धंतोली भवन घोटाला – सरकारी तंत्र में साठगांठ का खुलासा
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक बार फिर सरकारी विभागों की पारदर्शिता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पश्चिम नागपुर के विधायक और शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकास ठाकरे ने एक बड़े धंतोली भवन घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें नगर निगम (मनपा) और नज़ूल विभाग के अधिकारियों पर बिल्डर से मिलीभगत कर सरकार को करोड़ों की हानि पहुँचाने का आरोप है।
घोटाले का खुलासा और आरोपों की जड़
ठाकरे के अनुसार, धंतोली क्षेत्र में एक प्लॉट को आत्म-निवास उपयोग के लिए लीज पर दिया गया था। परंतु बिल्डर संजीव शर्मा ने इस भूमि पर मल्टीस्टोरी हॉस्पिटल और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया। यह कार्य न केवल लीज की शर्तों का उल्लंघन था, बल्कि नज़ूल नियमों की सीधी अवहेलना भी थी।
विधायक ठाकरे ने दावा किया कि नज़ूल विभाग के अधिकारियों ने 2019 में झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें निर्माण को “आवासीय” बताया गया, जबकि नगर निगम ने पहले ही 2016 में व्यावसायिक+आवासीय निर्माण की अनुमति दी थी। यह दोनों विभागों के बीच स्पष्ट मिलीभगत को दर्शाता है।

गलत रिपोर्टिंग से हुआ राजकोषीय नुकसान
2020 में जब भूमि को फ्रीहोल्ड रूपांतरण के लिए प्रस्तुत किया गया, तब भी अधिकारियों ने गलत वर्गीकरण किया। आवासीय बताकर वाणिज्यिक भूमि का शुल्क केवल 5% (₹34.78 लाख) लिया गया, जबकि नियमानुसार 10% शुल्क लिया जाना चाहिए था। इस प्रकार, सरकार को सीधे ₹35 लाख का आर्थिक नुकसान हुआ।
ठाकरे का कहना है कि यह केवल आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी पर भी प्रश्नचिन्ह है।
विधायक ठाकरे की मांग: “पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच हो”
विकास ठाकरे ने मांग की है कि इस मामले की न्यायिक जांच उच्चस्तरीय समिति से कराई जाए। उनका आरोप है कि नगर निगम के टाउन प्लानिंग विभाग ने जानबूझकर नियमों को दरकिनार करते हुए बिल्डर को लाभ पहुँचाया। उन्होंने कहा कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा तंत्र पर बहाल हो सके।
स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया और प्रशासन की चुप्पी
धंतोली क्षेत्र के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस भूमि पर निर्माण के समय से ही अनियमितताएं स्पष्ट थीं। कई बार शिकायतें दर्ज होने के बावजूद न तो नज़ूल विभाग ने जांच की और न ही मनपा ने कोई कदम उठाया।
वहीं, प्रशासन ने अब तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है। अधिकारी केवल इतना कह रहे हैं कि “मामले की जांच चल रही है।”
विपक्ष का निशाना और सरकार पर दबाव
कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है। विपक्ष का आरोप है कि वर्तमान प्रशासन भ्रष्टाचार के मामलों में मूकदर्शक बना हुआ है। ठाकरे ने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
नागपुर में बढ़ते भू-माफिया और तंत्र की भूमिका
नागपुर जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में भू-माफियाओं और अफसरशाही के गठजोड़ का यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते कुछ वर्षों में कई बार नज़ूल भूमि का अनुचित उपयोग सामने आया है, लेकिन कड़े कदम न उठाने से ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राजस्व विभाग और नगरीय निकाय में जवाबदेही तय की जाए तो ऐसे घोटालों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
धंतोली भवन घोटाला केवल एक बिल्डिंग विवाद नहीं, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी का जीवंत उदाहरण है। जब तक अधिकारी–बिल्डर गठजोड़ पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती, तब तक जनता के पैसे से ऐसी हेराफेरी जारी रहेगी।