नागपुर शहर में पिछले कुछ दिनों से हलबा समाज का विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। 5 दिसंबर से गांधीबाग इलाके में हलबा जमाती के लोगों ने आमरण अनशन शुरू किया है, जो अब एक बड़े आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। समाज के लोगों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है, जिसके कारण युवा वर्ग में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मंगलवार को नागपुर के कई इलाकों में हिंसक घटनाएं सामने आईं। बांग्लादेश इलाके, नवी मंगलवारी, कांजी हाउस चौक और लालगंज में आक्रोशित युवाओं ने सड़कों पर टायर जलाकर अपना विरोध जताया। इन घटनाओं से शहर में तनाव का माहौल बन गया है और प्रशासन सतर्क हो गया है।
हलबा समाज की मांगें क्या हैं
हलबा समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि उनकी कई लंबित मांगें हैं जो सालों से अनसुनी हो रही हैं। समाज के लोग मुख्य रूप से आरक्षण, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया है।
आमरण अनशन पर बैठे लोगों में बुजुर्ग, महिलाएं और युवा सभी शामिल हैं। गांधीबाग में लगातार धरना जारी है और प्रदर्शनकारियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। समाज के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन और तेज हो सकता है।

सरकार की चुप्पी से बढ़ा गुस्सा
हलबा समाज के लोगों का मानना है कि सरकार जानबूझकर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। आमरण अनशन को शुरू हुए कई दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकारी अधिकारी या मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश नहीं की है। इस उदासीनता ने समाज के युवाओं को आक्रामक बना दिया है।
युवाओं का कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने पर भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा। हालांकि समाज के बुजुर्ग नेताओं ने युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन गुस्से में आए युवाओं को काबू करना मुश्किल होता जा रहा है।
शहर के कई इलाकों में आगजनी
मंगलवार को नागपुर के बांग्लादेश इलाके में सबसे पहले विरोध प्रदर्शन हुआ। यहां युवाओं ने सड़क पर टायर जलाकर रास्ता जाम कर दिया। इसके बाद नवी मंगलवारी और कांजी हाउस चौक पर भी इसी तरह की घटनाएं हुईं। लालगंज इलाके में भी आगजनी की खबरें सामने आईं।
इन घटनाओं से आम लोगों को भी परेशानी हुई। सड़कों पर जाम लग गया और कई जगहों पर यातायात ठप हो गया। दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और लोग घरों में रहना सुरक्षित समझने लगे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की।
पुलिस प्रशासन की तैयारी
नागपुर पुलिस ने इन घटनाओं के बाद सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खुद मौके पर जाकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि वे शांति बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। साथ ही प्रशासन ने समाज के नेताओं से बातचीत की पहल भी शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की अपील की है।
समाज के नेताओं की चेतावनी
हलबा समाज के नेताओं ने सरकार को सख्त चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में फैल सकता है। उन्होंने कहा कि नागपुर में जो हो रहा है, वह सिर्फ शुरुआत है। अगर राज्य सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों से मिलने की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ बातचीत से ही इस समस्या का हल निकल सकता है। हिंसा किसी के हित में नहीं है, लेकिन सरकार की लापरवाही से लोगों में गुस्सा स्वाभाविक है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उनका आरोप है कि सरकार समाज के मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रही है। कई नेताओं ने गांधीबाग जाकर प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उनका समर्थन किया।
हालांकि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने कहा है कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया है कि हलबा समाज की सभी उचित मांगों पर विचार किया जाएगा।
आगे की राह
नागपुर में बना यह तनाव सिर्फ एक स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है। यह एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक सवाल का रूप ले चुका है। हलबा समाज की मांगें वाजिब हैं या नहीं, यह तो जांच और बातचीत से तय होगा, लेकिन सरकार की उदासीनता निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द समाज के प्रतिनिधियों से बातचीत करे और स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश करे। हिंसा से किसी समस्या का हल नहीं निकलता, लेकिन लोगों की आवाज को दबाना भी ठीक नहीं है। नागपुर की शांति बनाए रखना अब प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।