नागपुर, 18 सितम्बर: भारतीय समाज की नींव माने जाने वाले विवाह संस्था को मज़बूत बनाए रखने के लिए राज्य महिला आयोग ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। आयोग की अध्यक्षा रूपाली चाकणकर ने कहा कि अब केवल विवाहोत्तर विवादों के निवारण पर ही नहीं, बल्कि विवाहपूर्व समुपदेशन (Pre-marital Counselling) पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य तलाक के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण करना और दांपत्य जीवन को स्थिर एवं सुखद बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना है।
Web Story:
Maharashtra State Women Commission Initiative: जनसुनवाई में रखी गई पहल
Premarital Counseling Focus: ‘महिला आयोग आपके द्वार’ अभियान के अंतर्गत गुरुवार को नागपुर स्थित जिला नियोजन भवन में एक बड़ी जनसुनवाई आयोजित की गई। इस अवसर पर जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारी, विधिज्ञ, समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और परामर्शदाता उपस्थित थे।
चाकणकर ने स्पष्ट किया कि मुंबई में स्थित महिला आयोग के मुख्यालय तक राज्य के सभी हिस्सों से महिलाएँ आसानी से नहीं पहुँच पातीं। इसीलिए अब आयोग स्वयं जिलास्तर पर जाकर समस्याएँ सुन रहा है। इससे न केवल महिलाओं का समय और खर्च बचेगा बल्कि उन्हें त्वरित न्याय भी मिल सकेगा।
68 शिकायतें दर्ज, विवाहिक विवाद सबसे आगे
Premarital Counseling Focus: आज की जनसुनवाई में कुल 68 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 37 मामले विवाहिक और पारिवारिक विवादों से जुड़े थे।
-
14 सामाजिक
-
7 आर्थिक/संपत्ति संबंधित
-
8 कार्यस्थल पर उत्पीड़न
-
2 अन्य प्रकार की शिकायतें
इनमें से कई मामलों का तत्काल निपटारा किया गया, जबकि जटिल मामलों को संबंधित विभागों को सौंप दिया गया।
Premarital Counseling Focus Nagpur: तलाक दर और विवाहपूर्व परामर्श की अहमियत
Maharashtra State Women Commission Initiative, Nagpur: भारत में बदलते सामाजिक परिदृश्य के कारण तलाक की दर लगातार बढ़ रही है। खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में यह एक गंभीर चुनौती बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि विवाहपूर्व परामर्श से न केवल दो व्यक्तियों को एक-दूसरे की अपेक्षाओं और जिम्मेदारियों को समझने का अवसर मिलेगा, बल्कि संचार, सहनशीलता और आपसी समझदारी जैसे पहलुओं पर भी काम किया जा सकेगा।
रूपाली चाकणकर ने कहा कि आयोग विवाहपूर्व समुपदेशन केंद्रों को प्राथमिकता देगा ताकि युवा दंपत्ति विवाहित जीवन की चुनौतियों को सही तरीके से संभाल सकें और तलाक जैसी स्थिति से बचा जा सके।
कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख़्ती
जनसुनवाई में चाकणकर ने कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा एक और अहम मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल ही में पॉश (POSH) कानून की प्रभावी क्रियान्विति के लिए सभी कार्यालयों में POSH Audit अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य कार्यरत महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण उपलब्ध कराना है।
सामाजिक दृष्टिकोण से अहम कदम
Maharashtra State Women Commission Initiative: यह पहल केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं बल्कि एक सामाजिक सुधार का प्रयास है। विवाहपूर्व परामर्श जैसे कदम से दंपत्ति को न सिर्फ कानूनी ज्ञान मिलेगा बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्राप्त होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस व्यवस्था को सही ढंग से लागू किया गया, तो आने वाले समय में तलाक की दर में कमी आ सकती है और पारिवारिक बंधन और मजबूत होंगे।
Premarital Counseling Focus:
Maharashtra State Women Commission Initiative: राज्य महिला आयोग की इस नई पहल से उम्मीद जताई जा रही है कि विवाह संस्था को मज़बूत बनाने और महिलाओं को सुरक्षित वातावरण दिलाने की दिशा में बड़ा बदलाव आएगा। विवाहपूर्व समुपदेशन केंद्र न केवल तलाक के मामलों को रोकने में मदद करेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए सशक्त और स्थिर पारिवारिक ढांचा तैयार करने में भी सहायक होंगे।