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मुंबई उच्च न्यायालय ने बिजली दर वृद्धि को रद्द किया, उपभोक्ताओं को मिली बड़ी राहत

Mumbai High Court Electricity Rate Hike
Mumbai High Court Electricity Rate Hike: मुंबई हाईकोर्ट ने बिजली दर वृद्धि रद्द की, उपभोक्ताओं को राहत"
मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में बिजली दर वृद्धि रद्द की। अदालत ने कहा कि दर निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी। महावितरण को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया गया है। उपभोक्ताओं को फिलहाल पुरानी दरों पर बिल देने की राहत मिलेगी।
नवम्बर 5, 2025

मुंबई उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला

राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत का समाचार आया है। मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य में बिजली दरों में की गई हालिया वृद्धि को अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया। यह फैसला न्यायमूर्ति एस. वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एम. एम. साठे की खंडपीठ ने सुनाया।

बिजली दर वृद्धि पर लगी रोक

महाराष्ट्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) ने राज्य में औसतन 8 प्रतिशत तक बिजली दर बढ़ाने की घोषणा की थी। इस निर्णय के खिलाफ उपभोक्ता संगठनों ने अदालत में याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि महावितरण ने नियामक आयोग की प्रक्रिया का सही पालन नहीं किया और उपभोक्ताओं को पर्याप्त सूचना दिए बिना दरें बढ़ाई गईं।

अदालत ने प्रक्रिया पर उठाए सवाल

अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि दर वृद्धि की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी। न्यायालय ने कहा कि दर निर्धारण प्रक्रिया का उद्देश्य उपभोक्ताओं और कंपनी के बीच संतुलन बनाए रखना है, लेकिन इस मामले में उपभोक्ताओं को सूचित करने में लापरवाही हुई।
न्यायालय ने यह भी कहा कि बिजली जैसी आवश्यक सेवा में निर्णय सार्वजनिक भागीदारी के बिना नहीं लिया जाना चाहिए।

उपभोक्ताओं को राहत, लेकिन शर्त के साथ

अदालत ने दर वृद्धि रद्द करते हुए यह भी कहा कि महावितरण को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। इस अवधि में कंपनी चाहे तो ऊपरी अदालत में निर्णय को चुनौती दे सकती है।
यदि कंपनी अपील नहीं करती, तो रद्दीकरण आदेश प्रभावी रहेगा और उपभोक्ताओं को पुरानी दरों पर ही बिल चुकाना होगा।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार अदालत के निर्णय का सम्मान करती है और उपभोक्ताओं के हित में उचित कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि बिजली दरों पर पुनर्विचार की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और उपभोक्ताओं को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाया जाएगा।

उपभोक्ता संगठनों की संतुष्टि

राज्यभर के उपभोक्ता संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। संगठन प्रमुखों का कहना है कि यह फैसला उपभोक्ताओं की जीत है और यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में किसी भी दर वृद्धि से पहले पारदर्शी सार्वजनिक सुनवाई हो।
उन्होंने कहा कि न्यायालय का यह निर्णय एक नज़ीर बनेगा जिससे बिजली वितरण कंपनियों को मनमाने ढंग से दरें बढ़ाने से रोका जा सकेगा।

भविष्य की स्थिति

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महावितरण सुप्रीम कोर्ट जाता है तो अंतिम निर्णय में कई महीने लग सकते हैं।
इस दौरान उपभोक्ताओं को फिलहाल राहत मिलेगी, लेकिन भविष्य की दरें अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेंगी।
राज्य नियामक आयोग अब इस पूरे मामले की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने।

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