अनुसूचित जाति के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बार्टी का प्रयास
नागपुर, दिनांक 27 अक्टूबर – महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के अधीन कार्यरत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान (बार्टी) ने अनुसूचित जाति के युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल आरंभ की है। यह पहल न केवल शिक्षा और प्रशिक्षण तक सीमित है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर करने का सेतु बन चुकी है।
कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण
बार्टी द्वारा राज्य के सभी 36 जिलों में कौशल विकास एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को ऐसे व्यावसायिक एवं तकनीकी कौशल प्रदान करना है, जिससे वे रोजगार प्राप्त करने के साथ-साथ स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकें।
इन योजनाओं के अंतर्गत उद्योग, सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, हथकरघा, तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसे विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस बहुआयामी प्रशिक्षण प्रणाली से युवा वर्ग को आधुनिक तकनीकों की समझ के साथ-साथ उद्यमिता के लिए आवश्यक व्यवहारिक अनुभव भी प्राप्त हो रहा है।
प्रशिक्षण संस्थानों का सहयोग
बार्टी की इस पहल को कई प्रमुख प्रशिक्षण संस्थाओं का सहयोग प्राप्त है। इनमें सह्याद्री रूरल डेवेलपमेंट फाउंडेशन, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन, ब्राइट फ्यूचर इंडिया, स्किल टेक साई सर्विस फाउंडेशन, सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र उद्यमिता विकास केंद्र (MCED), इंडो-जर्मन टूल रूम (IGTR), टेक महिंद्रा स्मार्ट अकैडमी फॉर हेल्थकेयर, खादीग्राम उद्योग महामंडल तथा टाटा स्ट्राइव जैसी संस्थाएँ प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।
इन संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षणार्थियों को न केवल व्यावहारिक शिक्षा दी जा रही है, बल्कि उन्हें रोजगार-संवाद कार्यक्रमों, औद्योगिक भ्रमण, और विशेषज्ञ मार्गदर्शन सत्रों का भी लाभ मिल रहा है। इससे युवाओं के आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।
डिजिटल माध्यम से सुगम पहुँच
बार्टी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट https://www.barti.in के माध्यम से सभी प्रशिक्षण योजनाओं की जानकारी और प्रवेश प्रक्रिया को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के युवाओं को समान रूप से अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
ऑनलाइन आवेदन प्रणाली के माध्यम से इच्छुक उम्मीदवार किसी भी स्थान से अपनी सुविधा अनुसार पंजीकरण कर सकते हैं। यह डिजिटल सुविधा प्रशिक्षण अवसरों की पारदर्शिता और पहुँच को सुनिश्चित करती है।
बार्टी के महासंचालक का वक्तव्य
बार्टी के महासंचालक सुनील वारे ने बताया कि इस पहल का मूल उद्देश्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के शिक्षा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों को साकार रूप देना है। उन्होंने कहा,
“शिक्षा ही समाजिक और आर्थिक समानता की नींव है। कौशल विकास के माध्यम से हम युवाओं को न केवल रोजगार दे रहे हैं बल्कि उन्हें अपनी पहचान बनाने का अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।”
वारे ने यह भी स्पष्ट किया कि सामाजिक न्याय विभाग के मार्गदर्शन और सभी सहयोगी संस्थाओं की सहभागिता से यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति युवाओं के भविष्य निर्माण की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान
बार्टी का यह कौशल विकास उपक्रम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी जुड़ा हुआ है। इस अभियान से प्रशिक्षित युवा रोजगार प्राप्त करने के साथ-साथ सूक्ष्म उद्यमिता और स्टार्टअप के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा रहे हैं।
इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से न केवल व्यक्तिगत स्तर पर युवाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि समाज में समान अवसरों की भावना भी सशक्त हो रही है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों पर आधारित यह कौशल विकास पहल महाराष्ट्र के सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोल रही है। बार्टी का यह प्रयास केवल प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि समानता, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त सामाजिक क्रांति है।