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महाराष्ट्र सरकार चिखलदरा में अंबादेवी संस्थान को मिली तीन एकड़ भूमि

Ambadevi Sansthan Gets Land Chikhaldara: मुख्यमंत्री फडणवीस का बड़ा फैसला, अमरावती संस्थान को मिली जमीन
Chikhaldara Land Decision: मुख्यमंत्री फडणवीस का बड़ा फैसला, अमरावती संस्थान को मिली जमीन
महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में अमरावती के श्री अंबादेवी संस्थान को चिखलदरा में तीन एकड़ जमीन देने की मंजूरी दी। एमटीडीसी की यह जमीन धार्मिक कार्यों के लिए नि:शुल्क दी जाएगी। राजस्व मंत्री बावनकुळे ने कहा कि इससे चिखलदरा के पर्यटन और धार्मिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ऐतिहासिक फैसला

महाराष्ट्र सरकार ने विदर्भ क्षेत्र के धार्मिक और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल बैठक में अमरावती के प्रसिद्ध श्री अंबादेवी संस्थान को चिखलदरा में तीन एकड़ आठ आर जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह जमीन महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल यानी एमटीडीसी के पास थी, जिसे अब धार्मिक कार्यों के लिए संस्थान को सौंपा जाएगा।

इस फैसले से न केवल धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि चिखलदरा के पर्यटन क्षेत्र में भी नई जान आएगी। राजस्व मंत्री और अमरावती जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल के सामने रखा था। उन्होंने कहा कि यह फैसला चिखलदरा आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं का रास्ता खोलेगा।

अंबादेवी संस्थान का महत्व

अमरावती स्थित श्री अंबादेवी संस्थान विदर्भ की कुलस्वामिनी मानी जाती है। यह संस्थान सदियों से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहा है। लाखों भक्त हर साल इस संस्थान से जुड़े मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं। चिखलदरा में स्थित देवी पॉइंट और विराट देवी मंदिर का प्रबंधन भी इसी संस्थान द्वारा किया जा रहा है।

संस्थान ने पिछले कुछ समय से इन देवस्थानों के विकास के लिए जमीन की मांग की थी। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बेहतर सुविधाओं की जरूरत महसूस की जा रही थी। राज्य सरकार ने इस मांग को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की और यह जमीन आवंटित करने का निर्णय लिया।

एमटीडीसी की जमीन का इतिहास

चिखलदरा में साढ़े सात एकड़ जमीन साल 1975 में एमटीडीसी को दी गई थी। इसका उद्देश्य पर्यटन विकास और बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना था। लेकिन लंबे समय से यह जमीन बिना किसी उपयोग के पड़ी रह गई। पर्यटन महामंडल इस पर कोई विकास कार्य नहीं कर सका।

वहीं दूसरी ओर, देवी पॉइंट और आसपास के क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी। अंबादेवी संस्थान ने इस इलाके में अच्छा काम किया और मंदिर प्रबंधन को सुचारू रूप से चलाया। इसी को देखते हुए सरकार ने फैसला किया कि इस जमीन को एमटीडीसी से वापस लेकर संस्थान को दे दी जाए।

जमीन का उपयोग केवल धार्मिक कार्यों के लिए

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह तीन एकड़ आठ आर जमीन पूरी तरह से नि:शुल्क दी जा रही है। इसे भोगवटादार वर्ग-2 के तहत अंबादेवी संस्थान को सौंपा जाएगा। इस जमीन का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही होगा। किसी भी तरह के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति नहीं होगी।

संस्थान इस जमीन पर भक्तों के लिए विश्राम गृह, भोजनालय, प्रसाद केंद्र और अन्य आवश्यक सुविधाएं विकसित कर सकता है। इससे दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। खासकर त्योहारों और विशेष अवसरों पर जब हजारों की संख्या में लोग आते हैं, तब यह सुविधाएं बहुत काम आएंगी।

चिखलदरा के पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

चिखलदरा महाराष्ट्र का एकमात्र हिल स्टेशन है। यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ कई धार्मिक स्थल भी हैं। देवी पॉइंट और विराट देवी मंदिर इनमें प्रमुख हैं। हर साल लाखों पर्यटक यहां आते हैं। लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण कई बार परेशानी होती थी।

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने कहा कि इस फैसले से चिखलदरा के पर्यटन वैभव में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। जब अंबादेवी संस्थान यहां उत्कृष्ट आधारभूत सुविधाएं विकसित करेगा, तो और अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा।

पालकमंत्री बावनकुळे का योगदान

इस पूरे प्रस्ताव में पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे की अहम भूमिका रही है। उन्होंने अमरावती जिले के विकास के लिए लगातार प्रयास किए हैं। धार्मिक और पर्यटन स्थलों के विकास को वे प्राथमिकता देते रहे हैं।

बावनकुळे ने कहा कि अंबादेवी संस्थान के पास अनुभव और संसाधन दोनों हैं। वे इस भूमि का सही उपयोग करेंगे और इसका कायाकल्प करेंगे। उन्हें पूर्ण विश्वास है कि यह पवित्र स्थल जल्द ही नए स्वरूप में श्रद्धालुओं के सामने होगा। यह फैसला विदर्भ के धार्मिक और सांस्कृतिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हमेशा विदर्भ के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए हैं जो इस क्षेत्र की उपेक्षा को दूर करने में मददगार साबित हुए हैं। इस भूमि आवंटन का फैसला भी उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।

मंत्रिमंडल बैठक में फडणवीस ने इस प्रस्ताव को तुरंत मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है। जब ऐसे संस्थान विकास कार्यों में आगे आते हैं, तो उन्हें पूरा सहयोग मिलना चाहिए।

भविष्य की योजनाएं

अंबादेवी संस्थान ने इस जमीन पर कई योजनाओं का खाका तैयार किया है। सबसे पहले भक्तों के लिए आधुनिक विश्राम गृह बनाए जाएंगे। फिर सामूहिक भोजन की व्यवस्था के लिए बड़ा भोजनालय स्थापित होगा। पीने के पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इसके अलावा, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक सभागार भी बनाया जा सकता है। यहां भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचनों का आयोजन होगा। संस्थान ने यह भी योजना बनाई है कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलें।

स्थानीय लोगों की खुशी

इस फैसले से चिखलदरा और आसपास के गांवों के लोग बेहद खुश हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। जब अधिक श्रद्धालु और पर्यटक आएंगे, तो व्यापार भी बढ़ेगा। छोटे दुकानदारों, होटल संचालकों और परिवहन से जुड़े लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।

कई लोगों ने मुख्यमंत्री और पालकमंत्री का धन्यवाद किया है। उनका मानना है कि यह फैसला विदर्भ के उपेक्षित क्षेत्रों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। अब उम्मीद है कि और भी ऐसे विकास कार्य होंगे।

महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला धार्मिक, सामाजिक और पर्यटन विकास की दिशा में एक सराहनीय कदम है। अंबादेवी संस्थान को मिली यह जमीन न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाएगी, बल्कि चिखलदरा को एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे के इस निर्णय से विदर्भ के विकास को नई गति मिलेगी। आने वाले समय में इस पवित्र भूमि का विकास देखना दिलचस्प होगा।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।