नागपुर, 17 अक्टूबर:
महाराष्ट्र में इस बार किसानों की दिवाली खुशियों के बजाय मायूसी लेकर आई है। कांग्रेस विधानमंडल के नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य की महायुती सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “सरकार ने किसानों के साथ खुला धोखा किया है।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़े पैमाने पर 31,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी, लेकिन हकीकत में अब तक मात्र 1,800 करोड़ रुपये की ही सहायता किसानों तक पहुंच पाई है।
“प्रति हेक्टेयर केवल ₹10,000 देना मजाक है”
वडेट्टीवार ने कहा कि अतिवृष्टि से तबाह किसानों को प्रति हेक्टेयर सिर्फ ₹10,000 देना बेहद तुच्छ और अपमानजनक है। उन्होंने कहा,
“सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं है। जिन किसानों की पूरी फसल और जमीनें बह गईं, उन्हें सिर्फ दिखावटी राहत दी जा रही है। यह दिवाली किसानों के लिए ‘काली दिवाली’ बन गई है।”
253 तालुकों में बर्बादी, फिर भी मदद अधूरी
कांग्रेस नेता ने बताया कि जून से सितंबर के बीच महाराष्ट्र के 253 तालुकों में अतिवृष्टि और बाढ़ से भारी तबाही हुई। हजारों एकड़ जमीन बह गई, कुएं और मकान क्षतिग्रस्त हो गए, मगर सरकार ने केवल NDRF के तय मानकों के अनुसार ही मुआवजा दिया।
उन्होंने सवाल उठाया —
“जिन किसानों की जमीन ही बह गई, उन्हें तीन साल बाद मुआवजा देने की बात कही जा रही है। तब तक वे कैसे जिएंगे? उनकी रोज़ी-रोटी कौन देगा?”
कपास और सोयाबीन के दामों पर भी सरकार घिरी
वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य सरकार कपास और सोयाबीन उत्पादक किसानों के प्रति भी लापरवाह है। उन्होंने बताया कि अब तक कपास खरीदी के लिए CCI की अनुमति नहीं मिली, और जो शर्तें रखी गई हैं, वे किसानों के हित में नहीं हैं।
“सोयाबीन के भाव इतने नीचे आ गए हैं कि किसान पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। सरकार का यह रवैया किसानों को आत्महत्या की ओर धकेल रहा है।”
‘काला जीआर’ रद्द करने की मांग
वडेट्टीवार ने बीड में चल रहे ओबीसी मोर्चे का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को 2 सितंबर का ‘काला जीआर (Government Resolution)’ तुरंत रद्द करना चाहिए। उन्होंने कहा,
“यह आदेश ओबीसी समाज के अधिकारों के खिलाफ है। कांग्रेस पार्टी इस अन्याय के खिलाफ किसानों और समाज के साथ खड़ी है।”
विपक्ष ने उठाए सरकार की नीयत पर सवाल
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि महायुती सरकार केवल घोषणाओं की राजनीति कर रही है। जनता को लुभाने के लिए आंकड़ों का खेल दिखाया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को कुछ नहीं मिल रहा।
उन्होंने कहा,
“सरकार टीवी और अखबारों में विज्ञापन देकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन खेतों में खड़े किसान आज भी मुआवजे के इंतजार में हैं। यह सरकार सिर्फ झूठे वादे करती है।”
किसानों में आक्रोश
ग्रामीण इलाकों से मिल रही रिपोर्टों के मुताबिक, कई जिलों में किसानों ने दिवाली के मौके पर ‘दीप न जलाने’ का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि जब खेत उजड़ गए और घरों में अनाज नहीं, तो उत्सव मनाने का क्या औचित्य?
स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो राज्यभर में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन किए जाएंगे।
विजय वडेट्टीवार के इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। किसान संगठनों ने उनके आरोपों का समर्थन किया है, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे “राजनीतिक बयानबाज़ी” बताया है।
फिलहाल यह स्पष्ट है कि इस दिवाली महाराष्ट्र के किसान खुश नहीं हैं। राहत पैकेज और मुआवज़े की धीमी गति ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, और यह सवाल फिर से गूंज रहा है —
“क्या किसानों की दिवाली फिर से अंधेरी रह जाएगी?”