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नकली सुप्रीम कोर्ट का वारंट दिखाकर बुजुर्ग से 89 लाख की साइबर धोखाधड़ी

नागपुर में 74 वर्षीय सेवानिवृत्त अकाउंटेंट चंद्रकांत कोठेकर को साइबर ठगों ने नकली सुप्रीम कोर्ट अरेस्ट वारंट दिखाकर 89 लाख 13 हजार रुपए की ठगी की। आरोपी ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित को डराया कि उनके नाम से बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है। कई दिनों तक अलग-अलग किश्तों में रकम लेने के बाद पीड़ित को धोखे का एहसास हुआ। साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल पर विश्वास न करें।
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नागपुर शहर में साइबर अपराध का एक और खतरनाक मामला सामने आया है। इस घटना में ठगों ने एक बुजुर्ग व्यक्ति को इतना डरा दिया कि उन्होंने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी में से 89 लाख रुपए से अधिक की राशि ठगों के खाते में भेज दी। यह मामला साइबर अपराधियों की बढ़ती चालाकी और आम लोगों की जागरूकता की कमी को दर्शाता है।

घटना का पूरा विवरण

चंद्रकांत द्वारकानाथ कोठेकर, जो 74 वर्ष के सेवानिवृत्त अकाउंटेंट हैं, मोरया अपार्टमेंट, सुरेंद्रनगर, बजाजनगर, नागपुर में रहते हैं। कुछ दिन पहले उनके मोबाइल फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को एक उच्च स्तरीय सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताया। उसने कोठेकर साहब को बताया कि उनके नाम से एक फर्जी बैंक खाता खोला गया है।

आरोपी ने आगे कहा कि इस बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग यानी काले धन को सफेद करने के लिए किया जा रहा है। इस आरोप से बुजुर्ग कोठेकर साहब घबरा गए। ठग ने इसी डर का फायदा उठाते हुए अपनी चाल को आगे बढ़ाया।

Cyber Fraud Nagpur: नकली सुप्रीम कोर्ट वारंट से 74 साल के बुजुर्ग से 89 लाख की ठगी
Cyber Fraud Nagpur: नकली सुप्रीम कोर्ट वारंट से 74 साल के बुजुर्ग से 89 लाख की ठगी

फर्जी सुप्रीम कोर्ट वारंट का खेल

कोठेकर साहब को और अधिक डराने के लिए आरोपी ने व्हाट्सऐप के माध्यम से एक दस्तावेज भेजा। यह दस्तावेज “सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया” के नाम से बनाया गया एक नकली गिरफ्तारी वारंट था। इस वारंट में कोठेकर साहब का नाम लिखा हुआ था और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किए जाने की धमकी दी गई थी।

यह दस्तावेज देखकर बुजुर्ग व्यक्ति पूरी तरह से डर गए। उन्हें लगा कि वाकई में उनके खिलाफ कोई गंभीर मामला है। ठग ने इसी मानसिक दबाव का इस्तेमाल करते हुए कोठेकर साहब से कहा कि अगर वे इस मामले से बाहर निकलना चाहते हैं तो उन्हें कुछ खास बैंक खातों में पैसे जमा करने होंगे।

कई किश्तों में हुई ठगी

आरोपी ने कोठेकर साहब को एक साथ सारा पैसा नहीं मांगा। उसने चालाकी से अलग-अलग समय पर अलग-अलग रकम की मांग की। इससे पीड़ित को शक होने की संभावना कम हो गई। कई दिनों तक ठग ने लगातार फोन पर संपर्क बनाए रखा और कोठेकर साहब पर मानसिक दबाव बनाया।

धीरे-धीरे कोठेकर साहब ने आरोपी द्वारा दिए गए विभिन्न बैंक खातों में कुल मिलाकर 89 लाख 13 हजार 704 रुपए भेज दिए। यह रकम उनकी जीवन भर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा थी। हर बार ठग कोठेकर साहब को यह विश्वास दिलाता था कि बस यह आखिरी भुगतान है और उसके बाद उनका मामला पूरी तरह से साफ हो जाएगा।

