ऐतिहासिक भोंसले पैलेस में नवमी पूजन
नागपुर – ऐतिहासिक विरासत और समृद्ध संस्कृति के प्रतीक, भोंसले राजवंश के सीनियर भोंसले पैलेस में इस वर्ष नवमी पूजन का भव्य आयोजन किया गया। यह धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान परंपरा के अनुसार संपन्न हुआ, जिसमें महाराज राजे मुधोजी महाराज भोसले जी ने प्रमुख भूमिका निभाई।
इस समारोह में शस्त्र पूजन, अश्व पूजन तथा वाहन पूजन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहे। भव्य आयोजन में परिवारजन, स्थानीय गणमान्य नागरिक और आम जनता ने भाग लिया। इस अवसर पर प्राचीन परंपराओं का निर्वाह करते हुए महाराज ने सभी पूजा विधियों का पालन किया।
पूजा की प्रमुख विधियाँ और महत्व
शस्त्र पूजन
शस्त्र पूजन के दौरान महाराज ने अपने राजसी हथियारों की पूजा की, जो शौर्य और पराक्रम का प्रतीक हैं। इस पूजन का उद्देश्य युवाओं में साहस, वीरता और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना है।
अश्व पूजन
अश्व पूजन के अंतर्गत महाराज ने अपने शाही अश्वों का पूजन किया। यह प्राचीन परंपरा वीरता और गति के महत्व को दर्शाती है। महाराज ने अपने अश्वों के सिर पर पारंपरिक मुकुट सजाया और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
वाहन पूजन
वाहन पूजन में महाराज ने अपने भव्य शाही रथों और आधुनिक वाहनों का पूजन किया। यह पूजन आधुनिकता और परंपरा के संगम का प्रतीक माना जाता है।
भव्य आयोजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
पूजन के पश्चात भोंसले पैलेस में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया गया। स्थानीय नर्तक और संगीतकारों ने पारंपरिक लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए, जिससे कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ गई।
समारोह में उपस्थित लोगों ने पारंपरिक व्यंजन और महाराज द्वारा परोसे गए लजीज भोजन का आनंद लिया। आयोजकों ने कहा कि यह समारोह भोंसले राजवंश की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का महत्वपूर्ण माध्यम है।
युवाओं और आम जनता के लिए संदेश
महाराज राजे मुधोजी महाराज भोसले ने इस अवसर पर युवाओं को शौर्य, संस्कृति और परंपरा का पालन करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह परंपरा केवल राजवंश की ही नहीं, बल्कि पूरे नागपुर और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
समारोह ने यह भी प्रदर्शित किया कि भोंसले राजवंश की परंपराएं आज भी जीवंत हैं और समाज में सांस्कृतिक समरसता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देती हैं।
भोंसले पैलेस का नवमी पूजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह नागपुर की ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक भी है। महाराज और उनके परिवार ने इसे एक भव्य और यादगार आयोजन बनाया।
इस प्रकार का आयोजन भविष्य में भी नागपुर की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाए रखने में सहायक रहेगा।
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