नागपुर के प्रसिद्ध भोंसला मिलिट्री स्कूल में 30 दिसंबर 2025 को एक खास मौका आया जब इजरायल के महावाणिज्यदूत ने यहां दौरा किया। मुंबई स्थित मध्य-पश्चिम भारत में इजरायल के महावाणिज्यदूत श्री यानिव रेवाच ने इस ऐतिहासिक शिक्षा संस्थान का भ्रमण किया और यहां के सैन्य प्रशिक्षण व्यवस्था को देखकर काफी प्रभावित हुए। उनके साथ इजरायल के महावाणिज्यदूत कार्यालय के श्री अनाय जोगलेकर भी मौजूद थे।
कैडेटों द्वारा शानदार गार्ड ऑफ ऑनर
महावाणिज्यदूत के स्वागत का तरीका ही कुछ खास था। स्कूल के होनहार कैडेटों ने एक शानदार गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया जिसने सभी को प्रभावित कर दिया। सैन्य अनुशासन और व्यवस्था का यह नमूना देखकर मुख्य अतिथि बहुत खुश हुए। उन्होंने बड़ी बारीकी से गार्ड का निरीक्षण किया और कैडेटों की वर्दी, उनके खड़े होने के तरीके और अनुशासन को गौर से देखा।
पाइप एंड ड्रम्स बैंड का शानदार प्रदर्शन
गार्ड ऑफ ऑनर के बाद स्कूल के पाइप एंड ड्रम्स बैंड ने अपना जबरदस्त प्रदर्शन किया। संगीत की धुन और ताल के साथ कैडेटों ने जो करतब दिखाए, उससे महावाणिज्यदूत पूरी तरह प्रभावित हुए। यह बैंड स्कूल की खास पहचान है और कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कार्यक्रमों में अपना प्रदर्शन दे चुका है।
औपचारिक स्वागत और परिचय
सेंट्रल हिंदू मिलिट्री एजुकेशन सोसाइटी (सीएचएमईएस) नागपुर डिवीजन के अध्यक्ष श्री सूर्यरतन डागा ने औपचारिक रूप से मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने इस दौरे को भारत और इजरायल के बीच बढ़ते संबंधों का प्रतीक बताया। भोंसला मिलिट्री स्कूल के अध्यक्ष श्री शैलेश जोगलेकर ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और स्कूल के इतिहास तथा उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
इस खास मौके पर सीएचएमईएस के कोषाध्यक्ष श्री संजय जोशी और प्रबंधन समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। सभी ने मिलकर इस यात्रा को यादगार बनाने की कोशिश की।
स्कूल की खूबियों की विस्तृत जानकारी
कमांडेंट कर्नल अमरेंद्र हरदास ने महावाणिज्यदूत को स्कूल के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पाठ्यक्रम की खासियतों पर रोशनी डाली। यहां छात्रों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यह प्रशिक्षण उन्हें अनुशासित और जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद करता है।
कमांडेंट ने स्कूल के बुनियादी ढांचे के बारे में भी जानकारी दी। यहां आधुनिक कक्षाएं, खेल के मैदान, शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जिम, पुस्तकालय और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। स्कूल ने शैक्षणिक और खेल दोनों क्षेत्रों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
सैन्य प्रशिक्षण का महत्व
भोंसला मिलिट्री स्कूल में दिया जाने वाला सैन्य प्रशिक्षण बच्चों में अनुशासन, साहस और नेतृत्व के गुण विकसित करता है। यहां के कैडेट न केवल किताबी ज्ञान में माहिर होते हैं बल्कि शारीरिक रूप से भी मजबूत और तैयार होते हैं। परेड, ड्रिल, निशानेबाजी और अन्य सैन्य गतिविधियां उनके व्यक्तित्व को निखारती हैं।
यह प्रशिक्षण छात्रों को भविष्य में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार करता है। कई पूर्व छात्र आज भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में अहम पदों पर सेवारत हैं।
महावाणिज्यदूत की सराहना
स्कूल प्रबंधन के साथ हुई संक्षिप्त बातचीत के दौरान महावाणिज्यदूत यानिव रेवाच ने स्कूल की व्यवस्था की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि यहां की बुनियादी सुविधाएं बहुत अच्छी हैं और छात्रों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण उच्च स्तर का है। उन्होंने संस्था के उद्देश्यों और मिशन की भी प्रशंसा की।
इजरायल के महावाणिज्यदूत ने कहा कि ऐसे संस्थान युवाओं को सही दिशा देते हैं और देश के भविष्य को मजबूत बनाते हैं। उन्होंने स्कूल के प्रबंधन को इस काम के लिए बधाई दी और आगे भी अच्छा काम करते रहने की शुभकामनाएं दीं।
भारत-इजरायल संबंधों का प्रतीक
यह दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था बल्कि यह भारत और इजरायल के बीच बढ़ते मजबूत संबंधों का भी प्रतीक है। दोनों देश शिक्षा, रक्षा, तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ऐसे दौरे आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाते हैं।
स्कूल का इतिहास और विरासत
भोंसला मिलिट्री स्कूल नागपुर का एक पुराना और सम्मानित संस्थान है। इसकी स्थापना सेंट्रल हिंदू मिलिट्री एजुकेशन सोसाइटी द्वारा की गई थी। इस स्कूल ने सैकड़ों छात्रों को सशस्त्र बलों और अन्य क्षेत्रों में सफल करियर बनाने में मदद की है। यहां का वातावरण पूरी तरह अनुशासनात्मक और प्रेरक है।
स्कूल का उद्देश्य न केवल शिक्षा देना है बल्कि छात्रों में देशभक्ति, ईमानदारी और सेवा का भाव जगाना भी है। यहां के कैडेट समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले नागरिक बनते हैं।
आगे की संभावनाएं
इस सफल दौरे के बाद उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में भारत और इजरायल के बीच शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण के क्षेत्र में और भी सहयोग बढ़ेगा। दोनों देशों के बीच छात्र और शिक्षक विनिमय कार्यक्रम शुरू हो सकते हैं। इससे दोनों देशों के युवाओं को एक-दूसरे की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को समझने का मौका मिलेगा।
यह दौरा एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है जो आने वाले समय में बड़े बदलाव ला सकता है। नागपुर का भोंसला मिलिट्री स्कूल इस तरह के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।