जरूर पढ़ें

ग्राम पंचायत में 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का बड़ा खुलासा, बांग्लादेश और रोहिंग्या से कनेक्शन

Fake Birth Certificates Scam: ग्राम पंचायत में 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र, बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा
Fake Birth Certificates Scam: ग्राम पंचायत में 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र, बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा (File Photo)
महाराष्ट्र की ग्राम पंचायत में 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें बांग्लादेश और बिहार के रोहिंग्या लोगों का कनेक्शन पाया गया। कंप्यूटर ऑपरेटर को मोहरा बनाकर यह काम किया गया। किरीट सोमैया ने सीएम फडणवीस से एसआईटी गठन की मांग की है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।
Updated:

महाराष्ट्र में एक बड़ा घोटाला सामने आया है जिसने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। ग्राम पंचायत स्तर पर 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस पूरे मामले में बांग्लादेश और बिहार के रोहिंग्या लोगों का कनेक्शन होने की बात सामने आई है। इस गंभीर मामले को लेकर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सीधे संपर्क किया और विशेष जांच दल यानी एसआईटी के गठन की मांग की है।

यह मामला सिर्फ एक साधारण धोखाधड़ी का नहीं है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ गंभीर मुद्दा है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों को कानूनी पहचान दिलाने की साजिश का यह एक हिस्सा माना जा रहा है।

ग्राम पंचायत में कैसे हुआ यह घोटाला

जांच में सामने आया है कि ग्राम पंचायत में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर को इस पूरे खेल में मोहरा बनाया गया था। इन कंप्यूटर ऑपरेटरों के पास जन्म प्रमाणपत्र बनाने की सुविधा होती है और उन्हें सिस्टम में एंट्री करने का अधिकार होता है। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर एक संगठित गिरोह ने बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का काम किया।

इन कंप्यूटर ऑपरेटरों को पैसे देकर या दबाव बनाकर इस काम में शामिल किया गया। कई मामलों में तो ऑपरेटरों को यह भी नहीं पता था कि वे जो दस्तावेज बना रहे हैं वे फर्जी हैं। उन्हें बताया जाता था कि यह सामान्य काम है और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए है।

27397 प्रमाणपत्र बनाने का खुलासा

यह संख्या चौंकाने वाली है। एक ही ग्राम पंचायत या कुछ पंचायतों से 27397 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए। यह तादाद बताती है कि यह कोई छोटा मोटा काम नहीं बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। इतनी बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र बनाने के लिए एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा था।

इन प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल अलग अलग तरीके से किया जा रहा था। कुछ लोग इनका इस्तेमाल आधार कार्ड बनवाने में कर रहे थे तो कुछ वोटर आईडी बनवाने में। कुछ मामलों में तो इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राशन कार्ड और दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया जा रहा था।

बांग्लादेश और रोहिंग्या कनेक्शन

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों का सीधा कनेक्शन बांग्लादेश से आए लोगों और बिहार में रह रहे रोहिंग्या लोगों से है। जांच में पता चला है कि अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय बनाने के लिए इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जा रहा था।

रोहिंग्या शरणार्थी जो म्यांमार से भागकर आए हैं और अब बिहार सहित देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे हैं, उन्हें भी इन फर्जी कागजातों के जरिए भारतीय नागरिक बनाने की कोशिश की जा रही थी। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है क्योंकि इससे देश में अवैध लोगों की संख्या बढ़ती है और उन्हें कानूनी पहचान मिल जाती है।

सोमैया ने सीएम से की बात

भाजपा के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता किरीट सोमैया ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मोबाइल पर फोन करके इस मामले की जानकारी दी। सोमैया ने मुख्यमंत्री से एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित करने की मांग की है ताकि इस मामले की गहराई से जांच हो सके।

सोमैया का कहना है कि यह मामला सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है बल्कि इसके तार दूसरे राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह और बड़ा रूप ले सकता है। उन्होंने सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है।

एसआईटी गठन की मांग क्यों जरूरी

इस तरह के बड़े और संगठित अपराध की जांच के लिए एक विशेष टीम की जरूरत होती है। सामान्य पुलिस जांच में कई बार महत्वपूर्ण सुराग छूट जाते हैं। एसआईटी में अलग अलग विभागों के अनुभवी अधिकारी शामिल होते हैं जो मिलकर हर पहलू की जांच करते हैं।

इस मामले में एसआईटी जरूरी इसलिए भी है क्योंकि इसमें राज्य की सीमाओं के पार का कनेक्शन है। बांग्लादेश और दूसरे राज्यों से लिंक होने के कारण इसे केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर भी जांच करनी पड़ सकती है।

प्रशासनिक लापरवाही के सवाल

यह घोटाला प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर करता है। सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र कैसे बन गए और किसी को पता भी नहीं चला। क्या ग्राम पंचायत अधिकारियों की निगरानी में कमी थी? क्या सिस्टम में कोई ऐसी खामी है जिसका फायदा उठाया गया?

जिला प्रशासन को भी इस मामले में जवाबदेही तय करनी होगी। ऐसे कितने और मामले हैं जो अभी तक सामने नहीं आए हैं, यह भी जांच का विषय है।

कानूनी कार्रवाई की जरूरत

इस मामले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। जो कंप्यूटर ऑपरेटर इस काम में शामिल थे, उनके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। साथ ही जिन्होंने इन ऑपरेटरों को इस्तेमाल किया और पूरे गिरोह को चलाया, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए।

जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेज हासिल किए हैं, उनकी भी पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अगर वे अवैध रूप से देश में रह रहे हैं तो उन्हें निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

समाज और देश के लिए खतरा

फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध लोगों को कानूनी पहचान देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। इससे आतंकवादी तत्व भी देश में घुसपैठ कर सकते हैं और उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इससे स्थानीय लोगों के अधिकारों पर भी असर पड़ता है।

सरकारी योजनाओं का लाभ भी गलत लोगों तक पहुंच जाता है जबकि असली हकदार वंचित रह जाते हैं। इसलिए यह सिर्फ कागजी घोटाला नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला मामला है।

यह मामला अब सरकार के सामने है और उम्मीद की जाती है कि जल्द ही इसकी गहन जांच शुरू होगी और दोषियों को सजा मिलेगी। इस तरह के मामलों से निपटने के लिए सिस्टम में सुधार की भी जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसा न हो सके।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।