया है और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं।
मेयर का बयान और आगे की चुनौती
इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि उन्हें उल्टी-दस्त से 3 लोगों की मौत की जानकारी मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल के नमूनों की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर ड्रेनेज पानी के मिल जाने की आशंका है। मेयर ने भरोसा दिलाया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।