Nagpur Zilla Parishad School Student Beating Case: नागपुर जिले के औद्योगिक क्षेत्र बाजारगांव में स्थित Zilla Parishad High Primary School में हाल ही में घटी घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। आरोप है कि विद्यालय की एक शिक्षिका ने कक्षा पाँचवी की दो नाबालिग छात्राओं को बुरी तरह पीटा, जिससे वे बेहोश हो गईं। इस घटना ने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि child safety in schools और शिक्षकों के आचरण को लेकर भी बहस छेड़ दी है।
घटना कैसे घटी
Nagpur Zilla Parishad School Student Beating Case: मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षिका मनीषा चौधरी ने स्कूल प्रांगण में पड़ा कचरा उठाने का आदेश पाँचवी कक्षा की दो छात्राओं को दिया। बच्चियों का नाम बदलकर लिखें तो, आंचल(11) और रोज़ी (11) इस घटना की पीड़ित छात्राएं हैं। जब दोनों बच्चियों ने यह काम करने से मना किया, तो शिक्षिका ने कथित रूप से उन्हें डंडे और हाथ से पीटना शुरू कर दिया।
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पीटाई इतनी गंभीर थी कि दोनों बच्चियां वहीं पर बेहोश हो गईं। यह दृश्य देखकर अन्य छात्रों और शिक्षण स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई। तुरंत ही परिजनों को सूचना दी गई, जिसके बाद घायल बच्चियों को कोंढाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।
स्वास्थ्य केंद्र में उपचार
Nagpur Zilla Parishad School Student Beating Case: कोंढाली के Primary Health Centre में मौजूद डॉ. प्राजक्ता मेश्राम ने दोनों छात्राओं की जांच की। प्रारंभिक उपचार के बाद यह पाया गया कि रोज़ी को पैर में गंभीर चोट लगी है। एक्स-रे जांच की आवश्यकता पड़ने पर उसे काटोल ग्रामीण अस्पताल के लिए रेफर किया गया। वहीं दूसरी बच्ची आंचल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई | Nagpur Zilla Parishad School Student Beating Case
जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया, Nagpur Zilla Parishad प्रशासन हरकत में आ गया। अधिकारियों ने तत्काल जांच दल बाजारगांव भेजा और स्कूल प्रबंधन से पूछताछ की। छात्राओं के बयान और परिजनों की शिकायत को ध्यान में रखते हुए शिक्षिका मनीषा चौधरी (Manisha Choudhary) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया गया।
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शिक्षा प्रणाली पर बड़ा सवाल
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या आज भी कुछ शिक्षक बच्चों को अनुशासन के नाम पर शारीरिक दंड देना उचित मानते हैं? शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को डराना या दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें सकारात्मक और प्रेरक वातावरण देना है। दुर्भाग्यवश, इस तरह की घटनाएं ग्रामीण इलाकों में अक्सर सामने आती हैं, जहाँ बच्चों की आवाज़ें दबा दी जाती हैं।
स्थानीय जनाक्रोश और मांग
Nagpur Zilla Parishad School Student Beating Case: बाजारगांव और आसपास के इलाकों में इस घटना को लेकर आक्रोश है। अभिभावकों का कहना है कि अगर विद्यालय में ही उनके बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो वे बच्चों को पढ़ने कैसे भेजें? कई स्थानीय संगठनों ने भी मांग उठाई है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षकों पर सख्त निगरानी रखी जाए और child protection guidelines in schools को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
निष्कर्ष
शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस घटना को एक सबक के रूप में लेना होगा। Nagpur Zilla Parishad School में हुआ यह मामला एक चेतावनी है कि बच्चों पर हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि प्रशासन इस दिशा में और कौन से कदम उठाता है।