Maharashtra Health News: कुष्ठ रोगी खोज अभियान जिले में 17 नवंबर से 2 दिसंबर तक घर-घर सर्वे, शीघ्र निदान और उपचार पर विशेष ज़ोर

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Maharashtra Health News: कुष्ठ रोगी खोज अभियान जिले में 17 नवंबर से 2 दिसंबर तक घर-घर सर्वे, शीघ्र निदान और उपचार पर विशेष ज़ोर
जिले में 17 नवंबर से 2 दिसंबर तक कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य संभावित रोगियों की शीघ्र पहचान कर उनका तत्काल उपचार सुनिश्चित करना है। प्रशासन ने समितियाँ गठित कर घर-घर सर्वे की तैयारी पूरी कर ली है। वर्ष 2027 तक शून्य कुष्ठ दर का लक्ष्य निर्धारित है.
नवम्बर 7, 2025

Maharashtra Health News: कुष्ठ रोग नियंत्रण की दिशा में सुनियोजित जनस्वास्थ्य पहल

जिले में 17 नवंबर से 2 दिसंबर तक संचालित होने वाला “कुष्ठ रोगी खोज अभियान” न केवल संक्रामक रोगों के खिलाफ जारी प्रयासों का हिस्सा है, बल्कि समाज में व्याप्त गलत धारणाओं और भय को दूर करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य ऐसे सभी संभावित कुष्ठ रोगियों की पहचान करना है, जो अब तक निदान या उपचार से वंचित रह गए हैं। जब तक रोग की पहचान समय पर नहीं होती, तब तक संक्रमण की शृंखला बनी रहती है और रोग धीरे-धीरे समाज में फैल सकता है। इसलिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण तथा संभावित लक्षणों वाले व्यक्तियों की जाँच इस अभियान का मुख्य केंद्र बिंदु है।


अभियान के उद्देश्य और व्यवहारिक लक्ष्य

इस अभियान की मूल भावना रोगियों को डर से मुक्त कर, उन्हें स्वास्थ्य तंत्र से सीधे जोड़ना है। कुष्ठ रोग का उपचार आज पूर्णतः संभव है, बशर्ते इसकी पहचान सही समय पर हो। अभियान के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  1. ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना जिनमें कुष्ठ रोग के प्रारंभिक या स्पष्ट लक्षण मौजूद हों।

  2. निदान होते ही रोगियों को बहुआयामी औषधीय उपचार उपलब्ध कराना।

  3. संक्रामक मामलों की शीघ्र पहचान कर संक्रमण की श्रृंखला को रोकना।

  4. समाज में इस रोग से जुड़े मिथकों और सामाजिक बहिष्कार की मानसिकता को समाप्त करना।

  5. वर्ष 2027 तक “शून्य कुष्ठ रोग दर” के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करना।


अभियान के संचालन की रूपरेखा और प्रशासनिक तैयारी

Maharashtra Health News: जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर के निर्देशन में इस अभियान के समन्वय हेतु विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों का कार्य क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं, चिकित्सा अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना है। अपर जिलाधिकारी प्रवीण महिरे और निवासी उपजिलाधिकारी अनुप खांडे की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में अभियान की प्रगति, संभावित चुनौतियों और उनकी समाधान रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई।

स्वास्थ्य विभाग की टीमें उन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देंगी जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है या जहाँ पूर्व में कुष्ठ रोग के मामले दर्ज हुए हैं। सर्वेक्षण के दौरान संदिग्ध मामलों की त्वचा और तंत्रिका संबंधी जाँच सरकारी चिकित्सकों की देखरेख में की जाएगी।


कुष्ठ रोग को लेकर सामाजिक मिथक और जागरूकता का महत्व

ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से कुष्ठ रोग से जुड़ी कई गलत धारणाएँ वर्षों से समाज में व्याप्त रही हैं। बहुत से लोग आज भी इस रोग को अभिशाप, असाध्य या सामाजिक बहिष्कार का कारण मानते हैं। जबकि आधुनिक चिकित्सा इसे पूर्णतः उपचार योग्य घोषित कर चुकी है। लक्षणों में त्वचा पर सफ़ेद धब्बे, सुन्नपन, तंत्रिका की सूजन जैसे संकेत दिखते ही रोगी को तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।

जिलाधिकारी ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस अभियान से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग करें, स्वयं को भय से मुक्त करें और यदि किसी में लक्षण पाए जाएँ तो समय पर जाँच कराएँ। इस अभियान का उद्देश्य किसी व्यक्ति को चिह्नित करना नहीं, बल्कि उसे स्वस्थ जीवन की ओर ले जाना है।

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