Ashoka Statue Journey: केरल से नागपुर, दीक्षाभूमि पर धम्मदीक्षा में प्रस्तुति
सम्राट अशोक, जिन्होंने भारत में धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान दिया, अब एक विशेष Ashoka Statue Journey के माध्यम से नागपुर आ रहे हैं। यह यात्रा केवल एक मूर्तिकला परिवहन नहीं है, बल्कि यह सम्राट अशोक द्वारा किए गए धम्म प्रचार और उनके आदर्शों को वर्तमान पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रतीक है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति, दीक्षाभूमि के अध्यक्ष और धम्मसेना नायक भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई ने बताया कि यह प्रतिमा सोमवार, 29 सितंबर को नागपुर पहुँच चुकी है। इसके बाद 30 सितंबर को नागपुर के विभिन्न बुद्ध विहारों में इस Ashoka Statue Journey की शोभायात्रा आयोजित की जाएगी। यह आयोजन नागपुर में सामाजिक और धार्मिक समरसता का संदेश फैलाएगा।
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Ashoka-आंबेडकर धम्म यात्रा 7 सितंबर को केरल के कोल्लम से शुरू हुई थी। इस यात्रा में सम्राट अशोक की 10 फुट ऊँची प्रतिमा शामिल है, जिसे नारायण गुरु मेमोरियल ट्रस्ट के डॉ. भारती गुरु के नेतृत्व में लगभग 30 प्रतिनिधि लेकर जा रहे हैं। यात्रा मार्ग में केरल, तमिलनाडु, हैदराबाद और महाराष्ट्र के कई प्रमुख नगर शामिल हैं।
30 सितंबर को नागपुर में आयोजित शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण इस Ashoka StatueJourney की प्रतिमा होगी। श्रद्धालु प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं और इसे देख समाज में शांति और धार्मिक समरसता का संदेश पाएंगे। यह शोभायात्रा न केवल नागपुर के लिए बल्कि पूरे महाराष्ट्र और देशभर के बुद्ध अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है।
1 अक्टूबर को दीक्षाभूमि पर आयोजित धम्मदीक्षा समारोह में यह प्रतिमा ओडिशा से आए प्रतिनिधियों को भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई की उपस्थिति में प्रदान की जाएगी। यह समारोह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयोजक का मानना है कि इस यात्रा के माध्यम से युवा पीढ़ी में धम्म के महत्व और सम्राट अशोक के आदर्शों की समझ बढ़ेगी।
वेब स्टोरी:
भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई ने कहा, “Ashoka Statue Journey और आंबेडकर के आदर्शों का मेल समाज में शिक्षा, शांति और समानता का संदेश और भी प्रभावशाली रूप से फैलाता है।” उन्होंने बताया कि यह यात्रा युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करने का भी एक प्रयास है।
प्रतिनिधियों ने भी स्पष्ट किया कि यह Ashoka Statue Journey केवल एक प्रतिमा की यात्रा नहीं है। यह एक प्रेरणादायक प्रयास है जो सम्राट अशोक के धम्म संदेश को वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का कार्य करेगा। नागपुर में इसका समापन और 1 अक्टूबर को दीक्षाभूमि पर धम्मदीक्षा समारोह इसे ऐतिहासिक महत्व प्रदान करता है।