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कामठी में नशे में धुत माता-पिता से मासूम बच्चों का रक्षक बना प्रशासन

Kamthi Child Rescue Campaign
Kamthi Child Rescue Campaign – कामठी में मासूमों को बचाने में प्रशासन की तत्परता का उदाहरण (File Photo)
अक्टूबर 27, 2025

कामठी में मानवता का जागरण: नशे के साए में मासूमों का उद्धार

नागपुर ज़िले के कामठी क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया। एक माता-पिता द्वारा शराब के नशे में अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करने की शिकायत मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। बाल सहायता हेल्पलाइन 1098 पर प्राप्त हुई यह सूचना महज़ एक कॉल नहीं, बल्कि तीन मासूम जिंदगियों को बचाने की पुकार थी।


तत्काल कार्रवाई: पुलिस और बाल संरक्षण दल की संयुक्त पहल

जैसे ही नागपुर जिला बाल संरक्षण कक्ष को यह सूचना मिली, टीम ने देर किए बिना रात के अंधेरे में घटनास्थल का रुख किया। उनके साथ कामठी पुलिस की टीम भी तत्परता से पहुंची। निरीक्षण के दौरान जो दृश्य सामने आया, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा को झकझोर दे।
तीन नाबालिग बच्चे—दो बालिकाएं (उम्र 11 और 7 वर्ष) तथा एक एक वर्षीय बालक—बिलकुल असुरक्षित स्थिति में मिले। कमरे में गंदगी, टूटी वस्तुएँ और नशे में बेसुध पड़े माता-पिता की हालत देखकर स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता था।


बच्चों को मिली नई सुबह की किरण

प्रशासन ने तत्क्षण निर्णय लेते हुए बच्चों को वहां से सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया। उन्हें बाल कल्याण समिति के निर्देशानुसार बालगृह में रखा गया है, जहाँ उनकी देखभाल, शिक्षा और मानसिक परामर्श की व्यवस्था की गई है।
यह कदम न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि उन्हें जीवन की नई दिशा भी प्रदान करता है।


कानूनी पहलू: ‘किशोर न्याय अधिनियम 2015’ के अंतर्गत कार्रवाई

माता-पिता के विरुद्ध मामला “किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015” के तहत दर्ज किया गया है। यह अधिनियम ऐसे मामलों में बच्चों के हित को सर्वोपरि रखता है।
टीम ने पहले भी माता-पिता को समझाइश दी थी, परंतु सुधार न होने पर अब कठोर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।


प्रशासन का संदेश: ‘बचपन की रक्षा ही सच्चा धर्म’

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुनील मेसरे ने बताया कि “हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह किसी भी बच्चे पर हो रहे अत्याचार की जानकारी तुरंत हेल्पलाइन 1098 पर दें। यह सेवा निःशुल्क और 24 घंटे सक्रिय है।”
बाल संरक्षण अधिकारी मुस्ताक पठान, विधि अधिकारी सुजाता गुल्हाने, तथा चाइल्डलाइन प्रतिनिधि मीनाक्षी धडाडे और मंगला टेंभुर्णी ने इस अभियान में निर्णायक भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि शिकायत करने वालों की पहचान पूर्णतः गोपनीय रखी जाती है ताकि समाज में जागरूकता फैले और लोग निडर होकर सहायता कर सकें।


समाज के लिए सबक: मौन रहना अपराध से कम नहीं

यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है। यदि नागरिक ऐसे मामलों में चुप रहते हैं, तो निर्दोष बच्चों का भविष्य अंधकार में खो सकता है।
कामठी पुलिस और बाल संरक्षण दल ने जो साहस दिखाया, वह प्रशासनिक संवेदनशीलता और मानवीय कर्तव्य का उत्तम उदाहरण है।


जिम्मेदारी की ज्योति समाज तक पहुँचे

कामठी का यह बचाव अभियान यह दर्शाता है कि जब प्रशासन, समाज और संवेदनशील नागरिक मिलकर कार्य करें, तो किसी भी बच्चे की मुस्कान को बचाया जा सकता है। यह घटना एक सीख है—कि असंवेदनशीलता नहीं, बल्कि सजगता ही सच्ची नागरिकता का प्रतीक है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.

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