सच्चाई का पता चलना

कुछ दिनों बाद जब कोठेकर साहब ने अपने परिवार के सदस्यों या किसी करीबी से इस बारे में बात की, तब उन्हें एहसास हुआ कि वे एक बड़े साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं। असली सुप्रीम कोर्ट या कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी फोन पर ऐसी मांग नहीं करती और न ही व्हाट्सऐप पर वारंट भेजती है।

जब उन्हें पूरी बात समझ में आई तो वे तुरंत नागपुर साइबर पुलिस स्टेशन पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

नागपुर साइबर पुलिस स्टेशन में कोठेकर साहब की शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है।

इस मामले की जांच पुलिस निरीक्षक शंकर पांढरे और सहायक पुलिस निरीक्षक बळीराम सुतार कर रहे हैं। पुलिस ने उन बैंक खातों की जानकारी हासिल की है जिनमें पैसे भेजे गए थे और अब उन खातों के मालिकों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।

साइबर अपराध विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में ठग अक्सर कई लेयर का इस्तेमाल करते हैं। वे एक जगह से पैसा लेकर तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर देते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। लेकिन आधुनिक तकनीक और बैंकों के सहयोग से पुलिस इन अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

साइबर ठगी के तरीके और सावधानियां

यह पहला मामला नहीं है जब किसी बुजुर्ग व्यक्ति को इस तरह की साइबर ठगी का शिकार बनाया गया हो। पूरे देश में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठते हैं।

कभी वे केवाईसी अपडेट के नाम पर फोन करते हैं, कभी बिजली का बिल या गैस कनेक्शन के नाम पर। कुछ मामलों में वे खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या अन्य एजेंसियों का अधिकारी बताते हैं। इस मामले में ठगों ने सुप्रीम कोर्ट के नाम का दुरुपयोग किया, जो और भी गंभीर है।

आम नागरिकों के लिए सुरक्षा सुझाव

नागपुर साइबर पुलिस ने इस घटना के बाद सभी नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसी किसी भी कॉल, मैसेज या दस्तावेज़ पर तुरंत विश्वास न करें। अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर फोन करता है तो सबसे पहले उसकी पहचान की पुष्टि करें।

किसी भी सरकारी एजेंसी या अदालत का कोई भी असली वारंट व्हाट्सऐप या ईमेल पर नहीं भेजा जाता। ये हमेशा सही प्रक्रिया के तहत व्यक्तिगत रूप से दिए जाते हैं। अगर कोई आपसे पैसे की मांग करता है तो तुरंत अपने परिवार के सदस्यों या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें।

कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे बैंक खाता नंबर, आधार नंबर, ओटीपी या पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें। अगर कोई आपको धमकी देता है या डराता है तो घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।

समाज में जागरूकता की जरूरत

इस घटना से यह साफ हो जाता है कि हमारे समाज में, खासकर बुजुर्गों में, साइबर अपराध के प्रति जागरूकता की बहुत कमी है। युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे अपने घर के बड़े-बुजुर्गों को इन खतरों के बारे में बताएं और उन्हें सतर्क रहने की सलाह दें।

परिवार के सदस्यों को चाहिए कि वे बुजुर्गों के साथ नियमित रूप से बातचीत करें और उन्हें बताएं कि अगर कभी कोई ऐसी कॉल आए तो वे पहले परिवार के किसी सदस्य को जरूर बताएं। सरकार और पुलिस भी समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती रहती हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।

नागपुर की यह घटना एक चेतावनी है कि साइबर अपराधी कितने चालाक हो गए हैं और किस तरह से वे आम लोगों का विश्वास जीतकर उन्हें लूट लेते हैं। सभी नागरिकों को सावधान रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत पुलिस को जानकारी देने की जरूरत है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.