महाराष्ट्र सरकार ने राज्य को खेलों के क्षेत्र में सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से “Viksit Maharashtra 2047 – युवा व खेल संवाद” अभियान की शुरुआत नागपुर से की है। इस पहल का मकसद है कि आने वाले वर्षों में राज्य की Maharashtra Sports Policy 2047 को अधिक समावेशी, व्यावहारिक और खिलाड़ियों की ज़रूरतों के अनुसार तैयार किया जा सके।
खिलाड़ियों की प्रमुख मांगें और Sports Policy 2047 से जोड़ाव
नागपुर में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में गडचिरोली, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया, वर्धा और नागपुर जिलों के खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, संघटकों, पंचों, दिव्यांग खिलाड़ियों और विभिन्न खेल संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम लगभग चार घंटे तक चला और इसमें खिलाड़ियों ने सीधे Sports & Youth Welfare Minister Adv. Manikrao Kokate के सामने अपनी समस्याएँ और सुझाव रखे।
संवाद की शुरुआत गडचिरोली जिले के स्क्वैश संघटक सरोजित मंडल की ओर से हुई। उन्होंने खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं के दौरान यात्रा और निवास भत्ता देने की मांग की। वहीं, गीता हिंगे ने युवाओं के लिए एक सुनियोजित counseling system शुरू करने का सुझाव दिया, ताकि मानसिक स्वास्थ्य और कैरियर मार्गदर्शन बेहतर हो सके।
वरिष्ठ खिलाड़ी राजेश नायडू ने कई वर्षों से लंबित Shiv Chhatrapati Award को पुनः शुरू करने की मांग उठाई। पियूष आंबुलकर ने प्रतियोगिताओं के आयोजन हेतु अतिरिक्त निधि और प्रशिक्षकों के मानधन में वृद्धि पर जोर दिया।
गडचिरोली जिले के अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज जय ठेंबले ने कहा कि यदि खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय साधन और सुविधाएँ मिलें तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और राज्य का नाम और अधिक रोशन कर सकते हैं।
इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर गुरुदास राऊत ने दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए अलग sports complex और सरकारी नौकरी में प्राथमिकता की मांग की। उनका कहना था कि दिव्यांग खिलाड़ियों की क्षमता को सही मंच देने के लिए अलग से संरचना और योजनाएँ बननी चाहिए।

Also Read:
VHP गरबा प्रवेश नियम: नागपुर में विश्व हिंदू परिषद का बड़ा निर्णय, आधार कार्ड जांच अनिवार्य
मंत्री कोकाटे की प्रतिक्रिया और Maharashtra Sports Policy 2047 का रोडमैप
खिलाड़ियों की इन तमाम मांगों और सुझावों पर मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जिला खेल संकुल (District Sports Complex) के माध्यम से खिलाड़ियों को आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि राज्य में लगभग 1000 रिक्त पद जल्द भरे जाएंगे।
मंत्री ने यह भी कहा कि खेल क्षेत्र को मजबूत करने के लिए केवल सरकारी बजट ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उद्योग जगत से भी सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने CSR Fund का उल्लेख करते हुए कहा कि कंपनियों को खेल विकास की दिशा में जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

Viksit Maharashtra 2047 – युवा व खेल संवाद वास्तव में खिलाड़ियों और सरकार के बीच सीधा संवाद स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं बल्कि राज्य की आने वाली Maharashtra Sports Policy 2047 की नींव साबित हो सकती है।
खिलाड़ियों द्वारा रखी गई मांगें यह दर्शाती हैं कि महाराष्ट्र में खेलों का आधार मज़बूत है, लेकिन सुविधाओं, वित्तीय सहायता और योजनाओं के क्रियान्वयन की कमी अब भी महसूस होती है। चाहे वह तीरंदाज जय ठेंबले हों या दिव्यांग क्रिकेटर गुरुदास राऊत – उनकी आवाज़ इस तथ्य को सामने लाती है कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में प्रतिभा मौजूद है, बस उसे सही दिशा और संसाधन देने की जरूरत है।
राज्य सरकार यदि खिलाड़ियों के इन सुझावों को Maharashtra Sports Policy 2047 का हिस्सा बनाकर उन्हें अमल में लाती है, तो 2047 तक “विकसित महाराष्ट्र” का सपना खेलों के क्षेत्र में भी साकार हो सकता है।

वेब स्टोरी:
डिजिटल ढाँचे और डेटा-आधारित नीति की जरूरत
खेल विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में Maharashtra Sports Policy 2047 को डिजिटल ढाँचे और डेटा-आधारित प्लानिंग से जोड़ा जाना चाहिए। यदि खिलाड़ियों के प्रदर्शन, प्रशिक्षण और सुविधाओं का पूरा डेटा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाए, तो न केवल चयन प्रक्रिया पारदर्शी होगी बल्कि खिलाड़ियों को उनकी जरूरत के अनुसार सहायता भी समय पर मिल सकेगी।
महिला खिलाड़ियों और ग्रामीण प्रतिभाओं पर जोर
एक और अहम पहलू यह है कि Maharashtra Sports Policy 2047 में महिला खिलाड़ियों और ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को प्राथमिकता दी जाए। राज्य में कई महिला एथलीट और ग्रामीण युवा संसाधनों की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। यदि इस नीति में उनके लिए विशेष प्रावधान जोड़े जाते हैं, तो महाराष्ट्र न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान मजबूत कर सकता है।