दिव्यांगों की आवाज़ बनी जनलहर
नागपुर जिले के वर्धा महामार्ग पर इन दिनों असाधारण स्थिति देखने को मिल रही है। दिव्यांग नागरिकों के अधिकारों और कर्जमाफी की माँग को लेकर पूर्व राज्य मंत्री बच्चू कडू के नेतृत्व में चल रहा आंदोलन दूसरे दिन भी जारी है। यह आंदोलन अब केवल एक प्रदर्शन न रहकर सामाजिक न्याय की आवाज़ बन चुका है।
आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है कि दिव्यांगों को पूर्ण कर्जमाफी दी जाए, उन्हें न्याय मिले और सरकार उनके लिए स्थायी नीतियाँ बनाए।
सड़क पर उतरे सैकड़ों आंदोलनकारी
नागपुर-वर्धा मार्ग पर सुबह से ही सैकड़ों आंदोलनकारी तख्तियाँ और बैनर लेकर सड़क पर उतर आए। उनके नारों से पूरा मार्ग गूंज उठा – “दिव्यांगों को न्याय दो, कर्जमाफी लागू करो!”
इस दौरान यातायात पूरी तरह ठप हो गया। नागपुर से वर्धा और यवतमाल की ओर जाने वाले वाहन कई किलोमीटर लंबी कतारों में फँस गए। स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाला, परंतु स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण नहीं हो सका।
जनजीवन अस्त-व्यस्त, यात्रियों को भारी परेशानी
वर्धा महामार्ग पर जाम की स्थिति इतनी भीषण रही कि कई यात्रियों को रात भर सड़क पर ही रुकना पड़ा।
यवतमाल से लौट रही एक महिला ने बताया कि दिवाली अवकाश के बाद वह अपने परिवार के साथ नागपुर लौट रही थी, परंतु जाम के कारण उन्हें 17 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
कई वाहनों की हवा निकाल दी गई और जब कुछ लोगों ने समझाने का प्रयास किया तो आंदोलनकारियों ने उन्हें धमकाया भी।
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन बन चुकी है।
व्यापारिक नुकसान और कॉलेजों में अवकाश
लंबे समय तक चले इस जाम का असर व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ा है। करोड़ों रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
वर्धा मार्ग के आसपास स्थित कई कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों की सुरक्षा और आवाजाही की कठिनाई के चलते अस्थायी अवकाश घोषित कर दिया है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि सरकार ने शीघ्र समाधान नहीं निकाला तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
सरकार और आंदोलनकारियों के बीच संवाद की कोशिशें
हालाँकि अब सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पहल शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से पूर्व मंत्री बच्चू कडू को मुंबई बुलाने की तैयारी की जा रही है ताकि आंदोलन समाप्त किया जा सके।
परंतु बच्चू कडू का कहना है कि जब तक सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि स्वयं नागपुर नहीं पहुँचते, वे किसी भी प्रकार की वार्ता में शामिल नहीं होंगे।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “हम दिव्यांगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं, यह आंदोलन किसी दल या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि न्याय के लिए है।”
पुलिस प्रशासन ने दी चेतावनी
पुलिस प्रशासन ने आंदोलनकारियों से धैर्य और शांति बनाए रखने की अपील की है। साथ ही, चेतावनी दी गई है कि यदि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की कोशिश हुई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिला प्रशासन ने राहत व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और एंबुलेंस तैनात की हैं।
संभावित समाधान की उम्मीद
राज्य सरकार के सूत्रों का मानना है कि बातचीत के माध्यम से समाधान संभव है। यदि बच्चू कडू और सरकार के बीच समझौता होता है, तो नागपुर और आसपास के क्षेत्रों में सामान्य स्थिति लौट सकती है।
फिलहाल, नागपुर-वर्धा मार्ग पर जनजीवन ठप है और लोग प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।
दिव्यांगों की कर्जमाफी और अधिकारों को लेकर उठी यह लहर अब राज्यस्तरीय मुद्दा बन चुकी है। सरकार यदि इस पर संवेदनशील दृष्टिकोण नहीं अपनाती तो यह आंदोलन आगे और भी व्यापक रूप ले सकता है।
नागपुर की सड़कों पर गूँजते नारे इस बात का संकेत हैं कि समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग की आवाज़ अब अनसुनी नहीं की जा सकती।