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महाराष्ट्र में रोहिंज्या व बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों द्वारा जन्म प्रमाणपत्र घोटाले पर आज बड़े स्तर पर कार्रवाई की उम्मीद

Birth Certificates Scam
Birth Certificates Scam – महाराष्ट्र ने रोहिंज्या और बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों पर कसी नकेल (File Photo)
अक्टूबर 30, 2025

आज Amravati नगर निगम में सुबह 10.30 बजे तथा दोपहर 3.30 बजे Nagpur नगर निगम में बैठक की संज्ञा दी गई है, जिसे सरकार ‘घोटाले-रोधक अभियान’ की अहम कड़ी कह रही है। यह कार्रवाई उस गंभीर आरोप के बाद हो रही है जिसमें यह दावा किया गया है कि राज्य के अनेक जिलों में अवैध रूप से प्रवेश कर चुके Rohingya एवं बांग्लादेशी प्रवासियों को ‘देरी से’ जमा किए गए आवेदन तथा कथित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificates) जारी किए गए। 
विशेष रूप से राज्य के इंकार नहीं किए गए क्षेत्र-जिलों में यह दावा उठाया गया है कि स्थानीय प्रशासन व पंजीकरण विभाग के गड़बड़ियों का लाभ उठाया गया है।

कार्रवाई की पृष्ठभूमि

महाराष्ट्र सरकार ने जनवरी 2025 में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की थी, जो “देरी से” जमा किए गए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्रों की जाँच करेगी।
गलत आवेदन और दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणपत्र जारी करने के आरोप अब सार्वजनिक हो चुके हैं। दिल्ली-मीडिया और राज्य के बागडोर राजनीतिक दलों ने खुलकर सवाल उठाए हैं कि किस प्रकार प्रदेश में लगभग १.५० लाख बांग्लादेशी नागरिकों ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों से प्रमाणपत्र ले लिए। 
इस पृष्ठभूमि में आज की बैठकें इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्रशासन स्पष्ट करना चाहता है कि आगे क्या कदम होंगे, किसको जिम्मेदार माना जाएगा और अब तक जारी प्रमाणपत्रों की वैधता पर कितनी चोट पड़ेगी।

नगर निगम स्तर पर क्या स्थिति है?

– अमरावती व नागपुर नगर निगमों के परिसर में आज सुबह व दोपहर निर्धारित बैठकों का एजेंडा खास है। बताया गया है कि नगर निगम स्तर पर प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया, उसमें गड़बड़ी, जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका, और प्रमाणपत्र वापसी व निरस्तीकरण पर चर्चा होगी।
– कई जिलों में “देरी से” प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को रोक दिया गया है। उदाहरण के लिए, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि वर्ष 2023 के बाद जमा हुए आवेदन विशेष जाँच के दायरे में आएँगे।
– आरोप है कि कुछ जिलों में तहसील अधिकारी-स्तर से नीचे वाले अधिकारी भी जन्म प्रमाणपत्र जारी करने में शामिल थे, जबकि नियम पुराने रूप में न्यायाधिकरण की मंजूरी आवश्यक था।

राजनीतिक व सुरक्षा आयाम

यह मामला सिर्फ प्रशासनिक दस्तावेजों के विवाद तक सीमित नहीं है; इसमें जात-पंथ, राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रवासन नीति तथा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का संयोजन शामिल है। 
विशेष रूप से, Kirit Somaiya ने खुलकर कहा है कि राज्य में लगभग ९७ प्रतिशत प्रमाणपत्र बांग्लादेशी नागरिकों को “गलत तरीके से” दिए गए थे। 
साथ ही यह आरोप भी सामने आया है कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों के पीछे अधिकारी, एजेंट व स्थानीय दल-राजनीति का गठजोड़ हो सकता है। प्रशासन ने सुरक्षा दृष्टिकोण से भी मामले को देखा है, क्योंकि यह अवैध प्रवासन, पहचान पत्रों की जालसाजी व सामाजिक-आर्थिक प्रभाव तक गया हुआ है।

आगे क्या होगा?

– आज की बैठकों के बाद यह तय होगा कि किन इलाकों में फर्जी प्रमाणपत्रों की संख्या अधिक पाई गई है, उन प्रमाणपत्रों को निरस्त करने हेतु प्रक्रिया क्या होगी और जिम्मेदारी का निर्धारण किस स्तर पर होगा।
– साथ ही प्रशासन यह भी तय करेगा कि प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में सुधार कैसे किया जाए — जैसे कि DigiLocker के माध्यम से दस्तावेज-सत्यापन, तेज जाँच-मापदंड, देर से दाखिल आवेदन पर रोक आदि। 
– यदि प्रमाणपत्र निरस्त किए जाते हैं तो लाभार्थियों को नए आवेदन करने होंगे, और कुछ मामलों में प्रवासन-जांच तथा अन्य कानूनी कार्रवाई की संभावना बनी है।

नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण बातें

– यदि आप या आपका परिचित “देरी से” जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया है, तो यह सुनिश्चित करें कि प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया कानूनी रूप से पूरी हो चुकी हो।
– प्रमाणपत्र जारी करन-वाले कार्यालय की स्थिति स्पष्ट हो; यदि तहसील-स्तर से नीचे किसी अधिकारी ने प्रमाणपत्र जारी किया हो, तो यह विवादित हो सकता है।
– ऐसे प्रमाणपत्र जो आज निरस्त किए गए हैं, उनके पुनरावलोकन की प्रक्रिया में समय लग सकता है; नागरिकों को धैर्य रखना चाहिए एवं सही दस्तावेज उपलब्ध कराने चाहिए।
– प्रशासन द्वारा आगे सत्यापन प्रक्रिया में DigiLocker व ऑनलाइन प्रणाली पर जोर दी जाएगी — इस पर स्वयं को अपडेट रखें।

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